– संजय राउत ने कहा कि अमित शाह सीमा विवाद का हल निकाल सकते हैं,कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अमित शाह से आज मुलाकात करेंगे,अमित शाह की पत्नी कोल्हापुर की हैं वो हमारे जंवाई हैं,संजय राउत ने कहा कि वो आज कोई टिप्पणी नहीं करेंगे
मुंबई : महाराष्ट्र- कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra-Karnataka Border Issue) के मुद्दे पर आज दिल्ली में एक अहम बैठक होनी है। इस मीटिंग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और कर्नाटक राज्य के सीएम बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) शामिल होंगे। इस बैठक को लेकर सांसद संजय राउत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है। ऐसे में देश के गृहमंत्री अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। ऐसे में इस बैठक पर मैं फिलहाल कोई बयान नहीं दूंगा। बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि सीमा विवाद के मुद्दे पर प्रधानमंत्री या गृहमंत्री को मध्यस्थता करनी पड़ेगी। दोनों ही राज्यों में बीजेपी (BJP) की सरकार है। हालांकि, बोम्मई कहते हैं कि अमित शाह से मुलाकात करके कोई फायदा नहीं होगा लेकिन मैं कहता हूं कि शाह से मुलाकात करके जरूर फायदा होगा। संजय राऊत इसके पीछे के कारण भी बताए। उन्होंने कहा कि विवादित इलाके को केंद्र शासित करने का अधिकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास है। स्थानीय पुलिस को हटाकर विवादित इलाके में अमित शाह केंद्रीय बल को भेज सकते हैं।
मराठी भाषा और संस्कृति के बारे में भी आदेश देने का अधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय को है। हमेशा अगर सीमा विवाद के मुद्दे पर मध्यस्थता कर रहे हैं तो टिप्पणी करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। वैसे भी वह महाराष्ट्र के जंवाई हैं। उनकी पत्नी राज्य के कोल्हापुर जिले से ताल्लुक रखती हैं। सीमा विवाद का सबसे ज्यादा असर कोल्हापुर जिले को ही होता है सबसे ज्यादा संघर्ष वहीं होते हैं ऐसे में उन्हें इस विवाद और संघर्ष के बारे में पूरी जानकारी है।
…तो इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है
संजय राउत ने कहा कि कोर्ट में बहुत सारे मुद्दे लंबित हैं लेकिन केंद्र सरकार ऐसे मुद्दों लोकसभा या राज्यसभा में उठा सकती है। सरकार चाहे तो इस मुद्दे को सुलझाया भी जा सकता है। यह कोई आम मामला नहीं है, यह बीस से पच्चीस लाख मराठी भाषी लोगों के जीवन का प्रश्न है। कोर्ट में अगर अन्य हल मसलों का हल हो सकता है तो फिर सीमा विवाद का हल क्यों नहीं हो रहा। आखिर क्यों इस मुकदमे में एक के बाद एक तारीख है बढ़ती जा रही हैं? केंद्र सरकार अपने स्तर पर इस मुद्दे का हल आसानी से निकाल सकती है।