सूचना अधिकार का अधिकारीयों द्वारा अपमान

आवेदक प्रशिक्षित , लेकिन अप्रशिक्षित जन सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारीयों के हाथोमें कानून

नागपुर :- केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आम नागरिकों को समय पर और उचित न्याय दिलाने के लिए , सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार को दूर करने और उनमें पारदर्शिता लाने के लिए ब्रह्मास्त्र जैसा हथियार बन चुका है, लेकिन सरकार और प्रशासनके उच्च शिक्षित लेकिन अप्रशिक्षित अधिकारी और कर्मचारीयों द्वारा ही कानून का उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसी राज्यके कई सूचना अधिकार कार्यकर्ताओ और आवेदको द्वारा तीव्र प्रतिक्रियाये व्यक्त की जा रही हैं .

केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 5 जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी और मानीव जन सूचना अधिकारी और धारा 19 प्रथम अपीलीय सूचना अधिकारी के कार्यों और कर्तव्यों को परिभाषित करती है. साथ ही इस अधिनियम की धारा 26 में सरकार द्वारा इस कानून के प्रशिक्षण, जनजागरूकता एवं प्रचार प्रसार के लिए कार्यक्रमों की तैयारी एवं क्रियान्वयन करनेके बारे में बताया गया है . तदनुसार, सूचना का अधिकार प्रशिक्षण केंद्र (यशदा) महाराष्ट्र राज्य के पुणे में स्थापित किया गया है. इस केन्द्र में सरकार एवं प्रशासनिक अधिकारियों को केन्द्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 सहित विविध उपयुक्त कानूनों पर विशेषज्ञ द्वारा विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही इच्छुक नागरिक, कानून के छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार एवं एनजीओ के सदस्य आदि भी यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं , ऐसी सूचना अधिकार कार्यकर्ता महासंघ के राज्य कार्याध्यक्ष शेखर कोलते इन्होंने जानकारी दी.

(प्रतिक्रिया)

 कई बार सुनवाईका बहिष्कार करना पड़ा …

मैं पिछले तेरह वर्षों से केंद्रीय सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 विषय पर काम कर रहा हु और एक अभ्यासक तथा प्रशिक्षक भी हु. हालही में मैंने खुद यशदा से सूचना का अधिकार विषय पर बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया है. साथ ही हमारे महासंघ के सैकड़ों कार्यकर्ताओंने भी यह प्रशिक्षण लिया है. ईमानदार अधिकारियों को इस संबंध में हम हमेशा मार्गदर्शन और समर्थन करते है. लेकिन जब सुनवाईके दौरान कुछ असभ्य अधिकारियोंसे उनका प्रशिक्षण प्रमाणपत्र मांगा जाता है, जब मुझे पता चलता है कि वे अप्रशिक्षित हैं और कानूनसे अनभिज्ञ हैं, तब मुझे अपना और इस कानूनका अधिक अपमान किये जैसा लगता है. उस समय मैं और मेरे कार्यकर्ता उस सुनवाई का सीधा बहिष्कार कर देते है.

शेखर कोलते,राज्य कार्याध्यक्ष- महासंघ

(प्रतिक्रिया)     

कानूनका ज्ञान होना अनिवार्य……

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की वजह से जन सूचना अधिकारियों और अपीलीय अधिकारियों को गहन प्रशिक्षण देना अति आवश्यक बना दिया है. क्योंकि कानून में कौन सी जानकारी देनी चाहिए और कौन सी नहीं देनी चाहिए, कौन सी जानकारी स्वयं घोषित करनी चाहिए. यह बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है. इसके बावजूद जन सूचना अधिकारी कानूनका उलंघन करते हैं. गलत जानकारी देते है , असंगत तर्क देते है, क्योंकि उन्हें कानून का ज्ञान नहीं होता. सभी जन सूचना अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना बहोत जरुरी हो चुका है.

सुभाष बसवेकर,संस्थापक अध्यक्ष – महासंघ

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