– सभी पंजीकृत लाभार्थियों में नहीं बंटी सामग्री,कार्यक्रम के आयोजन के टेंडर के लिए भिड़े थे दो तथाकथित दिग्गज भाजपाई, प्रमुख आयोजक मनपा प्रशासक ने परेशान होकर भाजपा वरिष्ठ विधायक से दोनों को समझाने के लिए किया था संपर्क
नागपुर :- नागपुर महानगरपालिका में टेंडर घोटाला आम बात हो गई,इससे पहले सीमेंट रोड फेज -2 के टेंडर घोटाले ने अच्छी खासी सुर्खियां बटोरी थी,लेकिन मनपा प्रशासक ने ‘उलटे मटके’ का रुख अख्तियार करने से मामला दब गया.इसके बाद कुछ माह पहले केंद्र सरकार की ADIP योजना व ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ अंतर्गत शहर के दिव्यांग व अपंगों को उनके जरुरत की सामग्री वितरण कार्यक्रम के टेंडर सह आयोजन में बड़ी धांधली हुई. इसकी भी पूर्व जानकारी मनपा प्रशासक को होने के बाद उनकी चुप्पी से उनकी कार्यशैली पर उंगलियां उठ रही हैं.मनपा प्रशासक और भाजपा पदाधिकारियों के कारण योजना का बंटाधार तो हुआ ही,साथ में गडकरी का सपना भी चूर चूर हो गया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नगर के दिव्यांगों व विकलांगों के हितार्थ केंद्र सरकार की ADIP योजना व ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ नागपुर शहर के लिए लाई थी,इसको सफल बनाने के लिए मनपा को प्रमुख आयोजक बनाया गया था.इसके लिए करोड़ों की राशि मनपा को मिली थी.
क्यूंकि मनपा और शहर में भाजपा प्रभावी है और उनके नेता ने उक्त योजना को शहर के लिए लाया था इसलिए उक्त कार्यक्रम को सम्पूर्ण शहर भर के लिए एक जगह करने के बजाय विधानसभा निहाय करवाया गया.शहर भाजपा की ओर से इस कार्यक्रम का प्रमुख शहर भाजपा के विवादास्पद पदाधिकारी बाल्या बोरकर को बनाया गया था.उसके बाद उक्त कार्यक्रम के लिए सभी भाजपा नगरसेवकों और पदाधिकारियों को 200 से 500 लाभार्थियों को कार्यक्रम में लाने का टारगेट दिया गया था.
उक्त कार्यक्रम के लिए सम्पूर्ण शहर से लगभग 35000 लाभार्थियों की सूची बनाई गई,सबसे ज्यादा दक्षिण नागपुर से 12000 और सबसे कम उत्तर नागपुर से 2200 लाभार्थियों की सूची तैयार की गई थी.
सूत्र बतलाते हैं कि सम्पूर्ण शहर भर के दिव्यांगों व अपंगों के लिए केंद्र सरकार की ओर से लगभग 40 करोड़ की सामग्री मिली थी,इसके अलावा कार्यक्रम आयोजन सह,मंडप-डेकोरेशन-आगंतुकों के लिए भोजन पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए राशि में से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के आयोजन पर 5-5 करोड़ रूपए खर्च किया गया.
कार्यक्रम आयोजन सह,मंडप-डेकोरेशन-आगंतुकों के लिए भोजन के लिए टेंडर निकाला गया था,जिसे हथियाने के लिए बाल्या बोरकर और उसके आका के मध्य द्वंद्व हुई.जिससे मनपा प्रशासक काफी परेशान हो गए थे,इससे सुलझाने के लिए उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ विधायक से मदद मांगी थी लेकिन बात नहीं बनी और आखिरकार बाल्या बोरकर के कारण ‘टेंडर मैनेज’ किया गया.टेंडर के लिए भिड़े दोनों भाजपाई नेताओं के करीबियों को ही उक्त सभी 6 आयोजनों का टेंडर मिला। विधानसभा निहाय कार्यक्रम में 10-10 हज़ार उपस्थितों के लिए भोजन का टेंडर निकाला गया और 2-2 हज़ार उपस्थितों को भोजन देकर कर पूर्ण बिल उठाया गया.
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार से उक्त योजना के लिए मिली सामग्रियों का वितरण पूर्णतः नहीं किया गया,परिचित लाभार्थियों को दोबारा सामग्री दी गई और तो और शेष बची सामग्रियों को बेचने की भी सुचना मिली हैं. इसकी भनक गडकरी को लगी तो उन्होंने मंडल निहाय कार्यक्रम को रद्द कर सुरेश भट्ट सभागृह में एक बड़ा कार्यक्रम कर अपनी शाख बचाने की कोशिश की.उक्त मामले की जाँच एमओडीआई फाउंडेशन ने मनपा प्रशासक से की,अन्यथा जल्द ही इस जनहितार्थ मुद्दे में हुई धांधली को लेकर एमओडीआई फाउंडेशन न्यायालय की शरण में जाएगी,जिससे होने वाली नुकसान के जिम्मेदार ,मनपा प्रशासक की होगी।