संत चोखोबाराय मंदिर तीर्थक्षेत्र के विकास के लिए सर्वतोपरी मदद की जाएगी – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

बुलढाणा :- महाराष्ट्र यह संतों की भूमि है. समाजप्रबोधन का काम संतों के विचारों ने किया है. उनके विचारों को लेकर ही सरकार आगे बढ़ रही है. इसरूळ स्थित श्री संत चोखोबाराय का मंदिर और यह भूमि तीर्थस्थल के रूप में विकसित होने के लिए सरकार की ओर से सर्वतोपरी मदद की जाएगी, यह ग्वाही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज यहा पर आयोजित कार्यक्रम में दी.            संत चोखोबाराय की जन्मभूमि रहें मेहुणा राजासमीप के चिखली तहसील के इसरूळ में संत चोखोबाराय के मंदिर का मंदिर कलशारोहण व लोकार्पण समारोह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों किया गया, इस अवसर पर वे बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में रोहयो मंत्री संदिपान भुमरे, सांसद प्रतापराव जाधव, विधायक किरण सरनाईक, वसंत खंडेलवाल, नारायण कुचे, संजय रायमुलकर, संजय गायकवाड, श्वेता महाले, गोपिकिसन बाजोरीया, हरिभाऊ बागडे, विजय जगताप, हभप पुरूषोत्तम महाराज पाटिल, श्री पाटणकर महाराज समेत अनेक मान्यवर उपस्थित थे.           मुख्यमंत्री  शिंदे ने कहा कि आध्यात्मिक परंपरा का स्थान राजनीतिक व अन्य क्षेत्रों से श्रेष्ठ है. मुख्यमंत्री होने के बाद पंढरपुर में आषाढी एकादशी की पूजा का सौभाग्य मुझे मिला. वारकरी संप्रदाय महाराष्ट्र का भूषण है. हभप पुरूषोत्तम महाराज पाटिल के प्रयासों से चोखोबाराय का मंदिर बनाया गया और यह परिसर तीर्थस्थल के रूप में विकसित होने के लिए आवश्यक वह सभी सुविधाओं का निर्माण भी किया जाएगा. लाखो भाविक पैदल चलकर पंढरपुर जाते है. उनसे प्रेरणा मिलती है. संतों के विचार अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए संत विश्वविद्यालय का भी निर्माण किया जाएगा.           मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि संतों के सानिध्य से शांति एवं समाधान की प्राप्ति होती है. वारकरी यह महाराष्ट्र का भूषण है, उनका सहवास जीवन के अँधेरे को मिटानेवाला होता है. वारकरी संप्रदाय समाज में समानता बनाएं रखने का काम करता है. इसीलिए उनसे अच्छा काम करने के लिए प्रेम, ऊर्जा मिलती है. उनकी प्रेरणा से समाज के लिए लड़ने की शक्ति मिलती है. चोखोबाराय का अच्छा मंदिर आज खड़ा है, इस मंदिर के विकास के लिए सर्वतोपरी मदद की जाएगी.

उन्होंने बताया कि इसरूळ स्थित कार्यो से संत परंपरा का प्रतिक, पावित्र्य दिखाई देता है. यहाँ पर किये जा रहें कार्य को देखते हुए प्रसन्नता होती है. संत परंपरा की अनमोल विरासत को इससे संवर्धित किया जाएगा. संत साहित्य का अभ्यास और समीक्षा होना जरुरी है. नए विचारों के अनुसार अभंग, भारूड के विचार आम जनता तक पहुंचाने के लिए संत विद्यापीठ उपयोगी साबित होगा. संत परंपरा भक्ति, सहनशक्ति, संयम, विवेक आदि गुणों की प्रेरणा देते है. उनके विचारों की आगे बढ़ाते हुए मेहनत करनेवाले लोगों के जीवन में अच्छे दिन लाने के लिए अनेक जनहित के निर्णय राज्य सरकार ने लिए है. इस कार्यक्रम में हभप ज्ञानेश्वर महाराज पठाडे, पंकज महाराज गावंडे समेत हजारों वारकरी उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को संत चोखोबाराय की प्रतिमा भेंट की गई.

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