विकास ठाकरे के खिलाफ संदीप जोशी सबसे सक्षम भाजपा उम्मीदवार 

– अगर नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस को भाजपाई MLA चाहिए तो ……… 

नागपुर :- महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव चरम सीमा पर है लेकिन किसी भी पक्ष के तथाकथित नेताओं खासकर जिनके ऊपर पक्ष ने दरोमदारी सौंपी है,वे पक्ष हित की बजाय खुद की स्वार्थपूर्ति हेतु पक्ष का बंटाधार करने को आतुर हैं.इसलिए वे अपने अपने पक्ष के डमी को मौका देकर विपक्ष के अपने चहेतों को विधानसभा तक पहुँचाने के लिए रणनीति रचने में लीन हैं.

वर्षों से पार्टी के लिए काम करने वालों को आजीवन कार्यकर्ता बनाए रखना,यह सर्वपक्षीय नेतृत्वकर्ता का उसूल बन चूका हैं,जिसे वे अपनी राजनितिक मज़बूरी बता रहे हैं.

उदाहरणतः पश्चिम नागपुर में रहने वाले संदीप जोशी पूर्णतः भाजपाई को पिछले कई विधानसभा/विधानपरिषद चुनाव में टिकट देने का आश्वासन देकर वक़्त पर ‘गोली’ दे दी जा रही हैं.इस बार जब उन्होंने पश्चिम नागपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की तो वक़्त पर गडकरी अपने तो फडणवीस अपने चहेतो के लिए फील्डिंग सजाने में लीन हैं.गडकरी को अपने पक्ष का करीबी चाहिए क्यूंकि विपक्ष का कांग्रेसी उम्मीदवार ने लोकसभा चुनाव में बतौर कांग्रेसी उम्मीदवार बड़ी अड़चन में ला दिया था तो दूसरी ओर फडणवीस को कांग्रेस उम्मीदवार व आज सबसे करीबी को पुनः विधानसभा की दहलीज तक पहुंचा कर अगले 5 वर्ष कम से कम नागपुर शहर में विपक्ष की बोलती बंद रखना है और साथ ही साथ ऐसा कोई मुद्दा जो विपक्ष से उठवानी हो,इसलिए भी इस विपक्षी उम्मीदवार का साथ देना हैं

याद रहे अगर गडकरी और फडणवीस ने वर्षो से पार्टी लाइन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को इस कदर नज़रअंदाज करते रहे तो भाजपा का भी हाल कांग्रेस की तरह देश में नेस्तनाभूत हो जाएगा।

जहाँ तक पश्चिम नागपुर का सवाल हैं,इस क्षेत्र में भाजप से जोशी बनाम कांग्रेस से ठाकरे के मध्य कांटे की टक्कर हो सकती हैं,अगर ऐसा हुआ तो पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के कुनबी नगरसेवक सह अन्य भाजपाई जिन्होंने ठाकरे का साथ दिया था,उन्हें पक्ष के उम्मीदवार जोशी का साथ देना पड़ेगा।

अब देखना यह है कि भाजपा के उक्त नेता की सोच कितनी ऊँची और सच्ची है भाजपा के प्रति।वैसे इस क्षेत्र से तथाकथित कांग्रेसियों ने बगावत कर कांग्रेस उम्मीदवार को अड़चन में लाने के लिए भीड़ गए हैं.नाम वापिस लेने के दिन अभी शेष है,तक तक कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं.

बगावत : जिचकर द्वय,अहमद,देशमुख,हजारे सभी तथाकथित कांग्रेसी 

बगावत करने के लिए कोंग्रेसियों को जाना और माना जाता है.इस पक्ष में कंवेंसिंग क्षमता न के बराबर है,नेताओ में तो कतई नहीं।

इसी वजह से सिर्फ नागपुर जिले में लगभग आधा दर्जन कोंग्रेसियों द्वारा बगावत की जा रही है,अगर समय रहते इन्हें रोका नहीं गया तो नुकसान कांग्रेस पक्ष का निश्चित ही है,वैसे भी कांग्रेस राजनीति की आखिरी ढलान पर है,अब पार्टी में व्यक्ति की पूजा होती है,पक्ष तो नाम का रह गया हैं.

