लोकनाथ स्वामी महाराज के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रभुपादानुगा स्मृत्योत्सव संपन्न

नागपूर :- इस्कॉन संस्थापकाचार्य ए सी भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद के प्रिय शिष्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज का 75 वा जन्म दिन, तीन दिवसीय कार्यक्रम अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। प्रथम दिवस प्रभुपाद के शिष्यों द्वारा अपने गुरु श्रील प्रभुपाद का स्मरण एवं गुणगान किया गया।

दूसरे दिन का कार्यक्रम भी सुबह 4.30 बजे मंगल आरती के साथ प्रारंभ हुआ। उसके बाद नृसिंह आरती एवं ठीक 5.15 बजे चैतन्य महाप्रभु रचित शिक्षास्टकम का गायन किया गया। उसके बाद दूसरे दिन भी हजारों भक्तों ने लोकनाथ स्वामी महाराज के समक्ष बैठ कर एवं 2500 देश विदेश के भक्तों ने ऑनलाइन ज़ूम के माध्यम से जुड़ कर हरे कृष्ण महामंत्र “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।” का सामूहिक जप किया।

व्यास पूजा उत्सव समिति के प्रवक्ता डॉ. श्यामसुंदर शर्मा ने बताया कि जप के तुरंत पश्चात लोकनाथ महाराज के शिष्यों के द्वारा अपने गुरु महाराज का गुणगान किया तथा गुरु महाराज के साथ बिताए कुछ पलों को याद किया। इस कार्यक्रम का संचालन अमेरिका के सनक सनातन प्रभु ने किया। इंग्लिश से हिंदी में ट्रांसलेशन अनंतशेष प्रभु ने किया तथा ऐप के माध्यम से हिंदी से इंग्लिश में ट्रांसलेशन हरिकीर्तन प्रभु ने किया।

जिन भक्तों ने गुणगान किया उनमें प्रमुख है अमेरिका से यमुना माताजी एवं परमधाम प्रभु, न्यूजर्सी से सिम्हेश्वर प्रभु, अलाचुआ से गौरा चांद प्रभु, वृंदावन से श्रीराम पंडित प्रभु, सैंडिएगो अमेरिका से लाडली माताजी, साउथ अफ्रीका से कुलशेखर प्रभु, मोरिसस से सखिवृंदा माताजी एवम सुंदराचल प्रभु , साउथ अफ्रीका से कृष्ण केशव प्रभु, जांबिया से जय गोविंद प्रभु, न्यूजर्सी अमेरिका से रामचंद्र प्रभु, नई दिल्ली से गोवर्धन प्रभु, बोस्टन से ऋषिकेश प्रभु, सोलापुर से गदाधर पण्डित एवं मुंबई से नित्यकीर्ति माताजी।

प्रभुपादानुगा स्मृत्योत्सव

अल्प अवकाश के बाद प्रभुपादानुगा स्मृत्योत्सव का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में श्रील प्रभुपाद के जो शिष्य गोलोक धाम गमन कर गए उनको याद किया गया।

सर्वप्रथम साउथ अफ्रिका के भक्ति धीर दामोदर स्वामी महाराज ने भक्ति तीर्थ स्वामी महाराज के गुणानुवर्णन करने के पहले ब्रम्हानंद प्रभु के बारे ने कहा। पाकिस्तान के सार्वभौम प्रभु (जो करांची मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस डॉक्टर रहे) ने ब्रह्मानंद प्रभु नृसिंह चैतन्य प्रभु एवं विभु चैतन्य प्रभु के बारे में बहुत रोचक जानकारी दी। तोषण कृष्ण प्रभु ने न्यूयार्क के भक्तों की प्रसंशा करते हुए बताया कि लॉस एंजेलिस, जुहू इस्कॉन एवं वृंदावन के मंदिर के निर्माण कार्य में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। मंजरी माताजी ने भक्ति स्वरूप दामोदर महाराज के कार्यों की बहुत प्रसंशा की। गर्ग मुनि प्रभु ने ब्रम्हानंद प्रभु के बारे में वीडियो के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी। भक्ति प्रेमस्वामी महाराज ने भक्तिचारु स्वामी महाराज को याद किया।रसिया के हिंदी के प्रोफेसर सीताराम प्रभु ने अनंतशांति प्रभु का गुणगान किया। इस्कॉन वृंदावन के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर विश्वनाम प्रभु ने प्रभुपाद के शिष्य यशोमती नंदन प्रभु के बारे बताया। मोरिसस के सुंदर चैतन्य स्वामी महाराज ने अमेरिका के कदम कानन स्वामी महाराज एवं भक्ति चारु महाराज का गुणगान किया।महादेवी माताजी ने अमेरिका की यमुना माताजी के कार्यों की प्रसंशा की

