नागपूर :- तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप का संहार करने वाले शिवजी को त्रिदल बिल्व पत्र अति प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में माँ महेश्वरी, इसकी शाखाओं में माँ दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में माँ गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास है। उक्त आशय के उद्गार विद्या नगरी, रेशिमबाग के महात्मा फुले सांस्कृतिक सभागृह में आयोजित शिव महापुराण में चित्रकूट के कथाकार योगेश कृष्ण महाराज ने भक्तों से कहे। शिव पुराण का आयोजन 25 सितंबर तक दोपहर 2 से 5 बजे तक किया गया है।
कथाकार महाराज ने आगे कहा कि बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। बिल वृक्ष में माँ लक्ष्मी का भी वास है अत: घर में बेल पत्र लगाने से देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं, जातक वैभवशाली बनता है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें ‘आशुतोष’ भी कहा जाता है। बेलपत्र में एक साथ तीन पत्तियां जुड़ी रहती हैं। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापों का नाश होता है. सभी से कथा श्रवण की अपील की गई है।