२८ सितम्बर से नौ दिवसीय धर्मचक्र तपस्या पूर्णाहूति समारोह

– निकलेगी तपस्वियों की भव्य शोभायात्रा

– १३० तपस्वियों का होगा बहुमान

नागपुर :- श्रीमद् जैनाचार्य दर्शनवल्लभ सूरी म.सा. के प्रमुख मार्गदर्शन में २८ सितम्बर से ६ अक्टूबर, २०२४ तक नौ दिवसीय धर्मचक्र तपस्या पूर्णाहूति समारोह का भव्य स्तर पर आयोजन किया जा रहा है।

मुनिसुव्रत स्वामी जैन मंदिर व श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ संघ, इतवारी द्वारा आयोजित इस भव्य आयोजन में देश एवं विदेश से श्रद्धालुओं का आगमन होना है।

श्रीमद् विजय दंर्शनवल्लभ सूरीश्वर महाराज की पावन निश्रा में तपस्वी मुनि कृपावल्लभमहाराज ,मुनि नम्रवल्लभ महाराज , साध्वी विरतियशाश्री म.सा., साध्वी हेमज्योतिश्री , साध्वी  रम्यज्योतिश्री अदि संत मंडल की प्रमुख उपस्थिति व मार्गदर्शन में ९ दिवसी जिनभक्ति एवं ८२ दिवसीय श्री धर्मचक्र तपसाधना पूर्णाहूति महोत्सव का आयोजन भव्य पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। २८ सितम्बर से ६ अक्टूबर, २०२४ तक प्रातः ६ से रात्रि ११ बजे तक विभिन्न कार्यक्रम श्री मुनिसुव्रत मंदिर, इतवारी में होंगे।

कार्यक्रमों की रूपरेखा

२८ सितम्बर को प्रातः ९ से ११ बजे तक चातुर्मासिक दानदाता और श्रीसंघ के स्वयंसेवकों की अनुमोदना, दोपहर २ बजे श्री मुनिसुव्रत स्वामी पंचकल्याणक पूजा,

२९ सितम्बर को गिरनार महातीर्थ की भावयात्रा,

३० सितम्बर को तपोवंदना कार्यक्रम,

१ अक्टूबर २०२४ को श्री धर्मचक्र तीर्थ भावयात्रा,

२ अक्टूबर को श्री १८ अभिषेक महापूजन,

३ अक्टूबर को श्री पंच नमस्कार चक्र-धर्मचक्र महापूजन एवं तपरिचयों के अंतिम अइम तप का सामुदायिक पच्चक्खाण व पूंजणा,

४ अक्टूबर मेहंदी रसम-सांजी गीत-महिला महोत्सव,

५ अक्टूबर को सुबह ११ .३० बजे श्री महावीर स्वामी की रथयात्रा व वरघोड़ा (शोभायात्रा) का आगमन, ‘सूरी प्रेम यशोदेव धर्मराज वाटिका, प्रातः ११ .३० बजे मांगलिक प्रवचन व १२ बजे साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन तथा

६ अक्टूबर, २०२४ को प्रातः ६ .१५ बजे राजकुमारी कनकत्री को रजतमय मुकुट अर्पण व सौभाग्य तिलक से बाजे गाजें के साथ रजवाड़ा पैलेस में श्री संघ की तरफ से ले जाया जाएगा, जहां सुबह ७ .३० बजे प्रवेश होगा। दोपहर १ से ४ बजे तक तपस्वियों के माध्यम से तपधर्म की अनुमोदना स्वरूप शाही सत्कार समारोह होगा। तपस्वियों का बियासणा शाम ४ से ५ .३० बजे तक एवं ४ .३० से शाम ६ बजे तक श्री संघ साधर्मिक वात्सल्य के साथ ही श्री धर्मचक्र तपस्या पूर्णाहूति समारोह का समापन होगा।

इस अलौकिक व मंगलमय आयोजन के संदर्भ में जैनाचार्य श्रीमद् विजय दर्शनवल्लभ म.सा. ने आनंद व्यक्त करते हुए कहा कि, यह अत्यंत हर्ष व संयोग की बात है कि मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर (इतवारी, भाजीमंडी) की स्थापना का अर्धशतक अर्थात् ५० वर्ष भी पूरे हो रहे हैं, जो कि दुग्ध-शर्करा सा योग है। इस महोत्सव के साक्षी देश व विदेश के भी कई श्रद्धालु बनेंगे। इस चातुर्मास के दौरान १० वर्ष से लेकर ८० वर्ष तक की आयु वाले १३० महिला-पुरुष तपस्वियों धर्मचक्र ने कठिन व्रत का पालन किया।

धर्मचक्र तप में एक दिन संपूर्ण आहार त्याग और सिर्फ जलाहार, दूसरे दिन बेयासना (दिन में दो बार भोजन ) के करने वाले तपस्वियों ने ८२ दिनों तक इस क्रम में तप आराधना पूर्ण की ।

इसी क्रम में शर्मा ने ५१ दिनों तक सिर्फ जलाहार का कठिन व्रत रखा गया, तो वहीं २० लोगों ने सतत ८ व ९ दिनों तक संपूर्ण आहार त्याग का कठिन उपवास रखा।

श्री धर्मचक्र तप पूर्णाहूति महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ ही कई कलाकार भी आएंगे। इसके अलावा अन्य मंदिरों में विराजमान जैन साधु-साध्वियों को भी आमंत्रित किया गया है। तपस्वियों की शोभायात्रा (वरघोड़ा) में हाथी, घोड़े, अश्वरथ, जीप रथ, ऊंट गाड़ी, बैलगाड़ी, बैंड पथक, नृत्य पथक इत्यादि शामिल किए जायेंगे

महोत्सव के दौरान गरीबों को अन्नदान, पशुओं को चारा वितरण जैसे कार्यक्रम भी ओयाजित किएं जाएंगे। सभी कार्यक्रमों में महिला मंडल, युवा मंडल, बालक मंडल जिन शासन सेवा फाउंडेशन, कल्याण मित्र फाउंडेशन आदि का सहयोग प्राप्त हो रहा है ।

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