– विधायक अपात्रता मामले का फैसला लोकतांत्रिक परंपरा को कालिख पोतनेवाला,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का आरोप, सुको के निर्देशों को न मानकर विधानसभा अध्यक्ष का फैसला
मुबंई :- शिवसेना पार्टी के विधायक अपात्रता मामले में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने दियाा फैसला यह महाराष्ट्र व देश की राजनीति का काल दिन है. विधानसभा अध्यक्षपद यह निष्पक्ष होता है परंतु इस फैसले को देखते हुये यह फैसला निष्पक्ष नही लगता. संविधान की उपेक्षा करते हुये संविधान के 1० वें शेड्युल की अनदेखी की गई, ऐसा दिखाई देता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भी इस समय अनदेखी की गई यह साफ नजर आता है. राहुल नार्वेकर ने दिया फैसला दिल्ली में बैठ़ी गुजरात लॉबी ने लिखा हुआ ड्राफ्ट लगकर यह फैसला महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक परंपरा को कालिख पेातनेवाली है, ऐसा आरोप प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने किया है.
विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर तिलक भवन में प्रतिक्रिया देते हुये नाना पटोले ने कहा कि, विधायक अपात्रता का मामला कोर्ट में 9 माह चला व मई 2०23 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देने के बाद विधानसभा अध्यक्ष् ने फैसला देने के लिये और 7 माह लगाये. फैसला देते हुये नार्वेकर ने शिवसेना का 1999 का संविधान मान्य किया. इस संविधान के अनुसार ठाकरे की ही शिवसेना है यह स्पष्ट होते हुये 2०18 की शिवसेना का संविधान मंजूर नही यह कहते हुये मूल पार्टी एकनाथ शिंदे की ही है, ऐसा अनाकलनीय फैसला दिया है. शिवसेना पार्टी फुटने के पहले उद्धव ठाकरे पार्टी के प्रमुख थे व सुप्रीम कोर्ट ने भी उद्धव ठाकरे की पार्टी के सुनिल प्रभू यह प्रतोद है यह स्पष्ट किया, ऐसा स्पष्ट करने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनिल प्रभू का पार्टी प्रतोद पद अमान्य करते हुये एकनाथ शिंदे गुट के भरत गोगावले को प्रतोद के रूप में मंजूरी दी. चुनकर आये विधायक -सांसद यह मूल पार्टी नही होती है. परंतु विधायकों के बहुतमत का आधार लेकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना यह एकनाथ शिंदें की है, ऐसा फैसला दिया है. उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के एक भी विधायक को अपात्र नही किया यह खास बात है, यह फैसला एकतरफा लगता है. यह फेसला देने के लिये टाइम पास किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने दो-तिन बार फटकार लगाने के बाद इस मामले को पूर्णविराम देने का प्रयास किया गया ऐसा दिखाई देता है. कांग्रेस का न्यायव्यवस्था पर भरोसा है, ऐसा पटाले ने कहा है.
आम जनता को क्या लगता है
आम जनता को क्या लगता है इस बारे में अधिकांश लोगों ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी ने देश में जो कुछ चलाया है वह लोकतंत्र के लिये घातक है, यह ऐसा ही चलते रहा तो राजनीतिक पार्टियों का अस्तित्व ही नही बचेगा और भाजपा को भी यही चाहिये. देश में विपक्ष न रहे इसके लिये भाजपा की कुटील राजनीति शुुरु है. इसलिये लोकतंत्र व संविधान बचाने के लिये विपक्ष की भूमिका होनी चाहिये, ऐसा आम जनता को लग रहा है.