डेढ़ लाख नियमित मतदाताओं का नाम गायब,जिम्मेदार मनपा प्रशासक पर हो कार्रवाई

– कोविड के दौरान जिनका दुःखद निधन हो गया,उनके नाम वोटिंग लिस्ट में,क्या मुख्य प्रतिद्वंद्वी विकास ठाकरे और नितिन गडकरी गंभीरता से लेंगे,मुख्य चुनाव आयुक्त की कार्यप्रणाली संदिग्ध 

नागपुर :- देश के तमाम नागरिकों का मुलभुत अधिकार है मतदान,जिसके आधार सरकार का गठन होता है,जिसे लोकतांत्रिक पद्धति भी कहा जाता हैं.इस अधिकार(लगभग डेढ़ लाख मतदाताओं का ) का हनन करने वाले मनपा के प्रशासक अभिजीत चौधरी पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई हो.क्या मत से वंचित मतदाताओं के अधिकार के लिए मुख्य चुनाव आयोग से गंभीर दखल लेने की पहल की जाएगी या फिर यह मान लिया जाए कि ‘रात गई,बात गई’ ? जनप्रतिनिधियों की चुप्पी रही तो यह कहा जाए कि प्रशासन और प्रमुख उम्मीदवारों के मध्य समझौते के तहत उक्त घटना को अंजाम दिया गया होगा।

याद रहे कि लोकसभा चुनाव की आहट/संकेत देश के सभी जिला प्रशासन के मार्फ़त महानगरपालिका,नगरपालिका आदि को दे दिया जाता हैं.ताकि वे समय पर मतदाताओं की सूची जाँच पड़ताल कर उसे UPDATE करके आगामी/संभावित चुनाव के लिए मुस्तैद/तैयार रहे.

तमाम जिलाधिकारी के निर्देश बाद पालिका स्तर पर पिछले चुनाव बाद जन्म/मृत्यु सह नए मतदाता सहित इधर से उधर पलायन किये मतदाताओं का बारीकी से अंकेक्षण करने का काम शुरू किया जाता हैं.

यह कार्य पालिका/महापालिका प्रमुख/आयुक्त/प्रशासक के मार्गदर्शन में विशेष विभाग,शिक्षण विभाग,जन्म-मृत्यु विभाग आदि के सहयोग से किया जाता रहा हैं.

और जब महीनों की मशक्कत बाद जब आज के हिसाब से मतदाता सूची UPDATE हो जाती है तो बाकायदा लिखित रूप से जिला प्रशासन/जिलाधिकारी को सूचित कर एक प्रत हार्ड COPY और SOFT COPY सौंप दी जाती हैं.इस आधार पर तमाम जिलाधिकारी राज्य सरकार के सम्बंधित विभाग और राज्य चुनाव आयोग को सूचित करते रहे हैं.

उल्लेखनीय यह है कि नागपुर जिले में लोकसभा चुनाव के पूर्व मतदाता सूची UPDATE करने का जिलाधिकारी द्वारा शहर के लिए नागपुर महानगरपालिका और रामटेक लोकसभा क्षेत्र के लिए जिला प्रशासन का चुनाव विभाग/जिला परिषद् को कड़क निर्देश दिया गया था.

जिलाधिकारी के कड़क निर्देश के बावजूद नागपुर महानगरपालिका प्रशासन अभिजीत चौधरी के ढुलमुल रवैय्ये की पोल कल 19 APRIL 2024 को खुली तो सब दंग रह गए.इस दिन लोकसभा चुनाव के पहले चरण का नागपुर जिले में मतदान था,शहर के कुल मतदाताओं में से डेढ़ से 2 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से गायब थे,जबकि कल मतदान ही 50% के आसपास हुआ,यही जब 75% से 85% के बीच हुआ होता तो गायब/नदारत मतदाताओं के नाम की संख्या दोगुणी हो,ऐसा अनुमान व्यक्त किया जा रहा हैं.

उल्लेखनीय यह है कि मनपा की जन्म-मृत्यु विभाग,मनपा की चुनाव विभाग और मनपा द्वारा ही मतदाता सूची UPDATE करने की अहम् भूमिका निभाती आई हैं.मनपा की गलती से डेढ़ से 2 लाख मतदाताओं ने अपना बहुमूल्य मत/मतदान नहीं कर पाए,ये सभी मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचे और काफी मशक्कत बाद बिना मतदान किये घर लौट आए,निसंदेह ये सभी जागरूक मतदाता रहे होंगे।

इन्होंने तपती धुप/कड़क धुप में चर्चा के दौरान अपना दुखड़ा सुनाते जानकारी दी कि मतदाता सूची में जिनका निधन हो गया,जो यहाँ वर्त्तमान में रहंते नहीं,अन्य शहर में रहते है,कुछेक का दो दो जगह/दो दो बार नाम देखा गया.अर्थात तमाम मतदाता सूची में गड़बड़ियां पाई गई.बहुतेक ऐसे भी मतदाता मिले जिनका नाम ही किसी भी सूची में नहीं था,इनकी भी संख्या हज़ारों में होने की खबर हैं.

इसके अलावा दूसरी सबसे बड़ी गड़बड़ियां यह पाई गई कि पूर्वतः एक मतदान केंद्र को 2 से 3 मतदान केंद्रों में विभक्त कर दिया गया,जिनमें से एक कुछ किलोमीटर दूर होने से नियमित मतदान करने वाले पूर्व के मतदान केंद्र तक आने बाद जब उन्हें दूसरे केंद्र में जो दूर है,यह जानकारी दी गई तो सम्पूर्ण शहर में सैकड़ों की संख्या में मतदाता बिना मतदान किये लौट गए.

मोदी सरकार सह मुख्य चुनाव आयोग शत-प्रतिशत मतदान हो इसके लिए महीनों से अपने अपने स्तर से जनजागरण कर रहे थे लेकिन नागपुर महानगरपालिका प्रशासन अभिजीत चौधरी के निष्क्रियता के कारण मतदाताओं तक मतदान सम्बन्धी जानकारी रूपी पर्ची नहीं पहुंच पाई,इनकी संख्या लाखों में बताई जा रही,तो कैसे मुमकिन हो कि ज्यादा से ज्यादा मतदान हेतु मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंच पाए.

एम.ओ.डी.आई फाउंडेशन में मुख्य चुनाव आयुक्त से मांग की है कि लगभग 2 लाख मतदाताओं को मतदान से वंचित रखने और मृतकों का नाम मतदाता सूची में कायम रखने के जुर्म में नागपुर महानगरपालिका प्रशासन अभिजीत चौधरी पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए,समय रहते उक्त मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ेगा,जिससे होने वाली नुकसान के जिम्मेदार नागपुर महानगरपालिका प्रशासन अभिजीत चौधरी और राज्य के मुख्य चुनाव आयोग/आयुक्त की होगी।

उल्लेखनीय यह भी है कि अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव लड़ने वाले मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी और कांग्रेस उम्मीदवार विकास ठाकरे इस मामले को कितनी गभीरता से लेते है या फिर शांत बैठ नागपुर महानगरपालिका प्रशासन अभिजीत चौधरी को संरक्षण देते हैं?

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