ब्लैकलिस्टेड ‘एमकेसीएल’ को परीक्षा का टेंडर क्यों ? 

– विधानपरिषद में विधायक द्वय अभिजीत वंजारी,प्रवीण दटके ने मामला उठाया,मंत्री ने दिए जांच का आदेश

नागपुर – राष्ट्रसंत टुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) ने ब्लैक लिस्टेड MKCL को प्रथम वर्ष की परीक्षाओं का ठेका देने का फैसला किया है। इस फैसले का जहां स्थानीय विधायकों सहित सदस्यों ने विरोध किया, वहीं कुलगुरु डॉक्टर सुभास चौधरी ने विरोधकर्ताओं के मांग को खारिज करते हुए एमकेसीएल को ठेका दे दिया. इसलिए विधायक अभिजीत वंजारी ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने विधान परिषद में सवाल किया,इसके बाद मंत्री ने दिए गए ठेके की जांच करने की घोषणा की.

2016 तक, एमकेसीएल को विश्वविद्यालय में परीक्षा कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि,करार के अनुसार विश्वविद्यालय को सेवाएं प्रदान नहीं करने के लिए एमकेसीएल को दोषी ठहराया गया था। कई बार सीनेट की बैठक में सदस्यों ने इस ओर ध्यान खींचा है। इसलिए 2014 से 2016 के बीच विश्वविद्यालय ने एमकेसीएल द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की बड़ी मात्रा के कारण साढ़े तीन करोड़ के बिल को रोक दिया था। इसके अलावा एमकेसीएल को 2016 से परीक्षा कार्य के लिए आयोजित निविदा प्रक्रिया में भी काली सूची में डाला गया था।

जनवरी 2016 में राज्य सरकार ने एमकेसीएल को सरकारी कंपनियों की श्रेणी से बाहर करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था। हालांकि कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी ने फिर एमकेसीएल को परीक्षा का ठेका देने का फैसला किया। इस बीच विश्वविद्यालय ने उनके द्वारा रोके गए साढ़े तीन करोड़ रुपये वापस करने का भी फैसला किया। इस फैसले का सीनेट के सदस्यों ने विरोध किया था। कुलपति ने खुद जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें ठेका दे दिया। साथ ही प्रथम वर्ष की परीक्षा से लेकर मार्कशीट देने तक के कार्य दिए गए।

इस संबंध में गुरुवार को अभिजीत वंजारी ने विधान परिषद में सवाल उठाया और जांच की मांग की। इसके अलावा प्रवीण दटके ने एमकेसीएल का भुगतान करने के लिए छात्रों की फीस बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने पूरे मामले की जांच का वादा किया। मामले की जांच के लिए बैठक की जाएगी और तत्काल नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बैठक और जांच में विधायकों को भी शामिल किया जाएगा.

विश्वविद्यालय में शीतकालीन परीक्षाओं के प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम पांच महीने बाद भी लंबित है। प्रशासन की गलतियों से छात्रों को नुकसान हो रही है और दूसरे सेमेस्टर के दाखिले भी ठप हैं. परीक्षाओं में भारी गलतियाँ करने के पिछले इतिहास के बावजूद, कुलपति डॉ. महाराष्ट्र ज्ञान महामंडल लिमिटेड (MKCL) पर कुलकुरु की मेहरबानी से शीतकालीन परीक्षा में छात्रों को नुकसान हो रहा.

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