श्रीमद् भागवत कथा: षष्ठम दिवस का दिव्य और भक्तिमय वृतांत

– “जीवन में मोक्ष का चिंतन आना बहुत कठिन है, वैसे ही भगवान को पाना भी अत्यंत कठिन है।”

नागपुर :- नवजीवन कॉलोनी, वर्धा रोड, नागपुर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भक्तों ने भक्ति और ज्ञान के अमृत का रसपान किया। कथा वाचक श्री श्री 1008 स्वामी डॉ. बद्रिप्रपण्णाचार्य (चित्रकूट निवासी) ने कहा, “प्रभु कृपा से प्रेरित होकर हम कथा का श्रवण कर रहे हैं। यह ईश्वर का आशीर्वाद है कि हम इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बन रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “जिन्हें भगवान की कृपा का अनुभव हो रहा है, वे वास्तव में भाग्यशाली हैं। जो भक्त श्रीमद् भागवत कथा का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें कहीं और भटकने की आवश्यकता नहीं है।”

कथा का महत्व और मोक्ष का चिंतन

स्वामी ने कथा श्रवण के महत्व को बताते हुए कहा, “कथा में एकाग्र भाव से बैठा हुआ आधा क्षण भी अत्यंत मूल्यवान है। यदि आवागमन के चक्र से मुक्त होना है, तो भगवान की कथा में लीन हो जाओ।”

वेदांत देशिक स्वामी और रामानुज स्वामी के विचारों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “जीवन में मोक्ष का चिंतन आना अत्यंत दुर्लभ है। जब किसी जीव का जन्म होता है और भगवान की दृष्टि उस पर पड़ती है, तभी उसमें सात्विकता और मोक्ष का विचार उत्पन्न होता है।”

स्वामी ने कहा, “भगवान को पाना भी उतना ही कठिन है। केवल प्रवचन देना, बुद्धि का प्रदर्शन करना, या वेदों का अध्ययन करना ही पर्याप्त नहीं है। जो व्यक्ति वेद-पुराणों के अनुसंधान और भगवान के स्वरूप का चिंतन करता है, वही भगवान को प्राप्त कर सकता है।”

कृष्ण लीला और रुक्मिणी विवाह का वर्णन

षष्ठम दिवस की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन हुआ, जिसने भक्तों को आनंद और भक्ति से भर दिया। स्वामी जी ने श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के दिव्य विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह रुक्मिणी जी ने अपने हृदय में केवल श्रीकृष्ण को ही स्थान दिया और उनके प्रति अटूट भक्ति और प्रेम दिखाया।

इस विवाह के प्रसंग ने यह सिखाया कि जब भक्ति सच्ची और निःस्वार्थ होती है, तब भगवान स्वयं भक्त के पास आते हैं। कथा में भगवान के इस अद्भुत प्रेम और कृपा का बखान करते हुए श्रद्धालुओं ने अपनी भक्ति को और भी दृढ़ किया।

“षष्ठम दिवस की कथा संपन्न हुई”

श्रद्धालुओं ने इस दिन के प्रवचनों से गहन आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया। स्वामी जी ने उन्हें प्रेरित किया कि वे श्रीमद् भागवत का नियमित श्रवण करें और अपने जीवन में भक्ति, ज्ञान, और भगवान की कृपा को आत्मसात करें।

भक्तिमय वातावरण

कथा स्थल पर पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। श्रद्धालुओं ने भजनों और प्रवचनों के माध्यम से अपनी आत्मा को भगवान के चरणों में समर्पित किया।

श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र के अद्भुत वर्णन के साथ दायमा परिवार द्वारा श्री मद् भागवत कथा का यह दिव्य आयोजन 3 जनवरी 2025 को पूर्ण होगा।

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