सी-डैक ने रेलवे के लिए ग्रिड और इलेक्ट्रॉनिक्स सॉल्यूशन्स को लेकर विद्युत गुणवत्ता समाधान की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की

प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक स्वदेशीकरण से प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ सोच को साकार किया जा सकता है: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव  अलकेश कुमार शर्मा

नई दिल्ली :- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन तिरुवनंतपुरम स्थित प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) ने उद्योग भागीदारों को विद्युत गुणवत्ता समाधान और रेलवे वीसीयू समाधानों की स्वदेशी प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की। इस दौरान मंत्रालय के सचिव अलकेश कुमार शर्मा उपस्थित थे।

इस अवसर पर अलकेश कुमार शर्मा ने एक सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ सोच को प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक स्वदेशीकरण और उद्योग द्वारा इसे आगे बढ़ाकर साकार किया जा सकता है। सचिव ने आगे कहा, “स्टेटकॉम प्रौद्योगिकी ऊर्जा के विभिन्न नवीकरणीय स्रोतों के एकीकरण में लोगों को विद्युत कारक को कम किए बिना ग्रिड में सहायता करेगी और ग्रिड की असंतुलित स्थितियों में इसकी सहायता कर सकती है। इसके अलावा भारतीय रेलवे को दी गई वीसीयू व इसकी ऑफशूट प्रौद्योगिकियां अंत में यात्रियों, माल, शताब्दी और तेजस ट्रेनों की तकनीकों का अधिक स्वदेशीकरण करने में सहायता करेंगी।”

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की समूह समन्वयक सुनीता वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि जब देश आत्मनिर्भरता पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, उस समय रेलवे (वाहन नियंत्रण इकाई, रोलिंग स्टैक सॉफ्टवेयर, लोको सिमुलेशन नियंत्रक और ऑफ-लोको वीसीयू परीक्षण किट) के लिए विद्युत की गुणवत्ता समाधान व इलेक्ट्रॉनिक्स समाधान के संबंध में स्टेटकॉम के लिए यह विकास प्रौद्योगिकी एक अच्छी पहल है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले वर्षों में इन पांच एप्लीकेशनों की जरूरत कई गुना बढ़ जाएगी।

स्टेटकॉम: स्टेटिक सिंक्रोनस कम्पेंसेटर (स्टेटकॉम) पीक्यू मानक- आईईईई519 और आईईईई1459 पर आधारित है। पवन और सौर ऊर्जा जैसे अनिरंतर व परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती मांग के कारण हाल के वर्षों में स्टेटकॉम प्रौद्योगिकी तेजी से प्रासंगिक हो गई है। पावर ग्रिड में इन स्रोतों के एकीकरण से वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और अस्थिरता हो सकती है, जिसे स्टेटकॉम्स का उपयोग करके कम किया जा सकता है। तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक द्वारा विकसित स्टेटकॉम की यह तकनीक ट्रिनिटी एनर्जी सॉल्यूशन को हस्तांतरित की गई थी।

वीसीयू: यह मानक आईईसी- 61375 पर आधारित है। यह प्रौद्योगिकी साल 2010 की शुरुआत में उपलब्ध टीसीएन प्रोटोकॉल्स पर आधारित थी। उस समय से टीसीएन प्रोटोकॉल में कई विकास किए गए हैं। इसके अलावा यह अनुभव किया गया है कि वीसीयू को समकालीन प्रौद्योगिकी के बराबर अपग्रेड करने की जरूरत है। लोकोमोटिव फ्लीट (बेड़े) के दैनिक व दीर्घकालिक रखरखाव की जरूरत से निपटने को लेकर सीएलडब्ल्यू में निर्मित घरेलू क्षमता की प्रौद्योगिकी को 5 साल संभालने के लिए हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर के मामले में मौजूदा सी-डैक- वीसीयू है। तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक द्वारा विकसित वीसीयू की यह तकनीक सीएलडब्ल्यू चित्तरंजन को स्थानांतरित कर दी गई थी।

लोको सिमुलेशन नियंत्रक: लोको सिमुलेशन नियंत्रक रेलवे मानक पर आधारित है। लोकोमोटिव के विभिन्न उप-प्रणालियों को वीसीयू से दिए गए परिणाम की प्रतिक्रिया को समझने व बेहतर डिबगिंग के लिए वीसीयू और इसके एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को लोकोमोटिव में परीक्षण करने की जरूरत है। यह परीक्षण मंच लोकोमोटिव की वास्तविक कार्य क्षमताओं का अनुकरण कर सकता है और वास्तविक लोकोमोटिव लॉजिक के अनुरूप वीसीयू को इनपुट देगा। इसी तरह यह वीसीयू से भी इनपुट लेता है व इसे आगे बढ़ाता है और वीसीयू को वास्तविक लोकोमोटिव के रूप में परिणाम उत्पन्न करता है। तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक द्वारा विकसित लोको सिमुलेशन कंट्रोलर की यह तकनीक सीजी पावर और इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन को हस्तांतरित की गई थी।

रोलिंग स्टैक सॉफ्टवेयर: रोलिंग स्टैक सॉफ्टवेयर भारतीय रेलवे की जरूरत के अनुरूप है। रोलिंग स्टॉक एप्लिकेशन, जो लोको कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है, वीसीयू सेट में 4 प्रोसेसर बोर्डों के बीच वितरित किया जाता है, जिससे प्रोसेसर बोर्ड के विफल होने की स्थिति में लोको परिचालन को और अधिक विश्वसनीय बनाया जा सके और महत्वपूर्ण कार्यों को कार्यान्वित किया जा सके। इसके अलावा यह लोको पायलट को स्थिति को ठीक करने के लिए ड्राइविंग कैब से पीछे की कैब में गए बिना ट्रेन को परिचालित करने में भी सहायता करेगा। तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक द्वारा विकसित यह रोलिंग स्टैक सॉफ्टवेयर सीजी पावर और इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन्स को हस्तांतरित किया गया था।

ऑफ-लोको वीसीयू परीक्षण किट: ऑफ-लोको वीसीयू परीक्षण किट भारतीय रेलवे की जरूरत के अनुरूप है। पीसीबी परीक्षण किट का उपयोग उप-प्रणाली पीसीबी के बुनियादी कार्यों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है, जिनका उपयोग सी-डैक विकसित वीसीयू में चरण 3 इलेक्ट्रिक लोको के लिए किया जा रहा है। इस परीक्षण के तहत वीसीयू उप-प्रणाली पीसीबी की ठीक है (ओके)/ठीक नहीं है (नॉट ओके) की स्थिति का इस्तेमाल वीसीयू में उपयोग को लेकर पीसीबी की जांच के लिए किया जाता है। तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक द्वारा विकसित ऑफ-लोको वीसीयू परीक्षण किट की यह तकनीक इलेक्ट्रिकल लोको शेड, रायपुरम दक्षिणी रेलवे को स्थानांतरित कर दी गई थी।

इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (विद्युत) राम निवास, वैज्ञानिक ‘डी’ डॉ ओम कृष्ण सिंह, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और मंत्रालय, सी-डैक व भारतीय रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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