सावनेर उपविभागीय अधिकारी कार्यालय क्षेत्र के गई सभी भूमि अधिग्रण भूखंड की जानकारी RTI में मांगी गई थी परंतु अधिकारियो ने आनन फानन जिस भूखंड में किया था मुआवजा वितरण में बड़ा खेल उस को किया फैल..!
SIT की जाँच में खुल सकते इस प्रकार के ओर भी खेल..
भाग २
नागपूर – हल ही मे हमारा एक लेखक प्रकाशन हुआ था जिसमे शासन के बडे बडे अधिकारीयो ने किस तरह सरकार के तिजोरी से लाखों के मुआवजे को करोडो मे तब्दील कर उसमे अपना हिस्सेदारी रख बड़े आसानी से सरकारी की तिजोरी खाली करवा रहे है इस खेल में कई बड़े अधिकारी से लेकर छोटे कर्मचारी और दलालों के साठगांठ से यह फर्जीवाड़ा चालू है आज ऐसा ही एक किस्सा हमने उजागर किया हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कळमेश्वर क्षेत्र में हुए रेल्वे लाईन चौड़ीकारण में एक खेत की भूमि रेल्वे में गई, जिसके लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक के हिसाब से उसका मुआवजा कुछ 15 से 17 लाख रु था परंतु इसमें उस वक्त मौदा तहसील में कार्यारत और रामटेक तहसील के अधिकारी ने मुआवजा धारक से एक डील की, जिसमें 15 से 17 लाख के मुआवजे को उपविभागीय अधिकारी कार्यालय क्षेत्र के अधिकारी से जुगाड कर उसकी रक्कम करोड़ो रु में तब्दील कर सकते है, जिसके एवज में खेत मालिक को पहली धन राशि प्राप्त होने पर 15 लाख रु और आखरी धन राशि प्राप्त होने पर 9 लाख रु ऐसा कुल 24 लाख रु के उन्हें देने होंगे बाकी का खर्चा अलग देना होगा इस शर्त पर वे अधिकारीयो ने आगे के प्रक्रिया शुरू करेंगे अब पैसे की लालसा तो हर व्यक्ती को होती है और मुआवजा धारक ने हामी भर दी। जिसके बाद उन अधिकारियों ने खेल शुरू कर फर्जी दस्तावेज एवम पंचनामे के आधार पर उस खेत ( ग्रीन लैंड) को INDUSTRIAL NA में दिखा कर और उस भूखंड पर Water Filter Plant और Industrial Shed जैसा पक्का बांध काम दिखा कर उसे रेल्वे में गई खेती के मुआवजे को 1 करोड़ 30 लाख रु में तब्दील करने हेतु , यह प्रस्ताव नागपुर कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियो के समिती तो भेजा गया, जिसपर समिती की मंजूरी होने के बाद भूसंपदन अधिकारी के तरफ मुआवजा धारक (खेत मालिक) को लगभग 64 लाख रु पहली धन राशि दी गई जिसके लिए मुआवजा धारक ने उन बिचोलिए अधिकारियों से हुई डील के हिसाब से उस वक्त मौदा तहसील में कार्यारत और रामटेक तहसील के अधिकारी जिन्होंने इस खेल में अहम भूमिका निभाई थी उन्हें डील के मुताबिक पहली धन राशि प्राप्त होने पर मुआवजा धारक ने 15 लाख रु दे दिए जिसका उन बिचोलियों ने कुछ हिस्सा अपने पास रख कर बाकी का पैसा सावनेर के अधिकारी को दिया साथ ही इस खेल में लिप्त कर्मचारियों को भी कुल मिलाकर 5 लाख रु वितरित किए गए। अंतिम धन राशि मुआवजा धारक को देने के 4 से 8 दिन पहले हमे विश्वशनीय सूत्रों के तरफ से जानकारी प्राप्त हुई की इस प्रकार का बड़ा घोटाला उपविभागीय अधिकारी कार्यालय में हुआ है जिस्मे कुछ अधिकारियो की मिलीभगत से करोड़ो का भूमि अधिग्रहण मुआवजा वितरण घोटाला किया गया है जिसके लिए News Today 24X7 की तरफ नगर रचना विभाग, नागपुर जिल्हाधिकारी कार्यालय, उपविभागीय अधिकारी सावनेर और अन्य कार्यालयों में आरटीआई (RTI) के मध्यम से उस खेत के पूरे दस्तावेज मांगे गए परंतु दस्तावेज़ हस्तगत होने के पहले ही उन अधिकारियों ने इस खेल को फैल होता देख और इसमें आपने आपको को बचाने के लिऐ उस डील के पैसे सावनेर के अधिकारी ने उन बिचोलिए अधिकारी के घर रातों रात वापस भिजवा दिए जिसके बाद उन अधिकारियो ने खेत मालिक के पैसे लिऐ थे उसे (खेत मालिक) 4 से 9 अप्रैल के बीच 10 लाख 25 हजार रु घर बुलाकर वापिस दे दिए। जिसके बाद कई तरफ से हमें दबने की कोशिश की गई और आरटीआई वापिस लेने के लिए बोला गया परतु हमे टस से मस ना होता देख उसके बाद खेल को फैल होता देख अधिकारियों ने अपने आपको बचाने के लिए आनन फानन में नियमो को तक पर रख कर उस भूमि (खेत) का खेत का INDUSTRIAL NA रद्द कर दिया. जिसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय में इस मुआवजा हेतु समिती के सामने फिर प्रस्ताव भेजा गया जिस्मे जिलाधिकारी द्वारा मामले की जाँच के आदेश अप्पर जिलाधिकारी को दिये गए है परंतु यह तो एक मुद्दा है ऐसे अन्य कई मामले उजागर होने की संभावना को नाकारा नहीं जा सकता जिसके लिए SIT का गठन कर इस प्रकार के अन्य मामलो को उजागर कर सरकार के तिजोरी से लुटे हुए अरबों रुपयों के घोटाले का पर्दाफाश किया जा सकता है.
भाग १ link
नागपुर में भूमि अधिग्रहण मुआवजा वितरण घोटाला – SIT से कराई जाए जांच।