– लोनारा गांव में सड़क – पुलिया निर्माण में धांधली,स्थानीय निकाय इस भ्रष्टाचार का हिस्सा है या उन्होंने इस घोटाले पर आंख मूंद ली है ?
नागपुर – लोनारा ग्राम पंचायत, गोधनी रेलवे में सरकारी धन की हेराफेरी का एक और मामला सामने आया है, जिसमें ग्राम सरपंच, ग्राम उप सरपंच, ग्राम पंचायत लोनारा के सचिव, गोधनी रेलवे और संभवतः जिला परिषद के सदस्य और एक अन्य प्रमुख नेता की मिलीभगत होने का संदेह प्रकट किया जा रहा हैं.नतीजा बनाई गई सड़क संकरी,गुणवत्ता से कोसो दूर,सड़क बहने का खतरा,आसपास के इलेक्ट्रिक पोल गिरने व उससे होने का डर समाया हुआ हैं.
जब TEAM NewsToday24*7 ने पीडब्ल्यूडी नंबर 2 के सम्बंधित अभियंता से इस सम्बन्ध में चर्चा की तो वे कहे कि मंजूर निधि से पहले पुलिया पुल के निर्माण को प्राथमिकता दी गई थी और शेष राशि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया था, इसलिए शेष राशि से सड़क के केवल एक हिस्से का निर्माण किया जा सका। उन्होंने यह भी कहा कि काम पूरा करने वाले बोर्ड पर 2 किमी सड़क और पुलिया पुल के निर्माण का उल्लेख ठेकेदार के बिलों को चुकाने के लिए किया गया है और बोर्ड पर दर्शाया गया सुचना महज एक औपचारिकता हैं,2 किमी सड़क का सटीक विस्तार केवल सांकेतिक है, क्योंकि आवंटित और स्वीकृत राशि पूरी 2 किमी सड़क के निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है, इसलिए केवल 400 मीटर सड़क का निर्माण किया जा सका। जब उनसे पूछा कि क्या उनका बयां ऑफिसियल हैं तो वे भड़क गए,कहे जो कहा दोस्ती के नाते कहा,अधिकृत बयान चाहिए तो “मेरे कार्यालय में आओ, विवरण और जानकारी के लिए एक लिखित आवेदन पत्र दो, फिर हम देखेंगे !
लोनारे गांव के स्थानीय लोगों ने जिस घोटाले की ओर इशारा किया, वह यह है कि लोनारा ग्राम पंचायत क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले लोनारा पंप हाउस क्षेत्र में महादुला की ओर एक पुलिया (पुलिया) सहित 2 किलोमीटर की सड़क बनाने के लिए कुल 22 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी। भूमि पूजन जिला परिषद सदस्य एवं अन्य उपरोक्त ग्राम पंचायत के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा बड़े ही धूमधाम से किया गया। लेकिन लगभग एक साल तक बोर्ड लगाने के बावजूद परियोजना और उसके विवरण की घोषणा करने के बावजूद सड़क का काम शुरू नहीं हो सका। प्रस्तावित परियोजना (सड़क एवं पुलिया पुल) का निर्माण शुरू करने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों के दबाव के बाद आखिरकार ग्राम पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए काम शुरू किया गया (और जब सचिव से पूछा गया कि निर्माण कार्य शुरू करने में लगभग एक साल की देरी क्यों हो रही है) एक परियोजना के बारे में उन्होंने कहा, “पहले बोली लगाने वाले के पीछे हटने के बाद से बार-बार निविदा मंगाई जानी थी और उन्हें एक और बोली लगाने वाले को खोजने और नई निविदा की मंजूरी के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगा”
सवाल यह है कि क्या पहले बोली लगाने वाला किसी परियोजना के लिए बोली लगाने के लिए अपने होश से बाहर था, अपने पक्ष में निविदा स्वीकृत करवाता था और फिर पीछे हट जाता था, उसे अपनी निविदा के अनुसार स्वीकृत राशि के लिए परियोजना को पूरा करने के लिए या ग्राम पंचायत स्थानीय लोगों के लिए एक मनगढ़ंत कहानी बनाने की कोशिश कर रही है?
हालाँकि, सड़क और पुलिया पुल निर्माण की बहुप्रतीक्षित परियोजना आखिरकार लगभग 19 दिसंबर 2022 (लगभग एक साल बाद परियोजना की शुरुआत की तारीख) पर शुरू हुई और लगभग 3 सप्ताह में समाप्त हो गई। और यहीं पर घोटाला सामने आया क्योंकि सड़क 2 किमी लंबी पूरी लंबाई में सिर्फ 400 मीटर है और पुलिया का पुल सिर्फ 4 दिन पहले कंक्रीट स्लैब से बिछाया गया था। तथाकथित सड़क बमुश्किल 2 मीटर चौड़ी है और मूल रूप से 80 मिमी बोल्डर की आधार नींव है जो एक रोड रोलर द्वारा दबाए गए मुर्रम से ढकी हुई है। सड़क की कुल लंबाई आधा किलोमीटर (400 मीटर) से कम है। दूसरी ओर, तथाकथित पुलिया पुल अभी भी उपयोग करने योग्य नहीं है क्योंकि सिर्फ 4 दिन पहले ही कंक्रीट बिछाई गई थी।
सवाल यह है कि 2 किमी लंबाई के डिस्प्ले बोर्ड पर निर्धारित परियोजना के अनुसार सड़क का निर्माण क्यों नहीं किया गया ?
क्या स्थानीय निकायों को इस घोटाले की जानकारी है और हैं तो उनकी चुप्पी भ्रस्टाचार को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी राजस्व को चुना लगा रही हैं ?
उक्त मामले को लेकर एमडीआई फाउंडेशन ने उपमुख्यमंत्री से निष्पक्ष जाँच कर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई सह ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की हैं,समय रहते स्थानीय प्रशासन सह राज्य सरकार ने गंभीर कदम नहीं उठाया तो इस मामले को लेकर एमडीआई फाउंडेशन एक जनहित याचिका दायर करेगी।