नागपूर :-होलिकोत्सव की पूर्व संध्या पर गायकों और वादकों द्वारा शास्त्रीय संगीत की मधुर धुनों ने इस उत्सव को और भी रंगीन कर समा बांध दिया ।
अमृत प्रतिष्ठान विगत 24 वर्षों से नई पीढ़ी को शास्त्रीय संगीत में रुचि दिलाने के उद्देश्य से कार्यरत है. सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ प्रतिभावान कलाकारों का कार्य लोकोन्मुखी करने में अपना योगदान निस्वार्थ भाव से दे रहा है ! इसी कड़ी में इस संगीत सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, सरस्वती वंदना और गुरु वंदना से हुई। संगीत सभा के प्रथम सत्र में सुप्रसिद्ध बाँसुरी वादक पंडित प्रमोद देशमुख ने प्रस्तुति दी। सर्वप्रथम उन्होंने अत्यंत रोचक राग यमन से वादन की शुरुवात की ! बिलंबीत एवं द्रुत लय में रागदारी गत प्रस्तुत करते हुये सबका मन मोह लिया। बाद में उन्होंने पीलू राग में सुरमयी कलात्मकता के साथ श्रोताओंको को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवा प्रतिभावान तबला वादक राम खडसे ने बहुतही रोचक और दमदार तबला संगत की प्रस्तुति सभी के दिलों को मोह रही थी।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नागपुर की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका मंजुश्री सोमण (कासलीकर) का गायन हुआ। उन्होंने राग बिहाग से एकताल की बिलम्बित बंदिश ‘धन धन रे’ और बाद में तीनताल में मध्यलय में बंदिश ‘ऐ मोरा रे’ को प्रस्तुत किया। कलावती राग में ‘भीग गई मोरी चुनरी’ बंदिश और राग काफी में दो बंदिशें ‘कौन त-हासे होरी खेले’ और ” जी न डारो रंग” की प्रस्तुति से गायन का समापन किया। उनका गायन बहुत प्रभावी और रिझाने वाला था ! रसिक श्रोताओं की सराहना और टालीया भी बटोरी। संवादिनी पर नरेंद्र कड़वे और तबले पर राम ढोक की साथ-संगत मनमोहक एवं प्रभावशाली थी।
कार्यक्रम के तृतीय सत्र में सुप्रसिद्ध सरोद वादक सुरमणि पं शंकर भट्टाचार्य ने सरोद वादन किया। उन्होंने बहुत ही रोचक राग आभोगी प्रस्तुत किया। जोड़-झाला वादन के बाद विलंबित लय में और फिर द्रुत लय में उन्होंने गत प्रस्तुत की। उनके वादन ने प्रशंसकों का दिल जीत लिया। उन्होंन अपने कार्यक्रम का समापन द्रुत लय की धून से किया। प्रतिभाशाली युवा तबला वादक राम खडसे की दमदार और प्रभावी तबला संगत ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का सूत्र संचलन प्रतिभाशाली प्रस्तुतकर्ता सोनाली अदावडकर ने किया संस्था के अध्यक्ष मोहन (दिवाकर) निस्ताने ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ गायक एवं कलाकार पं. भाऊ भट, पं. विवेक गोखले, मोरेश्वर निस्ताने, डॉ. राजेंद्र डोलके, मधुरिका गडकरी, किरण जोशी, वसंत पत्थे, वेद ढोक, चेतन बालपांडे, नारायण जोशी, विनोद वखरे, श्रीराम शास्त्रकार, कालिदास अपराजित, यशोधन कानडे के साथ ही छात्र-छात्राएं एवं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कार्यक्रम की सफलता के लिए नारायण राउत, हर्षल निस्ताने, वृंदा तारे और विनोद अग्रवाल ने बहुमूल्य सहयोग रहा।