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– निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर उठे सवाल
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नागपुर :- पश्चिम नागपुर को उत्तर नागपुर से जोड़ने वाले इटारसी पुल पर लंबी राजनीति और हाई कोर्ट में भी चली न्यायिक लड़ाई के बाद 1 नवंबर को आनन-फानन में लोकार्पण कर इसे लोगों के लिए खोल दिया गया.
आवागमन शुरू होने को अब 36 दिन ही हुए है कि सड़क उखड़ने लगी है. जिसके चलते इसके निर्माण कार्य को लेकर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं.
माना जा रहा है कि प्रकल्प को लेकर श्रेय लेने की होड़ में पुल के निर्माण की क्वालिटी को ताक पर रखकर काम को जल्द से जल्द अंजाम दिया गया है. यहीं कारण है कि अब इसके परिणाम उजागर होने के आरोप लगाए जा रहे हैं. बताया जाता है कि वर्ष 2021 में इसका काम शुरू किया गया था. जिसमें कई बार डिजाइन बदला गया. डिजाइन बदलने के बाद इस पर आपत्ति जताई गई. जिसके बाद मामला न्यायालयीन पेंच में फंस गया.
गर्डर के ज्वाइंट से उखड़ा
बुधवार के तड़के जब सड़क उखड़ने का मामला उजागर हुआ तो लोगों के लिए यह चर्चा का विषय बन गया. आश्चर्यजनक यह था कि ठीक गर्डर के ज्वाइंट के पास से सड़क का कुछ हिस्सा उखड़ गया था. लोगों की नजरों से इसे बचाने के लिए रात में ही इसकी लीपापोती भी की गई. किंतु देर रात से शुरू हुई धीमी बारिश ने खेल बिगाड़ दिया. लीपापोती तो हुई लेकिन सूख नहीं पाई. जिसकी वजह से दोनों ओर बैरिकेडिंग कर दिया गया. माना जा रहा है कि केवल एक माह में इस तरह के हाल होना निश्चित ही निर्माण में कोताही का सबब है. संभवत: पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों द्वारा ठीक से कम्पनी के काम पर नजर नहीं रखी गई है. जिसकी वजह से कम्पनी का काम निम्न स्तर का रहा है.
अभी से ऊंट की सवारी का मंजर
आलम यह है कि इटारसी पुल पर से आवागमन शुरू करने के बाद से ही इसका निर्माण संदेह के घेरे में है. आवाजाही करने वाले लोगों की ओर से निर्माण के स्तर को लेकर लगातार आपत्ति जताई जा रही है. इटारसी पुल के नवनिर्माण के लिए सर्वप्रथम प्रयास शुरू करने वाले सुरेश जग्यासी ने कहा कि अधिकारियों को लगातार निर्माण के स्तर पर ध्यान रखने की हिदायतें दी जाती रही है. इसके बाद भी जब आवागमन शुरू हुआ, उसी समय सड़क पूरी तरह सपाट नहीं होने पर संदेह हुआ था. शुरू से ही यहां चलने पर ऊंट की सवारी किए जैसा अनुभव होता है. ऊंची-नीची सड़क हुई है. यदि अभी ये हाल है तो लगातार लगातार वाहनों का आवागमन होने के बाद स्थिति बदत्तर हो सकती है.
क्या दायित्व काल तक ही उम्र
बुधवार की सुबह उखड़ी के पास खड़े एक व्यक्ति ने कहा कि वर्तमान में ठेकेदार कम्पनियों की कार्यप्रणाली अजीबोगरीब हो गई है. यदि निर्माण का दायित्व काल 5 वर्ष का हो तो कम से कम 5 वर्ष कुछ न हो, इसका ध्यान रखा जाता है. लेकिन ऐसे में क्या निर्माण की उम्र भी दायित्व काल तक ही हो सकती है. इसके पूर्व जो पुल था उसने 100 वर्ष तक सेवा दी. अब नया पुल 36 दिनों में उखड़ने लगा है. हालांकि ठेकेदार कम्पनी ने तुरंत लीपापोती तो की लेकिन क्वालिटी संदेह के घेरे में आ गई है. संबंधित व्यक्ति ने कहा कि वह स्वयं सरकारी विभाग में इंजीनियर रहा है. जिस तरह से पुल के दोनों ओर की लैंडिंग है. वह भी तकनीकी रूप से सटीक नहीं है.