सावनेर -राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पूरे हर्षोल्लास से हेती (सुरला) सावनेर स्थित अरविन्द इंडो पब्लिक स्कूल में मनायी गयी | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर प्राचार्य राजेन्द्र मिश्र ने दीप प्रज्वलित किया और पूरे स्कूल की तरफ से आदरांजलि दी। स्कूल के सूचना फलक को राजेन्द्र प्रसाद से जुड़ी रचनाओं से सजाया गया। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय था। वे संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई उन्होंने पटना और कोलकाता से पूरी की। प्रेसिडेंसी कॉलेज के वे होनहार विद्यार्थी रहे हैं। 1915 में स्वर्ण पदक के साथ विधि परास्नातक की परीक्षा पास की और बाद में विधि के क्षेत्र में ही उन्होंने डॉक्ट्रेट की उपाधि भी हासिल की। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई । स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 12 वर्षों की संबी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 1962 में उन्होंने स्वेच्छा से अपने अवकाश की घोषणा की। उन्हें देशरत्न के नाम से भी जाना जाता है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1962 में ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद अत्यंत दयालु एवं निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे। देश और दुनिया उन्हें एक विनम्र राष्ट्रपति के रूप में याद करती है। वे हमेशा एक उच्छे स्टूडेंट के रूप में जाने जाते थे। उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिर ने कहा था कि ” THE EXAMINEE IS BETTER THAN EXAMINER? “
नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए। भारतीय संविधान के शिल्पकार भी रहे। एक बेहद सादगी पसंद नेता के रूप में वे सदियों याद किये जायेंगे। कक्षा पांचवीं से नौंवी तक के विद्यार्थियों ने उनके रेखाचित्र बनाए । उनकी जीवनी पर भाषण दिये| लेख सं निबंध भी स्कूल के साझा किया | अरविन्द बाजू देशमुख प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. आशिष देशमुख मे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जयंती समारोह में सम्मिलित सभी विद्यार्थियों का अभिनंदन किया।
दिनेश दमाहे
9370868686
dineshdamahe86@gmail.com
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