अंत में श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज ने बताया कि प्रभुपाद के 5000 शिष्य थे। उन्होंने इस्कॉन के कुल 108 मंदिर पूरे विश्व में बनाए। इस्कॉन की स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 70 वर्ष की उम्र में प्रभुपाद न्यूयॉर्क में एक किराए के कमरे में दस बारह हिप्पी लड़कों के साथ बैठे हुए थे। ये सभी प्रभुपाद के फॉलोअर बन गए थे। प्रभुपाद ने पूछा में एक संस्था बनाना चाहता हूं क्या आप मेरा साथ देंगे। लड़कों ने पूछा इसमें हमे क्या करना होगा। तब प्रभुपाद ने कहा मेरी चार शर्तें है उनका पालन करना पड़ेगा। वो है 1) कोई नशा नहीं करेगा, यहां तक चाय कॉफी भी नहीं। 2) अवैध स्त्री सम्बंध नहीं करोगे। 3) मांस मछली नही खाओगे यहां तक लहसुन प्याज भी नही। 4) कभी जुआ नही खेलोगे। यह शर्ते सुनने के बाद सभी एक दूसरे की तरफ देखने लगे। तब प्रभुपाद ने सभी से पूछा कौन कौन इन शर्तों को मानने के लिए तैयार है। तब एक साथ सभी ने हाथ खड़े किए और इस्कॉन बन गया। उनमें से एक श्यामसुंदर प्रभु को इसके रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी सौंपी। ये दस बारह लोग करीब करीब सभी संन्यासी बन गए। इनके सहयोग से ही प्रभुपाद ने 5000 शिष्य एवं 108 मंदिर बनाए।

दोपहर चार बजे भोजनावकास के बाद गुरुकुल के बच्चे एवं जगन्नाथ प्रभुजी ने वेद मंत्रों के साथ मंगलाचरण किया। उसके बाद 75 वें वर्ष में श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज को 75 तीर्थों का जल एवं प्रसाद समर्पित किया गया। इसके बाद अधिवास कार्यक्रम प्रारंभ हुआ jime तरहत्तरह के भजन प्रस्तुत किए। अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम में ओडिसी डांस, श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज की जीवनी पर नाटक का दूसरा पार्ट प्रस्तुत किया गया।

– डॉ. श्यामसुंदर शर्मा

प्रवक्ता

Contact us for news or articles - dineshdamahe86@gmail.com

NewsToday24x7

Next Post

धांधली करने वाली अल्पसंख्यक शालाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द कर के एफआईआर दर्ज कराएं

Fri Jul 19 , 2024
– राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने विभागीय शिक्षा उपसंचालक को दिए निर्देश    – ७०० अल्पसंख्यक शालाओं की ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी  नागपुर :- अल्पसंख्यक मान्यताप्राप्त शालाओं को सरकार की तरफ से पर्याप्त अनुदान मिलता है. इसके बावजूद ऐसी स्कूलों में अल्पसंख्यक समाज के विद्यार्थियों को ही नियम अनुसार प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जबकि दलालों के माध्यम से प्रवेश […]

You May Like

Latest News

The Latest News

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com