158 किसानों के साथ 113 करोड़ की धोखाधड़ी, HC ने आरोपियों को अंतरिम जमानत देने से किया इनकार 

नागपुर :- अनाज गिरवी रखने के बदले कर्ज उठाकर 158 किसानों के साथ कथित 113 करोड़ रु. की धोखाधड़ी को लेकर मौदा पुलिस की ओर से मामला दर्ज किया गया. एक ओर जहां मामले दर्ज किए गए, वहीं दूसरी ओर कथित आरोपियों के गोदाम भी जब्त किए.

मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए मुख्य अभियुक्त रामराव बोल्ला की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिक पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इसे गंभीर मामला करार देते हुए अंतरिम जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से पैरवी कर रही अधि. तुप्ति उदेशी ने कहा कि जांच के दौरान कई तथ्य उजागर हुए हैं. जिसमें 158 किसानों के हस्ताक्षर प्राप्त कर प्राथमिक स्तर पर 77.78 करोड़ का लोन प्राप्त किया गया. जिन्हें याचिकाकर्ताओं की 12 कम्पनियों में परिवर्तित किया गया.

सरकारी योजना का दिया झांसा

दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता हनुमान दाल इंडस्ट्रीज और तिरूमला दाल उद्योग के मालिक है. जांच के दौरान कई किसानों के बयान दर्ज किए गए. जिसमें उन्होंने कहा कि कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर लिए गए. सरकारी योजना का लाभ दिलाने के लिए बैंक खाते खोलने का बहाना किया गया. हस्ताक्षरित कोरे कागजों का इस्तेमाल किसानों के नाम पर कर्ज लेने के लिए किया गया. सरकार की ओर से लेन-देन पूरा कच्चा-चिट्ठा भी रखा गया. जिसके अनुसार नागमनी वीरवेंकटराव वकालूडी के खाते में 49.94 लाख रु. परिवर्तित किए गए. इसी तरह से याचिकाकर्ता रामराव बोल्ला के खाते में 30.11 लाख और 19.26 लाख रु. जमा किए गए. इसी तरह से 27 फरवरी 2017 को पुन: 30.81 लाख रु. ट्रांसफर किए गए. इसके अलावा जगदीश गजभिये के खाते से 49.89 लाख और सुखदेव गजभिये के खाते से 47.98 लाख रु. भी इसके खाते में जमा किए गए.

कई खातों का मसला उजागर

अदालत ने आदेश में कहा कि इस तरह से याचिकाकर्ता के खाते में कई खातों से पैसा परिवर्तित होने के मामले है. भ्रष्टाचार नियंत्रण सेल के जांच अधिकारी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार सह आरोपी रामनराव बोल्ला के गोदाम में जमा कृषि उपज के आधार पर कर्ज मंजूर किया गया. कुल मिलाकर पहले 104.21 करोड़ के कर्ज की प्रक्रिया पूरी की गई. सह आरोपी रामनराव उनकी पत्नी विजयालक्ष्मी और उनके भाई तिरूपतराव और अन्य परिजनों के नाम पर कर्ज की राशि डाली गई.

सरकारी पक्ष ने सुनवाई के दौरान कहा कि पब्लिक का पैसा अवैध रूप से आरोपियों द्वारा प्राप्त किया गया. ऐसे में इन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है. सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि अपराध से संबंधित जो भी तथ्य रखे जा रहे हैं, वे पर्याप्त है. जिसमें याचिकाकर्ताओं का सीधा समावेश साबित हो रहा है. गरीब किसानों के साथ धोखा किया गया है. ऐसे में किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर याचिका ठुकरा दी.

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