बावनकुले को उम्मीदवारी मिली तो एकजुट हो सकती है पक्ष-विपक्ष ?
नागपुर – विधानपरिषद चुनाव को मात्र 24 दिन शेष है लेकिन अभी तक न कांग्रेस का और न ही भाजपा का उम्मीदवार फ़ाइनल किया गया हैं.इससे इस क्षेत्र के मतदाता फ़िलहाल भ्रमित हैं.विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार नागपुर स्थानीय स्वराज संस्था से कौन प्रतिनिधित्व करेगा,यह भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अंतिम निर्णय की राह पक्ष-विपक्ष सभी राह तक रहे.यह भी जानकारी मिल रही है कि गडकरी के मनमाफिक उम्मीदवार रहा तो विपक्ष चुनाव को हल्के में लेगी और मनमाफिक नहीं रहा तो मिल-जुल कर पक्ष-विपक्ष खुलेआम बगावत कर सकती हैं.
सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा में विधानपरिषद चुनाव हेतु पहला नाम पूर्व ऊर्जामंत्री बावनकुले का चल रहा,लेकिन भाजपा का दूसरा गुट वीरेंद्र कुकरेजा का नाम सामने कर भाजपा शीर्षस्थ निर्णायक मंडल को अस्वस्थ्य कर दिया है.याद रहे कि बावनकुले को गडकरी खेमे का माना जाता हैं.
उक्त चुनाव की घोषणा हो चुकी है,भाजपा के पास कुल 60 मत अधिक है,इस अंकगणित से भाजपा उम्मीदवार की आसान जीत समझी जा रही है.इसलिए भी देवेंद्र फडणवीस गुट वीरेंद्र कुकरेजा का नाम सामने कर रहा हैं.तो फडणवीस विरोधी गुट विक्की कुकरेजा का पूर्ण विरोध कर रहा.हो रहे विरोध को नज़रअंदाज किया गया तो कहीं स्नातक निर्वाचन चुनाव की तरह यह चुनाव भी भाजपा को गंवानी पड़ सकती है.
उक्त विरोधाभास की भनक भाजपा नेताओं को लग चुकी है,इसलिए वे फूंक-फूंक कर कदम रख रही है,इसलिए भी उम्मीदवार को फ़ाइनल करने में देरी हो रही.
दूसरी ओर जिले के भाजपा विरोधी विपक्ष नेता एक ओर गडकरी के अंतिम निर्णय की राह तक रहे तो दूसरी ओर कांग्रेस में आपसी गुटबाजी सर चढ़ के बोल रही,ऐसे में सक्षम उम्मीदवार चुनाव लड़ने के इच्छुक तो है लेकिन गुटबाजी से बैकफुट पर आ खड़े हो गए.तो दूसरी ओर कांग्रेस के एक गुट का नेतृत्व करने वाले नेता कांग्रेस के इच्छुक व सक्षम नेता को मदद नहीं करना चाह रहे,ताकि नागपुर ग्रामीण में उनका एकक्षत्र राज रह सके.इसलिए उन्होंने अपने एकदम करीबी को सक्रीय होने का निर्देश दे दिया,इन्होने गत रविवार को एक लॉन में एक जलसा का भी आयोजन किया था.
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार गडकरी के मनमाफिक चंद्रशेखर बावनकुले को भाजपा ने उम्मीदवारी दी तो विपक्ष के शीर्षस्थ नेता बावनकुले के जीत के मार्ग में बाधा नहीं डालेंगे,क्यूंकि उम्मीदवार गडकरी खेमे का हैं.अगर भाजपा में उम्मीदवार फ़ाइनल करने के फडणवीस की चली और कुकरेजा को उम्मीदवारी दी गई तो पक्ष-विपक्ष दीपावली मनाने के साथ कुकरेजा के खिलाफ मतदान करने की योजना बना रहे.अगर ऐसा हुआ तो यह लगातार दूसरी बड़ी हार भाजपा की मानी जाएगी,वह भी भाजपा की परंपरागत सीट से.इससे पहले स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भाजपा को सिर्फ बगावत के कारण मुँह की खानी पड़ी थी,जिसका फायदा कांग्रेस को हुआ.
वहीं कांग्रेस भाजपा उम्मीदवार घोषणा की राह तक रही,ताकि कांग्रेस के दोनों गुट भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ अपने मनमाफिक उम्मीदवार का नाम फ़ाइनल करवा सके.भाजपा में चल रही टिकट की खींचातानी के बीच मौका मिला तो अपने करीबी जो अधीन रहे,उसे उम्मीदवारी दिलवाने के लिए दिल्ली कूच कर लॉबिंग कर रहे.
उल्लेखनीय यह है कि कांग्रेस खेमे में यह भी चर्चा चल रही है कि अगर बावनकुले ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया या फिर सर्वसम्मति से कुकरेजा के नाम पर एकमत नहीं हुई भाजपा नेतृत्व तो उसकी जगह कांग्रेस के सक्षम और इच्छुक को भाजपा उम्मीदवार बना सकती हैं ? क्यूंकि यह इच्छुक ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने के साथ ही साथ एक बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.