– नियमित आध्यात्मिक साधना से निद्रा पक्षाघात दूर हो सकता है !
‘निद्रा पक्षाघात के पीछे 60 से 90 प्रतिशत कारण पूरी तरह से आध्यात्मिक या आध्यात्मिक और मानसिक दोनों हैं, इसलिए आध्यात्मिक साधना करने से आध्यात्मिक समस्या को दूर करने में मदद मिलती है’, ऐसा ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए गए आध्यात्मिक शोध से ज्ञात हुआ है’, ऐसा प्रतिपादन शॉन क्लार्क ने किया । वे हाल ही में बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य पर आयोजित परिषद 10th इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पब्लिक हेल्थ (ICOPH2024)’ में बोल रहे थे । उन्होंने ‘स्लीप पैरालिसिस पर काबू पाने के आध्यात्मिक उपाय’ शीर्षक से एक शोध प्रस्तुत किया। इसके लेखक परात्पर गुरु डॉ. जयन्त आठवलेजी हैं तथा क्लार्क सह-लेखक हैं ।
अक्टूबर 2016 से अगस्त 2024 तक, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने 20 राष्ट्रीय और 96 अंतर्राष्ट्रीय, कुल 116 वैज्ञानिक सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। इनमें से 14 को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति’ पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
शॉन क्लार्क ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में विभिन्न संस्कृतियों और देशों के 46 साधकों पर किए सर्वेक्षण के निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जिन्होंने नींद के पक्षाघात का अनुभव किया था। ऐसा उन्होंने अधिकतर पूर्णिमा, अमावस्या और पितृपक्ष में अनुभव किया है। गहरी नींद के दौरान इसकी आवृत्ति अधिक थी, चाहे रात में हो या दोपहर में सूर्यास्त के करीब। सर्वेक्षण में पाया गया कि विशेष रूप से युवा लोगों में स्लीप पैरालिसिस की औसत अवधि 3 मिनट से 3 घंटे तक होती है और यह तब होने की सबसे अधिक संभावना होती है, जब कोई व्यक्ति अपनी पीठ के बल सोता है । आध्यात्मिक शोध इन सर्वेक्षण निष्कर्षों के समानांतर है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए, जब वह अपनी पीठ के बल लेटता है तो उसकी कुंडलिनी प्रणाली में दो मुख्य सूक्ष्म ऊर्जा चैनल सबसे कम सक्रिय होते हैं। इससे उसके शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा (जिसे प्राण शक्ति भी कहा जाता है) का प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे सूक्ष्म नकारात्मक शक्तियों के लिए किसी व्यक्ति की मांसपेशी प्रणाली को बंद करना आसान हो जाता है।
क्लार्क ने कहा कि 85 प्रतिशत व्यक्तियों ने आध्यात्मिक साधना की ओर रुख करने के बाद नींद पक्षाघात की आवृत्ति में कई गुना वृद्धि का अनुभव किया; क्योंकि साधना करने से सूक्ष्म नकारात्मक शक्तियां विरोध करती हैं। इसके विपरीत, नियमित आध्यात्मिक उपचार करने से 93 प्रतिशत साधकों को इन हमलों पर काबू पाने में मदद मिली।
समापन करते हुए श्रीमान क्लार्क ने दुनिया भर में लागू किये जाने वाले उपायों की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि निद्रा पक्षाघात को दूर करने और रोकने के लिए नियमित रूप से ‘श्री गुरुदेव दत्त’ का जाप करें, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन जाप बढाएं, पूर्व-पश्चिम दिशा में और बाईं ओर करवट लेकर सोएं और पीठ या पेट के बल सोने से बचें, साथ ही रोजाना 15 मिनट ‘खारे पानी में पर डुबाना,’ जैसे उपाय प्रभावी हैं ।