जिप शिक्षा विभाग में पेंशन घोटाला, CEO ने किया निलंबित

मृत शिक्षकों की पेंशन भी पचा रही थी महिला लिपिक

अपने रिश्तेदारों के बैंक खाते अटैच कर उड़ाए करोड़ों

नागपुर :- जिला परिषद शिक्षा विभाग पारशिवनी पंचायत समिति अंतर्गत कार्यरत एक महिला लिपिक द्वारा मृत पेशनधारकों की पेंशन हड़पने का ऐसा चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ जिससे जिप प्रशासन व सारे अधिकारी भौंचक रह गए. नेवारे नामक महिला लिपिक के पास शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के पेंशन के कामकाज वाले टेबल की जिम्मेदारी थी. उसने जिन पेंशनधारकों का निधन हो गया उनके वारिसदारों के नाम अपने स्वयं के, अपने मृत पति, पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों, करीबी मित्रों आदि के बैंक खातों से संलग्न कर पेंशन की रकम डायवर्ट कर दी. इस तरह मृत शिक्षकों, कर्मचारियों की पेंशन की राशि उन खातों में हर महीने जमा होने लगी. महिला लिपिक की इस शातिराना हरकत से पूरा प्रशासन सन्न रह गया है. सीईओ योगेश कुंभेजकर ने उसे तत्काल निलंबित कर जांच के लिए 3 अधिकारियों की समिति गठित की है. महिला लिपिक नेवारे मई 2021 से अवकाश पर चल रही है. इसकी भी विभागीय जांच जारी होने का पता चला है. वह वर्ष 2013 से एक ही जगह पर एक ही टेबल पर नियुक्त बताई जा रही है और वर्षों से मृत पेंशनधारकों का खाता बंद न करते हुए उनकी पेंशन की राशि डकार रही है. इस तरह करोड़ों रुपये उसके द्वारा हड़पे जाने की चर्चा है.

ऐसे हुआ खुलासा

सूत्रों के अनुसार, जब महिला लिपिक अनेक महीनों से अवकाश पर चल रही थी, उसके टेबल का काम दूसरे कर्मचारी को सौंपा गया. तब उसके द्वारा किए गए घोटाले उजागर हुए. पंचायत समिति स्तर पर गट-शिक्षाधिकारी ने जांच कर प्राथमिक रिपोर्ट सीईओ को सौंपी. इसे जिला परिषद का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है. सीईओ ने वित्त व लेखा अधिकारी की अध्यक्षता में शालेय पोषण आहार विभाग के वित्त अधिकारी और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी की टीम जांच के लिए गठित की है. टीम ने शुक्रवार को पारशिवनी जाकर जांच शुरू कर दी है. रिपोर्ट आते ही प्रशासन द्वारा पुलिस को मामला सौंपा जा सकता है.

हर महीने 5 लाख की हेराफेरी

इस महिला लिपिक के पास पारशिवनी पंस अंतर्गत लगभग 190 से अधिक पेंशनरों का काम था. जिस पेंशनर का निधन हो जाता, उसकी पेंशन बंद न करते हुए वह पेंशन राशि अपने रिश्तेदारों के बैंक खाते से जोड़कर हेराफेरी कर रही थी. सूत्रों के अनुसार, प्राथमिक रिपोर्ट में सामने आया है कि वह हर महीने 5 लाख रुपये पचा रही थी. मार्च 2022 में जब पेंशनरों के ‘लाइफ सर्टिफिकेट’ की जांच की गई तो लगभग 30 के नहीं आए थे. पंस अधिकारी ने उनसे जिंदा होने का प्रमाणपत्र मंगवाया लेकिन फिर भी करीब 20 के नहीं आए. 2-4 महीने इंतजार किया गया और फिर अधिकारी ने उनके पेंशन से जुड़े बैंक अकाउन्ट्स की बैंकों में जाकर जांच की. वहां जिन व्यक्तियों के मोबाइल नंबर, पता मिले उनसे संपर्क किया गया तो उनके दूसरे ही व्यक्ति होने का पता चला.

लिपिक के मृत पति का भी अकाउंट

जांच में सामने आया कि महिला लिपिक जिसके पति की 2019 में मृत्यु हो चुकी है, उसके बैंक खाते, उसके खुद के और परिवार के अन्य सदस्यों, रिश्तेदारों आदि के खातों में मृत पेंशनरों की पेंशन राशि जमा हो रही है. ये खाते विविध 6 बैंकों में हैं जिनमें 18 से 20 मृत पेंशनरों की पेंशन हर महीने लगभग 5 लाख रुपये जमा होती रही. सूत्र ने बताया कि करीब 5-6 वर्षों से उसका यह गोरखधंधा चल रहा था. सूत्र के अनुसार, जांच समिति ने शुक्रवार को पंस पारशिवनी जाकर रिकॉर्ड्स की जांच की. पता चला है कि वहां से अनेक रिकॉर्ड गायब हैं जो नहीं मिले और अब रिकॉर्ड की खोजबीन शुरू की गई है.

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