श्री वल्लभाचार्य विश्व कल्याण ट्रस्ट, श्री दशा सोरठिया वणिक गुजराती समाज व श्री माता सामुद्री मंदिर निर्माण समिति का आयोजन
नागपुर :-श्रीमद् भागवत ऐसा फल है जिसमे रस निकालने की जरूरत नहीं पड़ती. श्रीमद् भागवत खुद एक रस है, श्रीमद् भागवत खुद एक फल भी है. श्रीमद् भागवत में स्वयं प्रभुजी विराजमान हैं, मनुष्य का कल्याण करने के लिए। उक्त आशय के उद्गार गोस्वामी वृजराजकुमार महोदयश्री ने आज श्रीमद् भागवत का रसपान कराते हुए भक्तों से कहे. श्रीमद् भागवत कथा का सुंदर आयोजन श्री वल्लभाचार्य विश्व कल्याण ट्रस्ट, श्री दशा सोरठिया वणिक गुजराती समाज व श्री माता सामुद्री मंदिर निर्माण समिति की ओर से कच्छी वीसा मैदान, लकड़गंज में 15 जनवरी तक दोपहर 3 से 7 बजे तक किया गया है.
महाराजश्री ने आगे कहा कि जिन्हे सचमुच अपने जीवन का उद्धार करना हो, आत्मसमर्पण की राह में आगे चलना हो, उनके लिए श्रीमद् भागवत का रसपान करना अति लाभदायक है। उन्होंने कहा कि भागवत जी सिखाते हैं कि कैसे सतपुरुष बनना, कैसे समदर्शी बनना, सतपुरुष का आचरण कैसा होना चाहिए, जीवन में आने वाली छोटी घटना को लेकर बैठोगे तो अशांत बनोगे, जो आत्मकल्याण की राह पर आगे बढ़ोगे तो ज्ञान बढ़ेगा. जब ज्ञान बढ़ेगा तो बड़ी परेशानियां भी छोटी लगेंगी. महाज्ञानी पुरुष खुद चिंता नहीं परन्तु समाज और विश्व के हित का चिंतन करते है। चिंता हमेशा चिता समान होती है। चिंता अंदर से जला देती है। हमें ये समझने की जरूरत है। ईश्वर अगर दस दरवाजे बंद करते है तो एक खिड़की जरूर खोलते हैं। यह विश्वास है कि समस्या है तो समाधान भी होगा. उसे ढूंढने की जरूरत है.
आज व्यासपीठ का पूजन मनोज मनकान, केयूर शाह, जयप्रकाश मालविया, जगदीश गोरसिया, धारिणी सेलारका, भावेश शाह, शिल्पा शाह, हिना पारेख, भावना शाह, ललिता मांडविया, विशाल राजकोटिया, रितेश सेलारका, किशोर सिद्धपारा, जलपेश काटकोरिया, मोहित पारेख, मंथन सांगानी, पंकज झवेरी, मिनाक्षी राजकोटिया, तपन सांगानी सहित अन्य ने किया.