– सुराज्य अभियान’ द्वारा महाराष्ट्र सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री से मांग !
मुंबई :- महाराष्ट्र सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के 27 जुलाई 2012 में सरकार के निर्णय के अनुसार ‘महाकवी कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’ संस्कृतदिन पर ही दिया जाए, ऐसा स्पष्ट अंकित किया गया है; परंतु वर्ष 2012 से यह पुरस्कार आज दिनांक तक संस्कृत दिन पर नहीं दिया गया है । इतना ही नहीं, यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान न करते हुए 2-3 वर्षाें के पुरस्कार एकत्रित दिए जा रहे हैं । संस्कृत भाषा के उत्कर्ष के लिए प्रयत्न करनेवालों को प्रेरणा मिलने का उद्देश्य इससे सफल नहीं होता, अपितु यह संस्कृत भाषा के उत्कर्ष के लिए मारक सिद्ध हो रहा है । इसलिए राज्य सरकार इस वर्ष तो ‘महाकवी कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार संस्कृतदिन अर्थात 30 अगस्त को दे, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के ‘सुराज्य अभियान’ द्वारा की गई है । महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षामंत्री श्री. चंद्रकांतदादा पाटील को इस संबंध में निवेदन दिया गया है ।
प्राचीन संस्कृत पंडित, वेदमूर्ति, संस्कृत शिक्षक, संस्कृत प्राध्यापक, संस्कृत कार्यकर्ताओं की योग्यता रखनेवालों में से 8 जनों को यह पुरस्कार दिया जाता है । ‘संस्कृतदिन’ को 15 दिन शेष रह गए हैं, इस दृष्टि से आवश्यक योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय मिलने के विचार से यह निवेदन दिया गया है, ऐसा ‘सुराज्य अभियान’ के समन्वयक अभिषेक मुरुकटे ने बताया ।
वर्ष 2016 एवं वर्ष 2017 इस प्रकार 2 वर्षाें के पुरस्कार वर्ष 2018 में तथा वर्ष 2018, 2019 एवं 2020 इन तीन वर्षाें के पुरस्कार वर्ष 2021 में एकत्रित दिए गए । वर्ष 2021, 2022 एवं 2023 का पुरस्कार अभी घोषित भी नहीं हुआ है तथा ये पुरस्कार वर्ष के अंत में दिसंबर महीने में दिए जाते हैं । यह पुरस्कार संस्कृतदिन पर देने से वास्तविक रूप से संस्कृत भाषा, इस पुरस्कार एवं पुरस्कार्थी का सम्मान सिद्ध होगा । जब से यह पुरस्कार प्रारंभ हुआ है, तब से पिछले 10 वर्षाें में पुरस्कार की राशि में एक रुपए की भी वृद्धि नहीं की गई है । यह राशि बढाने के संबंध में मंत्रीमहोदय से भेंट करने पर उन्होंने विभाग के प्रधान सचिव को अध्ययन कर प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु कहा था । इस घटना को भी पांच महीने बीत चुके हैं; परंतु इस संबंध में सरकार ने क्या प्रक्रिया की है, यह पता नहीं चला है, ऐसा भी मुरुकटे ने कहा है ।