नागपुर :- इमारतों का कुछ हिस्सा तोड़ने की शर्त पर जिलाधिकारी, एनआईटी और मनपा द्वारा अवैध निर्माण का नियमितीकरण कराए जाने के खिलाफ अजय तिवारी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की.
याचिका पर सुनवाई के दौरान फुटाला चौपाटी पर माफसू की जमीन पर अवैध तरीके से चल रहे रेस्टोरेंट और इसके अतिक्रमण हटाने का मामला उजागर किया गया जिस पर सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं होने की जानकारी उजागर की गई.
इसके बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने सिविल सूट (दिवानी दावा) में जारी की गई राहत पर 31 जुलाई तक अंतिम फैसला करने के आदेश निचली अदालत को दिए. अदालत को बताया गया कि मनपा की अनुमति के बिना ही फुटाला के किनारे रेस्टोरेंट चलाया जा रहा है, जबकि जमीन माफसू के मालकी की है.
मनपा ने जारी किया है नोटिस
उल्लेखनीय है कि फुटाला तालाब के किनारे के इस रेस्टोरेंट को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता ज्वाला धोटे ने मनपा को ज्ञापन दिया था. इसके आधार पर मनपा की ओर से माफसू के उपकुलपति डॉ. आशीष पातुरकर और पूर्व पार्षद की मां को नोटिस जारी किया था. मनपा ने 24 घंटे के भीतर रेस्टोरेंट हटाने के आदेश जारी किए थे. यहां तक कि अवैध निर्माण को भी तोड़ने के आदेश दिए थे. साथ ही माफसू और पूर्व पार्षद की मां के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा.
अंतरिम राहत खारिज करने की अर्जी
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र और सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि निचली अदालत ने विशेष दिवानी दावा की अर्जी पर सुनवाई के बाद अंतरिम राहत प्रदान की थी जिसे निरस्त करने के लिए सरकारी पक्ष ने अर्जी दायर की है. इस अर्जी पर निर्णय करने के लिए हाई कोर्ट ने आदेश जारी किए.
हाई कोर्ट के आदेशों के बाद इस विशेष दिवानी दावा अर्जी को सुनवाई के लिए तो रखा गया किंतु बिना सुनवाई मामला टाल दिया गया. इससे कोई निर्णय नहीं हो पाया है. सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष निचली अदालत की सुनवाई का पूरा ब्योरा भी रखा गया जिस पर हाई कोर्ट का मानना था कि कई बार सुनवाई हुई किंतु दावेदार की मांग पर कई बार मामला स्थगित हो गया. 30 अगस्त 2022 को अंतरिम राहत दिए जाने के कारण मामला लंबित है.