नागपुर :- नागपुर से शिर्डी समृद्धि हाईवे बनाया गया। बहुत शोर था। इसे राज्य के विकास का पथ कहा जाता है। लेकिन उद्घाटन के बाद इस सड़क पर हर दिन कम से कम एक हादसा हो रहा है। हर दिन लोग मारे जा रहे हैं। वजह जानने के लिए कई सर्वे भी किए गए। लेकिन सबका निष्कर्ष अलग है। किसी ने कहा कि कारों की गति एक कारण है, लेकिन वीएनआईटी के छात्रों ने इसका कारण सड़क का सम्मोहन पाया। लेकिन इस पर पूरी स्टडी की कोई तस्वीर नहीं है। जैसा कि कुछ कार्य और सुविधाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं, “समृद्धि महामार्ग, पर असुविधाएं भारी” कहने का समय आ गया है।सरकार अपने स्तर पर काम कर रही है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। सुविधाओं को पूर्ण करने से पहले ही उद्घाटन कर दिया। हमने शिरडी से नागपुर तक यात्रा की और जानकारी हासिल करने की कोशिश की।
निश्चित रूप से समृद्धि महामार्ग की सराहना करनी चाहिए। लेकिन अभी इसमें सुविधाएं पूरी नहीं होने के कारण रास्ता मुश्किल हो जाता है। इस रूट पर अभी पूरी क्षमता से ट्रैफिक शुरू नहीं हो सका है। सिर्फ शौकिया ही यात्रा करते नजर आ रहे हैं। उस पर भारी वाहन नजर आते हैं। उनके लिए यह रास्ता सुविधाजनक है। सिर्फ टोल भरना पड़ता है।
इस सफर के दौरान लगा कि रास्ता खूबसूरत हो गया है। वाहन की गति भी अच्छी होती है इसलिए निश्चित रूप से समय की बचत होती है। आप कम समय में गंतव्य तक पहुंच सकते हैं। एक करीबी अध्ययन से कुछ मुख्य कारणों का पता चला जो दुर्घटना का कारण बने। अब तक जो हादसे हुए हैं, वे ज्यादातर मेहकर और अकोला के बीच हुए हैं। कार चालक भी बीच-बीच में रुक कर बच्चों का बाथरूम कराते हैं। क्योंकि यह उनके हाथ में नही होता है। नैसर्गिक क्रियाएं है, उसे रोका नहीं जा सकता। यह भी दुर्घटना का कारण हों सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि 200 किमी तक रुकने की सुविधा नहीं है।
कार में छोटे बच्चे और महिलाएं हों तो बड़ी परेशानी हो जाती है। अक्सर लोगो को मुख्य सड़क पर पुल के नीचे छांव में बैठकर भरपेट भोजन करते देखा जा सकता है। पेट्रोलिंग जारी रहने से ऐसी चीजें नहीं होंगी। ट्रक भी रास्ते में जहां छांव दिखी वही रुक जाते है।
दुर्घटना का एक कारण यह भी हैं कि जहां पुलिया बनी है इस क्षेत्र पर डांबर डाला गया है। पुलिया के ज्वाइंट पर से यदि कार स्पीड से जाति है तो वह कर से उछलती है। जिससे भी कार पर से नियंत्रण छुटने का खतरा बना रहता है। ऐसे जगह पर कार की स्पीड कम करना ही योग्य है।
वृक्ष लगाना जरूरी
समृद्धि महामार्ग पर पेड़ो की समृद्धि कही भी नजर नहीं आती है। पूरा रास्ता वीरान नजर आता है। मार्ग के बीच में तुरंत पेड़ो को लगाने की जरूरत है। मार्ग के आस पास भी कोई पेड़ नही है। यहां तक की जहा पेट्रोल पंप बनाए गए है वहा भी कोई पेड़ पौधे नही है। प्रश्न यह है की मार्ग का काम गत 9 वर्षो से चल रहा है इसी दौरान यही साथ साथ में वृक्षों को लगाया जाता तो आज पूरे मार्ग पर बड़े बड़े वृक्ष खड़े होते। लेकिन अब भी वक्त है इस बारिश में बड़े वृक्षों को लगाना चाहिए।
पेट्रोल पंप पर सुविधा नहीं है
पेट्रोल पंप पर शौचालय गंदा है। यह एक बुरा बात है। वहां कोई नहीं जाना चाहता। कैंटीन तो है लेकिन बैठने की जगह नहीं है। 44-45 डिग्री सी. धूप में खड़े होकर चाय-नाश्ता करना पड़ता है। छांव में खड़े होने के लिए शेड तक नहीं है। बैठने की जगह नहीं है। आगे बारिश शुरू हो जाएगी। सोचिये जो रुक गए वो कहाँ रुकेंगे।
टायर में हवा
कार के टायरों में बिना हवा के नाइट्रोजन भरनी होती है। हमने इसका प्रयोग किया। हमने अपनी कार के पिछले 2 टायरों में सामान्य हवा भर दी और आगे के टायरों में नाइट्रोजन भर दी। शिर्डी से पुलगांव तक हवा की जांच के बाद अगले टायर की हवा 33 प्वाइंट से 32 हो गई। और जब पिछले टायर में चेक किया गया तो वह 33 पॉइंट से 45 पॉइंट हो गया। हवा के दबाव से टायर फट सकता है।
दुर्घटनाओं के मुख्य कारण:
1. वाहन की गति पर नियंत्रण का अभाव।
2. भारी ट्रैफिक अपने वाहनों को उनकी निश्चित लेन में नहीं चला रहे है।
3. सड़क के किनारे भारी वाहन खड़े किए जाते हैं? सड़क के पुलों के नीचे ये भारी वाहनों का रुकना आम हैं।
4. 200 किमी तक रुकने की सुविधा नहीं। हादसों का यह बड़ा कारण है।
5. दूसरी वजह गलत दिशा से ओवरटेक करना है। तेज गति से ओवरटेक करना भी दुर्घटना को निमंत्रण देना है।
दुर्घटनाओं से बचना है तो:
1. नियत लेन में नियत गति (80 से 100) पर वाहन चलाना।
2. समृद्धि पर हर 50 किलोमीटर पर शौचालय होना जरूरी है। ताकि ट्रक व कार चालक वहां रुककर आराम कर सकें।
3. कार के टायरों में नाइट्रोजन भरना जरूरी है।
4.यातायात नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। इसमें लोगों की भागीदारी जरूरी है।
5. समृद्धि हाईवे पर हर 50 किमी पर स्पीडोमीटर और सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत है। ताकि गति को नियंत्रित किया जा सके। जैसे ही वह अधिक गति देखता है, यह उसके फास्ट टैग के माध्यम से स्वचालित रूप से चालान काट दिया जाएं। साथ ही उसे रोकने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
6. पेट्रोलिंग जारी रखना। हादसे के बाद रेस्क्यू टीम आती है। लेकिन पेट्रोलिंग जारी रहे तो हादसे कम होंगे।