नागपुर – आयुर्वेदिक ग्रंथों में नेत्र रक्षा के लिए विभिन्न उपाय एवं घरेलु उपचार का वर्णन किया गया है।यूं तो शरीर का हर एक अंग महत्वपूर्ण होता है लेकिन आंखों के बिना जीवन अधूरा एवं अंधकारमय हो सकता है। आयुर्वेदीक ग्रंथ जिसमे चरक संहिता,अमृत सागर, वागभट्ट,शुश्रुत संहिता,आदि ग्रन्थों में नेत्र रक्षा के उपायों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
जैसे कि हरीतकी, बहेड़ा और आंवला का नियमित प्रयोग नेत्र ज्योति को बढ़ाता है। इन तीनों चूर्ण के मिश्रण की 3-6 ग्राम मात्रा रोजाना ली जा सकती है।
त्रिफला के क्वाथ से रोजाना आंखों को धोने से नेत्र रोग दूर होते हैं। त्रिफला क्वाथ को शहद या घी के साथ लेने से भी नेत्र रोगों में लाभ होता है। त्रिफला चूर्ण को एक भाग शुद्ध गाय का घी व तीन भाग शुद्ध शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
रोजाना एक चम्मच शहद खाने से भी आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है। लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध होना चाहिये।
सुश्रुत संहिता के अनुसार रतौंधी यानी रात के अंधेपन के लिए अगस्त्य वृक्ष के फूल उपयोगी होते हैं। इन फूलों को पानी में भिगो दें कुछ देर बाद इन्हें मसलकर रस आंख मे डालने से रतौंधी रोग दूर होता है
आंखों को स्वस्थ रखने के लिए मुंह में ठंडा पानी भरकर तीन बार आंखों पर पानी के छींटे डालें। उसी प्रकार पांव के तलवों की रोजाना मालिश करने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए नारियल तेल या तिल का तेल फायदेमंद होता है।
तला हुआ भोजन आंखों को नुकसान पहुंचाता है, जबकि दूध में पका हुआ अन्न आंखों के लिए लाभकारी होता है। ठंडी खीर में शहद मिलाकर सुबह-सुबह खाने से आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है।
आंखों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए देर रात भोजन करने से बचें और गरिष्ठ और बासी भोजन से भी परहेज करें।
भेषज रत्नावली ग्रंथ के अनुसार जौ का नियमित प्रयोग आंखों को ठीक रखता है। इसके लिए पांच किलो गेहूं के आटे में एक किलो जौ का आंटी मिश्रण करके चपाती बनाएं और गाय के उत्तम दूध के साथ खाने से भी आखों की रोशनी बढती हैl इसके अलावा उत्तम दर्जे की गाजर,चकुंदर,खीरा, तरबूजा का सलाद भोजन के साथ खाने आंखों की रौशनी बढती हैlउसी तरह सफेद काकजंघा बूटी को चील -गीध य बाजपक्षी का मूत्र के साथ घिसकर आंखों मे अंजन करने से खोई हूई नेत्र दृष्टी से रात्री के अंधकार मे देख सकता है lइसके लिए प्राकृतिक नियमों का पालन तथा किसी अनुभव कुशल आयुर्वेद विशेषज्ञ (चिकित्सक) की सलाह लेना अनिवार्य है।
– टेकचंद सनोडिया शास्त्री,
विशेष औधोगिक प्रतिनिधि
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