PWD की सड़कों के निर्माण मे अनियमितता और भ्रष्टाचार से सरकार को करोडों की चपत, मामले की सीआईडी जांच और कार्यवाई की मांग

नागपुर :- लोकनिर्माण विभाग विशेष प्रकल्प नागपुर मे अनियमितता और भ्रष्टाचार अपनी सीमा लांघ चुका है। नतीजतन नागपुर ग्रामीण अंचल मे PWD की सडकों के बनते ही उखड रही हैं। परिणामस्वरूप आये दिन टूटी फूटी सडकों पर वाहन चालकों को अपनी जान हथेली मे लेकर अपना मार्ग तय करना पड रहा है। टूटी फूटी और ऊबड खाबड रोड पर उछलते कूदते वाहनों के कारण यात्रियों को शरीर में कमरतोड परेशानियों का सामना करना पड रहा है।तत्संबंध मे आल इंडिया सोसल आर्गेनाइजेशन के सर्वेक्षण के अनुसार विगत कोरोनाकाल में सरकार द्धारा लगाए गए लाकडाऊन मे सडकों पर वाहनो का आवागमन बन्द रहा। बावजूद भी सडकें अपने आप उखडना शुरु हो गई थी। ग्रामीणों ने की शिकायत के बावजूद भी PWD मुख्यालय के प्रधान सचिव एवं राज्य मंत्री  ने पीडब्ल्यूडी (PWD) के अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है.नागपुर जिले के तहसील पारसिवनी सावनेर तहसील रामटेक तहसील एवं कामठी-मौदा विधानसभा इलाके की सड़कों की हालत अत्यंत दयनीय हो रही है. ग्रामीण लोग सड़कों को हाथों से उखाड़ कर दिखा रहे है. सड़कों की परतें टूटती नजर आ रही हैं. आम लोगों ने ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी (PWD) विभाग के कार्यकारी अभियंता वांधवकर की मिलीभगत का आरोप लगाया है.मानों कागज पर ही रोड बन गई और बिल भुगतान करवा दिया गया। बताते हैं कि रात में रोड़ बनाया और सुबह तक उखड़ गयी। जिसमें पारसिवनी से भानेगांव WCL सिंगोरी को जुडने वाली सड़क की हालत पंच्चर है.ग्रामीण ताने मारने लगे हैं कि PWD के का•का• अभियंता वांधवकर ने इस सडक की हजामत करके रख दिया है। रामटेक तहसील और पारसिवनी तहसील के आंतरिक सडकों मे जगह जगह दरारें तथा उबर खाबड हो गई है। जहां उछलते कूदते वाहनों मे सबार लोगों मे कमर दर्दनाक कमर और घुटने की असहनीय पीडा पर तरस आता दिखाई देता है। कहीं कहीं पर यह डामर सड़क और सीमेंट कांक्रीट सडकों की खुद हालात बयां कर रही है कि सार्वजनिक बांधकाम विभाग विशेष प्रकल्प नागपुर में भ्रष्टाचार कितने चर्म पर है. इस विभाग द्वारा होने वाले घटिया निर्माण कार्यों की शिकायतें पहले भी होती रही है.

विकास निधि के अभाव में सडकों का रखरखाव ठप्प

PWD विशेष प्रकल्प के उप विभागीय अभियंता कार्यालयों की माने तो महाराष्ट्र विकास अघाडी के शासनकाल में मुर्दाड सार्वजनिक बांधकाम मंत्रालय मे विकास निधि के अभाव मे करोडों रुपये निर्माता कंपनियों एवं ठेकेदारों का भुगतान बराबर नही हुआ है। अभि भी किये कार्यों का बिल भुगतान पाने के लिए फर्म नियोक्ता PWD कार्यालय के चक्कर काट काटकर परेशान हैं? जैसे तैसे मंत्रालय ने निधि मंजूर किया तो इस विभाग के कार्यपालक यंत्री मिलिंद वांधवकर की 15 से 20 प्रतिशत कमीशन उगाही फर्म ठेकेदारों की ब्लडप्रेशर बढा देती है। अभियंता वांधवकर का फर्म मालिकों से स्पष्ट कहता है कि निर्धारित कमीशन जमा किये बिना बिल भुगतान नहीं किया जा सकता है? उन्हे हर हालत में आलाकमान अधिकारियों और पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करना पडता हैं? अन्यथा उनका (अभियंता वांधवकर) का दूरस्थ डिमोशन ताबादला सुनिश्चित है? इस प्रकार ठेकेदारों को इमोशनल ब्लैकमेल किया जाता रहा है?

