HC की पोल खुली ,नासुप्र-मनपा प्रशासन ने साधी चुप्पी 

– क्यूंकि इस कंपनी में निवेशक नासुप्र-मनपा के कार्यकारी अभियंता और उपअभियंता हैं,इन्हीं के हस्ताक्षर और इन्हीं के कमीशन का निवेश कर बड़ा हुआ कंपनी 

नागपुर :- हाल ही में नासुप्र और मनपा का सबसे विवादित ठेकेदार कंपनी HC के मूल काम की पोल खुली।जाहिर सी बात है कि किसी न किसी की पेट में दर्द हुआ होगा या किसी न किसी का दिल दुखाया होगा।

मूलतः आशी नगर जोन से शुरू हुई HC ने WARD FUND से कामकाज शुरू किया।मनपा का वार्ड फंड एक ऐसा घोटाला है,जो वर्षों से चला आ रहा है,इसमें काम कम होते है और बिल ज्यादा बनते हैं,इसमें हिस्सेदार फंड देने वाला और जिसे WORKORDER दिया गया उसके मध्य 50-50 या फिर 60-40 का होता हैं.WARD FUND के तहत काम करने वाले ठेकेदारों की संख्या काफी है,उनमें से HC अग्रणी हैं.जिसने न जाने कितने WORKORDER कागजों तक सिमित रखकर भुगतान उठा लिए.

समय निकलता गया HC की पकड़ नासुप्र और मनपा में मजबूत होती गई.दोनों ही संस्था के उपअभियंता और अभियंता,कार्यकारी अभियंता,कार्यकारी अधीक्षक अभियंता,वार्ड अधिकारी जो इनके संपर्क में हैं वे अपना ‘काला धन’ का निवेश HC की कंपनी में करते हैं.फिर HC काम पर काम लेकर उन्हें कमा कर भी देता हैं.क्यूंकि धंधा चोखा है इसलिए HC और उनके हमखास अधिकारियों की जुगलबंदी मनपा-नासुप्र को चुना लगते आ रही हैं.

इस क्रम में HC का मनोबल और इसलिए ऊँचा होता गया क्यूंकि काम देने वाले अभियंता,काम में पैसे निवेश करने वाले अभियंता,काम करवाने और हस्ताक्षर करने वाले अभियंता,भुगतान निकलवा कर देने वाले अभियंता सब मिले जुले होने के कारण किसी ने इनका वर्षो से ‘बाल बांका’ नहीं किया।ये ही अधिकारी/लाभार्थी पदाधिकारी/जनप्रतिनिधि जब कभी सरकारी/प्रशासकीय अड़चनें आई तो खुलकर सामने आकर HC को ‘दूध का धुला’ साबित करते रहे.

काला धन मतलब 1-1 %

उपअभियंता हो या फिर कार्यकारी अभियंता या अधीक्षक अभियंता ये प्रत्येक फाइल में हस्ताक्षर करने के एवज में 1-1 % लेते हैं,बिना उसके कोई हस्ताक्षर नहीं करता है,कोई एडवांस में लेता है तो कोई निवेश के रूप में HC जैसों के पास जमा करवाता हैं.मनपा और नासुप्र के उक्त अधिकारी वर्ग सालाना 1000 करोड़ के करीब के कामों के प्रस्तावों/फाइलों पर हस्ताक्षर करते हैं,उसका 1-1 % याने कम से कम 10 करोड़ रूपए कमीशन बनता हैं.इनमें से कुछ HC जैसे ठेकेदार कंपनी में निवेश कर अघोषित व्यवसाय कर रहे हैं मनपा-नासुप्र के अधिकारी वर्ग।

एमओडीआई फाउंडेशन ने नासुप्र सभापति और मनपा आयुक्त सह राज्य के ऊर्जावान ,मुख्यमंत्री से गुजारिश की है कि उक्त मामले की पिछले 10 साल के सभी प्रस्तावों/फाइलों की स्वतंत्र जान एजेंसी से सूक्षम जांच करवाए और दोषी ठेकेदार,ठेकेदार कंपनी और सम्बंधित अधिकारियों पर नियमानुसार कड़क कार्रवाई करें।समय रहते उक्त सभी ने गंभीरता से मामले को नहीं लिया तो एमओडीआई फाउंडेशन न्यायालय की शरण में जाएगी और गुहार लगाएगी,जिससे होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री कार्यकाल,नगर विकास विभाग,नासुप्र और मनपा प्रशासन की होगी।

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