नागपुर :- बाल-अनुकूल पुलिसिंग की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए, नागपुर शहर पुलिस ने बाल न्याय व्यवस्था पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। शहर पुलिस और स्वयंसेवी संगठन ‘प्रकृति ट्रस्ट’ के संयुक्त तत्वावधान में सी पी भवन सभागृह में आयोजित इस संगोष्ठी का आज समापन हुआ।
“देश के बीचोंबीच मौजूद नागपुर शहर अक्सर नाबालिगों सम्बंधित अपराधों में यातायात का ठिकाना बन जाता है। इसीलिए पुलिस और प्रशासनिक अमलों के कर्मचारियों को बाल न्याय व्यवस्था का विस्तृत ज्ञान होना ज़रुरी है। इस कार्यशाला में ज़्यादा से ज़्यादा सीखने की कोशिश कीजिये और यहाँ से आप जो सीखेंगे वो अपने सहकर्मियों को भी सिखाइये।”, पुलिस आयुक्त डॉ रविंद्र सिंगल ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि स्पष्ट की।
संयुक्त पुलिस आयुक्त अस्वती दोरजे एवं अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) संजय पाटिल ने कार्यशाला में बोलते हुए बाल न्याय व्यवस्था में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा छाया गुरव राउत, बाल न्याय मंडल की सदस्या वैशाली पंढरे तथा ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी मुश्ताक पठान ने संगोष्ठी के दौरान विभिन्न सत्रों में बाल न्याय संबंधित कानूनों पर विचार रखे। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तर) ने भी इस संगोष्ठी में शिरकत की।
दो दिनों में बालन्याय विशेषज्ञ अधिवक्ता संजय सेंगर ने सहभागियों को बाल न्याय व्यवस्था की तमाम बारीकियों से अवगत कराया, साथ ही सब सहभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। किशोर न्याय अधिनियम (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, मनोधैर्य योजना, अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, बालक श्रम (प्रतिषेश और विनियमन) अधिनियम आदि प्रमुख क़ानून इस संगोष्ठी में चर्चा के बड़े मुद्दे रहे। प्रकृति ट्रस्ट के समाज विद्यानियों ने बाल अनुकूल पुलिसिंग और क़ानूनी प्रक्रियाओं के दौरान नाबालिगों की देखभाल पर विस्तार से जानकारी दी।
शहर के सभी पुलिस थानों से इस संगोष्ठी में शिरकत करने वाले पुलिसकर्मियों, पुलिस दीदियों, पुलिस काकाओं, मानव तस्करी रोकथाम दस्ता तथा महिला दस्ते के पुलिसकर्मियों को आला अफसरों के हाथों प्रमाणपत्र दिए गए। शहर पुलिस की सामाजिक सुरक्षा इकाई की पुलिस निरीक्षक कविता इसारकर ने मंच संचालन संभाला।