नागपूर :- लोकतंत्र देश में आम चुनाव होना 5 साल की एक प्रक्रिया है। व्यापार दिन रात बाराओ महीने चलते रहता है। चुनाव में आचार संहिता लगाना अच्छी बात है। उतना ही जरूरी है की व्यापार जिस तरीके से चलता है वह प्रभावित ना हो , चलाता रहे। व्यापार में, शहर के व्यापारी विभिन्न गांव में, देहातों में, आदिवासी इलाकों की दुकानों में माल भेजते रहते हैं। समय-समय पर दौरा लगाकर अपने पैसे की वसूली करते हैं। काफी बड़ी रकम उनके पास जमा रहती है। इसी प्रकार सोना चांदी के व्यापारी व अन्य सामानों के व्यापारी अपनी गाड़ियों में माल भरकर गांव-गांव बेचते हैं। सामान के सामने पैसे जमा करते है। इस तरह से व्यापारियों के पास बहुत सारा पैसा और सोना चांदी आभूषण आदि व्यापार संबंधित रहते हैं। अर्थव्यवस्था को चलाए रखने के लिए यह सब अनिवार्य है।
आगे शादी का मौसम भी शुरू होने वाला है। ऐसे समय माल की खपत बढ़ जाती है। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्र से बहुत से लोग नगद पैसे लेकर शहर में खरीदी करने आते हैं। कहने का तात्पर्य है कि बाजार में, यात्रा में, पैसे लेकर सफर करना व्यापारी जरूरत बन जाता है।
चुनाव की घोषणा होते हf आचार संहिता लग जाती है। चुनाव में भ्रष्टाचार ना हो, पैसे से चुनाव प्रभावित न हो,
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग दिशा निर्देश देता रहता है। अर्थव्यवस्था चलाने के लिए व्यापारियों को नगद, सोने चांदी के आभूषण आदि लेकर यात्रा करना अनिवार्य है, तो दूसरी तरफ पैसे का चुनाव में दुरुपयोग ना हो यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है। कॉन्फ़िडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स का हमेशा से मानना रहा है कि व्यापार और व्यापारी को प्रभावित न करते हुए आचार संहिता का पालन होना चाहिए। अगर पैसा या आभूषण ले जाने वाले के पास पैन कार्ड और बाकी दस्तावेज है तो इस प्रकार का सामान मिलने पर एक नोंद कर ली जाए मगर उसका माल जप्त ना हो। बाद में वेरिफिकेशन हो सकता है। गलत मिले तो कार्रवाई भी की जा सकती है। मगर माल जप्त कर लेने से, पैसा जप्त कर लेने से, व्यापार बाधित होता है। अतः कॉन्फ़िडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतीया ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वे कोई ऐसा रास्ता निकाले की सही व्यापारी अगर पैसे या आभूषण लेकर आ जा रहा है तो उसका माल जप्त नहीं किया जाए।