ग्रामीणों का कहना है कि सावनेर – खापा- पारसिवनी-रामटेक-कामठी-मौदा मुख्य मार्गों जे जुडे आंतरिक सड़कें बनते ही उखडने लगीं है। . सुबह ग्रामीणों को सड़क निर्माण के बारे में पता लगा. जब नई सड़क पर वाहनो का आवागमन शुरू हुआ तो सड़क का उखड़ना शुरू हो गया है. ग्रामीणों के अनुसार करोड़ो रुपए की लागत से बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता की पोल खुल गई है. क्योंकि ग्रामीणों ने अपने हाथों से इस सड़क को उखाड़ बतलाया है. उपरोक्त इलाकों में सड़कों में इस तरह का घोटाला देख ग्रामीणों में नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत के बाद ठेकेदारों के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी (PWD) के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

पीडब्ल्यूडी के कनिष्ठ अभियंताओं का दावा था कि बनने वाली सड़क सबसे अच्छी और मजबूत होगी. परंतु मात्र कागजों पर ही निर्माण कार्यों का तकनीकी मापदंड उच्चतम क्वालिटी का दिखाया गया है, लेकिन इमोशनल कमिशन के फेर में संबन्धित अधिकारियों ने ठेकेदार से काम वैसा नहीं कराया जैसा टेंडर की गुणवत्ता के अनूसार होना चाहिए था. पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर भी समय-समय नजर नहीं रखी. जिसके चलते इस नव निर्मित सड़क खस्ताहाल हो गई. वही जिले में बनने वाली अधिकत्तर सड़कों की हालत ऐसी ही है. लेकिन लोगों की शिकायत के बावजूद भी कोई सुनने वाला नहीं है.

इस संबंध मे इस प्रतिनिधि द्वारा कार्यकारी अभियंता के कार्यालय मे पंहुचकर संपर्क साधना चाहा तो अभियंता वांधवकर ने आफिस मे बुलाया ही नहीं? इतना ही नहीं उनसे वास्तविकता को जानने के लिए फोन पर बातचीत करनी चाही परंतु अभियंता मिलिंद वांधवकर फोन उठाने को तैयार ही नहीं है।बताते हैं कि पथ भ्रष्ट का•का•अभि• वांधवकर महोदय अपने मौकापरस्त चमचों और बिचौलियों से घिरे हुए नजर आते है? सूत्रों का तर्कसंगत आरोप है कि बोगस ड्रिग्री-डिप्लोमा धारक अभियंता वांधवकर मुंहमांगी रिश्वत ले देकर लोकनिर्माण विभाग में भर्ती हुआ था। परिणामतः दिन रात वह ठेकेदारों से अवैध कमीशन वसूली के लिए हाय-तौबा करते देखा जा सकता है?बताते हैं कि PWD विशेष प्रकल्प के तत्कालीन कार्यकारी अभियंता जनार्दन भानुसे और एस टी अंभोरे के कार्यकाल मे निर्मित सडक निर्माता ठेकेदारों पर ब्लैकलिस्ट की कार्यवाई का भय दिखाकर कमीशन के लिए इमोशनल ब्लैकमेल करते देखा गया है। अभियंता वांधवकर को कमीशन नही मिलने पर वह अपने पाले हुए प्रतिस्पर्धी सरारती ठेकेदारों के मजदूरों के माध्यम से मजबूत सीमेंट कांक्रीट रोडों और रोड डिबाईडरों की तोडफोड करवाने से नहीं चूकता है? जिसका जीता जागता उदाहरण झिंगाबाई टाकली से गोधनी रेलवे,पारसिवनी से आमडीफाटा,रामटेक से मौदा तथा महादुला देवी मंदिर रोड टी पाईंट से कोराडी मंदिर बारेगांव और कन्हान तारसा मार्ग का जीता जागता भ्रष्ट्राचार और अनियमितताओं को देखा जा सकता है? नतीजतन ग्रामीण की अधिकांश सडक मार्गों के आजूबाजू की नालियों की हालत बद्ध से बदत्तर हो गई और अनेक जगहों पर नालियों के ढक्कन टूट-फूट हो गई है।

तत्संबंध मे आल इंडिया सोशल आर्गेनाइजेशन ने उपरोक्त मामले की स्टेट सीआईडी य केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग के अभियांत्रिकी विशेषज्ञों से सडकों के निर्माण की गुणवत्ता तथा इस्टीमेट की जांच-पड़ताल करवाई जाए तथा इस मामले के मुख्य जिम्मेदार अभियंता वांधवकर से नुकसान बस्ता जाए। अन्यथा आर्गेनाइजेशन उपरोक्त मामले के संबंध मे मुंबई उच्च न्यायालय नागपुर खंडपीठ मे जनहित याचिका दायर किया जाना सुनिश्चित माना जा रहा है।

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