नागपुर जिले में पश्चिम नागपुर से नरेंद्र जिचकर,सावनेर से अमोल देशमुख,पूर्व नागपुर पुरुषोत्तम हजारे,काटोल से स्वर्गीय श्रीकांत जिचकर के पुत्र,अनीस अहमद मध्य नागपुर से कांग्रेस की उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत थे लेकिन पार्टी ने नरेंद्र की जगह वर्त्तमान विधायक विकास ठाकरे,सावनेर में अमोल की जगह पूर्व विधायक सुनील केदार की पत्नी को और मध्य नागपुर से बंटी शेलके को उम्मीदवार बनाया तो दूसरी ओर काटोल और पूर्व नागपुर गठबंधन के तहत शरद पवार की एनसीपी के कोटे में गया.उक्त पांचों की महत्वकांक्षा पर पानी फिरते ही आज बगावत को उतर आये है,अगर बगावत कायम रहा तो कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार को बड़ा नुकसान होने से कोई नहीं बचा सकता हैं.

दटके के इर्द-गिर्द मध्य नागपुर का चुनाव

भाजपा की मध्य नागपुर की उम्मीदवारी अभी तक लटकी हुई है,कांग्रेस ने बंटी शेलके को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस में भूचाल ला दिया हैं,हलबा सह मुस्लिम बहुल क्षेत्र में दोनों समुदाय सह अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी कांग्रेस उम्मीदवार के विरोध में खुलकर आ गए हैं.तो दूसरी ओर भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार घोषणा इसलिए नहीं कि क्यूंकि गडकरी अपना तो फडणवीस अपना उम्मीदवार चाहते हैं.दोनों के पास सक्षम उम्मीदवार हैं.गडकरी हलबा विधायक के बदले हलबा उम्मीदवार वह भी अपना निष्ठावान तो फडणवीस प्रवीण दटके के लिए प्रयासरत है.दटके को उम्मीदवारी मिली तो हलबा और मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी।अगर नहीं मिला तो दटके पर निर्भर होगा कि वे किस उम्मीदवार के पक्ष में सक्रीय होते है या निष्क्रिय,क्यूंकि दटके मंडली के बिना यहाँ चुनाव लड़ना आसान नहीं,दटके की जनसम्पर्क रोजाना होने से आज व्यक्तिगत तौर पर वे निर्णायक भूमिका में नज़र आ रहे हैं.

सुनील केदार के मनसूबे पर पानी फिर 

पूर्व विधायक सुनील केदार के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव की सफलता बाद उन्हें यह अहसास होने लगा था कि नागपुर जिले में उन्हें कांग्रेस,एनसीपी शरद पवार, शिवसेना उद्धव ठाकरे सिरे से तवज्जों देगी।इसी आधार पर केदार ने रामटेक लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत सभी 6 विधानसभा क्षेत्र से खुद के मनमाफिक उम्मीदवारों की फाइनल सूची बनाकर कांग्रेस,एनसीपी,सेना नेतृत्वकर्ताओं पर उनके अनुसार अधिकृत उम्मीदवारी घोषणा करने का दबाव बना रहे थे.

इस क्रम में उन्हें बड़ी सफलता यह मिली कि उन्होंने सावनेर से अपने परिजन का आवेदन जमा पहले करवाया फिर बाद में कांग्रेस ने उन्हें अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित की,तब सवाल उठा क्या केदार कांग्रेस से ऊपर है.दूसरी सफलता उन्हें कामठी से मिली,वहां उनके वफादार सुरेश भोयर को कांग्रेस ने उम्मीदवारी दी.वहीं उमरेड से कांग्रेस ने मुकुल वासनिक के करीबी मेश्राम को उम्मीदवार बनाया। सेना ने रामटेक से विशाल बरबटे और एनसीपी ने काटोल से सलिल देशमुख और हिंगणा से रमेश बंग पर विश्वास जताया।अब भले ही चुनाव परिणाम सेना और एनसीपी के विरुद्ध हो,इससे एनसीपी और सेना सुप्रीमो को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन केदार पर फर्क पड़ेगा ,वह सभी के उतनी सिद्दत से मेहनत करेंगे या फिर सावनेर/कामठी तक खुद को सिमित कर लेंगे,अभी भी केदार को बड़ी उम्मीद है,देखते है आगे आगे क्या क्या होता हैं.

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