– कथा से होता है आत्मा का ज्ञान – इंद्रदेव सरस्वती महाराज
नागपुर :- जिसे कथा में वास्तविकता लगती है, वह कथा बार- बार सुनता है और करता है। जिसे कथा आडंबर लगती है वह इसे नहीं सुनता। कथा सुनने से सभी प्रकार के ज्ञान हमारे अंदर विकसित होते हैं। आत्मा का ज्ञान होता है, मुक्ति का ज्ञान होता है, जन्म- मरण का ज्ञान होता है। इसी ज्ञान से संसार में आने का लाभ मिलता है। उक्त आशय के उद्गार रेशिमबाग मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का दौरान मथुरा वृंदावन के भागवत कथाकार डॉ. इंद्रदेव सरस्वती जी महाराज ने कहे। कथा 24 दिसंबर तक राधा किशोरी सेवा समिति की ओर से आयोजित की गई है। कथा का समय दोपहर 1 से 4 रखा गया है।
महाराज ने भागवत के बीच में ‘पी प्रभु ज्ञान का जल रे मना, सत्संग वाली गली तू चल रे मना’ भजन गाया। भजन सुन कर श्रोता भक्ति में नाचने लगे। इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने आगे कहा कि कथा में आना जरूरी है। पुरुषार्थ करना जरूरी है। पिछले भाग्य पर कभी जीवित नहीं रहना चाहिए। नित नए भाग्य का निर्माण करते रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जीवन में नियम संयम को धारण करो, इससे आप धन्य और मजबूत बनते चले जाते हो। हम संसार में किसी को भी खुश नहीं कर सकते। सारे सुख के रास्ते खोज के देख लिए पर इस संसार में केवल भगवत प्रभु की स्तुति से ही सारे सुख मिलेंगे। परमात्मा को जपो, भजो। इसी लोक में भगवत स्तुति से परलोक को सुधार पाओगे। जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा, परिणाम आएंगे।
सफ़लतार्थ दीपक मड़ावी, अमरनाथ पचीसिया,संजय बत्रा, तानाजीराव वाघ, शम्भू सिंह ठाकर, हेमंत वाघमारे, हेमन्त खानोरकर, एड.कुश चावड़ा, विनीत टन्डन सहित श्री राधा किशोरी सेवा समिति के सभी पदाधिकारी , कार्यकर्ता व महिला मंडल प्रयासरत हैं।