भागवत कथा का मूल मंत्र है सदाचार – सलिल महाराज

– निकली मंगल कलश शोभायात्रा

– राधा कृष्ण मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा आरम्भ

नागपुर :- भागवत कथा का मूल मंत्र सदाचार है। जो इसे अपना लेता है, समाज उसे सम्मानित करता है। ऐसे व्यक्ति से भगवान भी प्रेम करते हैं। भागवत कथा में भक्ति ज्ञान, वैराग्य, ज्ञानयोग, कर्मयोग, समाजधर्म, राजनीति का ज्ञान भरा है। उक्त उद्गार वर्धमान नगर के श्री राधा कृष्ण मंदिर में आरम्भ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दौरान कथा व्यास डॉ. संजयकृष्ण सलिल महाराज ने कहे।

कथा आरम्भ से पूर्व वर्धमान नगर से राधाकृष्ण मंदिर तक मंगल कलश यात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली गई। यजमान नारायण रौनक मनियार परिवार सिर पर भागवत पोथी धारण कर चल रहे थे। साथ में मंगल कलश धारी महिलाएं चल रही थीं। जगह- जगह शोभायात्रा का स्वागत भक्त परिवारों ने किया।

सलिल महाराज ने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में मोक्ष पर्यन्त फल की कामना से रहित परम धर्म का निरूपण हुआ है। इसमें शुद्धान्तःकरण सत्पुरुषों के जानने योग्य उस वास्तविक वस्तु परमात्मा का निरूपण हुआ है, जो तीनों तापों का जड़ से नाश करने वाली और परम कल्याण देने वाली है।

7 मई तक आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में 3 मई को सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत-रहूगण संवाद, अजामिल उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया जाएगा। कथा का समय दोपहर 4 बजे रखा गया है। सभी से उपस्थिति की अपील की गई है। 

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