दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय मे मामला विचाराधीन…
आमगाव :-आमगाव नगर निगम की स्थापना 2 अगस्त 2017 को चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी..उक्त अधिसूचना मुबंई उच्च न्यायलय की नागपूर खंडपीठ ने 28 नंवम्बंर 2017 को रदद कर दिया था..जिस कारण जिलाधिकारी गोदिया ने 29 नंवम्बर 2017 को नगर निगम का चुनाव स्थगित कर दिया..मुंबई उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली मे एस एल पी क्र33590 अपील दाखिल की…सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली मे न्याय प्रविष्ठ होने के कारण आमगाव शहर के विकास कामो मे ब्रेक लगा हुआ हे.. तत्कालीन फडनविस सरकार ने तालुकास्तरीय ग्रामो को नगर पंचायत का दर्जा देने की घोषणा की थी…14 फरवरी 2015 को आमगाव ग्रामपंचायत को नगर पंचायत बनाकर तत्कालीन तहसीलदार राजीव शक्करवार को प्रशासक नियुक्त किया गया था…
आमगाव नगर पंचायत का विरोध
:- आमगाव ग्रामपंचायत की सरपंचा सौ पदमा कुष्णा चुटे ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ मे अपील दायर कर आमगाव ग्रामपंचायत को फिर से बहाल करने की मांग की थी..बताया गया की उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ ने ग्रामपंचायत को जैसे थे का आदेश देकर नगर पंचायत बनाने या ग्रामपंचायत रखने का आदेश महाराष्ट्र सरकार को दिया था..आमगाव ग्रामपंचायत मे फिर पंचायत समिती के विस्तार अधिकारी अतुल येडे को प्रशासक पद पर नियुक्त किया गया था।।
आठ गाव मिला के नगरपरिषद हो किसने डाली याचिका
सन 2015 मे नगर पंचायत के चुनाव की घोषणा भी की गई..लेकीन आमगाव के संरपंच पदमाताई चुटे को सरपंच पद की खुर्ची जाने की वजह से उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ मे आमगाव,रिसामा,बंनगाव,म्हाली, कुंभारटोली,बिर्सी,किडगीपार, पदमपुर इन आठ गावो को मिलाकर नगर परिषद बनाई जाने की याचिका उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ मे दाखील की थी .
रिसामा के उपसरपंच ने भी दायर की याचिका
रिसामा निवासी तिरथ येटरे ने उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ मे याचिका दायर कर कहा हे की आमगाव व अन्य सात ग्रामो को मिलाकर नगर निगम बनाने जैसी कोई सुविधा नही हे यहा पर ओधौगिक व्यवसाय नही हे तथा कूर्षी क्षेत्र अधिक हे..उक्त दलिल पर अपना फैसला सुनाते हुये उच्च न्यायालय की नागपूर खंडपीठ ने महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा जारी की गई अधिसूचना ही रद्द कर दी..बताया जा रहा हे की उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय मे गई हे..तब से सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली मे प्रकरण प्रलंबित हे.