वर्धा – : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष तथा राज्य सभा सदस्य डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमें प्रेम, स्नेह, करूणा और ममता सिखाती है। ये परिवार एवं समाज को एक कड़ी में बांधकर रखते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इस दृष्टि से देखे तो हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि संपूर्ण संस्कृति है। डॉ. सहस्रबुद्धे ने शनिवार, 8 जनवरी 2022 को विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि अपने स्थापना काल से ही इस विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी के ‘सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय’ के सपने को साकार किया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के नाम में गांधी, हिंदी और अंतरराष्ट्रीय तीन ऐसे शब्द है जो इसकी कार्यशैली, दर्शन और सिद्धांत को दर्शाते है। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि हम विभिन्न भाषाओं को सीखें परंतु हमें अपनी मातृभाषा से अधिक लगाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में संस्कृति और शिक्षा दो अविभाज्य मानदंड है और ये एक दूसरे के पूरक है। किसी भी देश की शिक्षा पद्धति को समाज के सांस्कृतिक अवलोकन से ही मार्गदर्शन प्राप्त होता है । सभी छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम भारत की सांस्कृतिक सभ्यता और विविधता को समझते हुए सार्वभौमिक विकास को गति दे ताकि हमारा राष्ट्र नई बुलंदियों को छू सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन नए युग के समारंभ की सूचना है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में आज समस्त भारतीय भाषाओं और हिंदी से नई अपेक्षाएं तथा उसके संपूर्ति की अपूर्व संभावनाएं उपस्थित हुई है अत: आज महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वर्धा का दायित्व और अधिक बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय क्षीतिज पर भी इसका प्रदीप्त उन्मेष स्पष्ट रूप से दृग्गोच्चर हो रहा है। प्रो. त्रिपाठी ने नए स्नातकों को बधाई देते हुए कहा कि हर भारतवंशी के पास पहुंचना इस विश्वविद्यालय का कर्तव्य है ।
कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने स्वागत उद्बोधन एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा दीक्षांत उपदेश दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि स्थापना काल से ही विश्वविद्यालय ने अकादमिक अनुसंधान एवं सामाजिक परिवर्तन लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले एक वर्ष की अकादमिक गतिविधियों को रेखांकित हुए प्रो. शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अपने ध्येय के अनुसार ही हिंदी के
पाठन के लिए विदेश की महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन के अंतर्गत नए कार्यक्रमों की शुरूआत की है जिसमें विभिन्न देशों के उच्च अधिकारियों को हिंदी की बुनियादी शिक्षा दी जा रही है। इस योजना के माध्यम से हिंदी को एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विस्तार मिलेगा। प्रो. शुक्ल ने इस अकादमिक सत्र में प्रकाशित दस पुस्तकों का भी उल्लेख किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुस्तकें समाज में सकारात्मक विमर्श को जन्म देंगी। देश के महानायक बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर, पं. मदन मोहन मालवीय की हाल ही में स्थापित मूर्तियों का उल्लेख करते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि इसके माध्यम से विद्यार्थियों को देश के नायकों से प्रेरणा मिलेगी। प्रो. शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शत-प्रतिशत स्वीकार किया एवं उसके क्रियान्वयन की दिशा में सार्थक प्रयास भी किया है। उन्होंने गांधी जी के स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के दर्शन की पूर्ति हेतु विश्वविद्यालय द्वारा चरखा और करघा प्रशिक्षण के लिए विदर्भ के दस गावों के लोगों को स्वरोजगार के लिए उठाएं गये कदमों का उल्लेख किया। प्रो. शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने रिद्धपुर में मराठी भाषा और तत्वज्ञान केंद्र स्थापित किया साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में सुदूर उत्तर पूर्व राज्यों में विश्वविद्यालय के केंद्र स्थापित किये जाने की योजना का भी जिक्र किया।
विश्वविद्यालय के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अकादमिक भवन के कस्तूरबा सभागार में आयोजित दीक्षांत महोत्सव में नीता ज्ञानदेवराव उघडे को कुलाधिपति स्वर्ण पदक तथा शची पाण्डेय को सर्वोदया रत्नमाला तुकाराम बोरकर स्मृति स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। दीक्षांत कार्यक्रम में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल द्वारा 45 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा 470 स्नातकों को उपाधि ऑनलाइन प्रदान की गयी। उपाधिधारकों में 27 विद्यार्थी पी-एच. डी., 44 विद्यार्थी एम.फिल., 229 विद्यार्थी स्नातकोत्तर तथा 170 विद्यार्थी स्नातक के हैं। दीक्षांत महोत्सव में कुलपति प्रो. शुक्ल ने हिंदी साहित्य में विशिष्ट अवदान के लिए पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और सुपर कंप्यूटर के प्रारूपकार , सुविख्यात वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर को डी.लिट्. की मानद उपाधि प्रदान की। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और डॉ. विजय भटकर ने अपने मनोगत व्यक्त करते हुए संबोधित किया।
दीक्षांत महोत्सव में कवि कुलगुरु संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कार्य परिषद्, विद्या परिषद् के सदस्यगण, प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल और डॉ. चंद्रकांत रागीट, अधिष्ठाता गण, विभागाध्यक्ष गण, कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालयद्वारा प्रकाशित छ: पुस्तकों एवं प्रगतिगाथा का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ राष्ट्रगान से तथा समापन राष्ट्रगीत (वंदे मातरम) से किया गया। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान एवं दूरशिक्षा निदेशालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका मिश्रा द्वारा किया गया ।
दीक्षांत महोत्सव के प्रारंभ में अभिनवगुप्त प्रांगण में विश्वविद्यालय का झंडारोहण तथा दूर शिक्षा निदेशालय भवन में पं. मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा का अनावरण कुलाधिपति प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी जी के करकमलों से किया गया । विश्वविद्यालय में हाल ही में स्थापित बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा और गांधी हिल्स पर स्थित महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर कुलाधिपति प्रो. त्रिपाठी एवं कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, मुख्य अतिथि डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, कार्य परिषद् के सदस्य प्रो. योगेंद्र नाथ ‘अरूण’ आदि ने पुष्पांजलि अर्पित कर अभिवादन किया। कार्यक्रम में प्रति कुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल और डॉ. चंद्रकांत रागीट, अधिष्ठातागण और अध्यापक उपस्थित थे ।