EVM जीता और मतदाता हारी……..

– विधानसभा चुनाव परिणाम से न विजयी उम्मीदवार खुश और न ही हारे खुश ……

नागपुर :- विधानसभा चुनाव परिणाम एकाएक महायुति और उसके समर्थक के पक्ष में आने से आम मतदाता चिंतित हैं,कि हमारे मताधिकार से भी छेड़छाड़ बड़े पैमाने में हुआ.हालांकि महायुति और उनके खासमखास विरोधी समर्थक उम्मीदवार चुनाव जीत जरूर गए लेकिन वे खुद चुनाव परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं…….. अर्थात उन्हें चुनाव जीत कर भी मजा नहीं आ रहा. अर्थात उनकी जीत उनकी मेहनत की नहीं बल्कि EVM की दया दृष्टि से हुई,अन्यथा वे भी घर बैठ ही गए थे.

नतीजा नैसर्गिक चुनाव प्रक्रिया नहीं होने से सरकार स्थापन होने में नाना प्रकार से अड़चन आ रही है.वर्त्तमान महायुति में भाजपा को दिया गया मंत्रालय/अधिकार अब शिंदे सेना और अजित एनसीपी चाह रही लेकिन भाजपा तो भाजपा है……. बुद्धिमान पक्ष हैं और बुद्धिमान हैं अवसरवादी भी हैं…. पिछली बार उद्धव ठाकरे और शरद पवार को सबक सिखाने के लिए उनके पक्ष में तोड़फोड़ कर ,उनके दागदार मंत्रियों/नेताओं को बेदाग करने आश्वासन देकर सत्ता में आ गई लेकिन अब जब EVM भरोसे एकतरफा जीत हासिल की तो पलटी मार गई.सिर्फ शांति से इसलिए काम कर रही क्यूंकि ज्यादा अकड़ गई तो दोनों सेना,दोनों एनसीपी,कांग्रेस,निर्दलीय एक हो गए तो पुनः भाजपा रोड पर आ सकती है,इस डर से दिल्ली भाजपा फूंक फूँक कर कदम रख रही हैं.

महायुति और महाविकास आघाड़ी के तमाम विधायक भी शांत 

जब चिड़िया चुग गई खेत.……

खासकर कांग्रेसी नेता मंडली,इस पार्टी का यह आलम है कि इस पार्टी में अब कार्यकर्ता बचे ही नहीं….. सेंट-परसेंट नेता ही बचे है…….. नेता भी फाइव स्टार में आने जाने रहने खाने वाले…… क्यूंकि इस पार्टी ने अधिकांश वक़्त सत्ता में बिताया तो इन्हें आंदोलन… जनांदोलन क्या होता है उसका क्या महत्त्व है और उसका इम्पेक्ट से किस पर असर पड़ता है … इसका आभास ही नहीं।

वहीं दूसरी ओर भाजपा आंदोलन करते करते गई और आज भी सत्ता में रहते अपने ही पक्ष ,मंत्री के विभाग के खिलाफ आंदोलन करने से हिचकिचाती नहीं……. इसलिए आज पक्ष और विपक्ष की भूमिका भाजपा और उसके करीबी पक्ष और जब जब जरुरत पड़ा तो उनके समर्थक विपक्षी तथाकथित नेता मंडली कर अपना अपना उल्लू सीधा कर रही हैं !

उल्लेखनीय यह है कि EVM शुरुआत से ही देश में विवादों में रहा अबतक…… इसमें खामियां थी तो विगत लोकसभा पूर्व EVM के खिलाफ ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक जान आंदोलन किया होता लेकिन अपना उम्मीदवार,अपना उल्लू सीधा होते ही EVM की खिलाफत बंद हो जाती हैं और मनमाफिक परिणाम नहीं आया तो EVM का जिन्न सामने आ जाता हैं.

अब चूँकि राज्य में विधानसभा चुनाव परिणाम आ चूका है,सप्ताह-दो सप्ताह बीत चूका ,अब जबकि परिणाम में कोई बदलाव संभव नहीं फिर EVM को लेकर खिलाफत समझ से परे हैं!

एजेंट/विश्वासपात्र/समर्थक सभी पक्ष में हैं…..नाना के खिलाफ बिगुल फूंक अपना उल्लू सीधा करना चाह रहे कांग्रेस के नेता खुद अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे और मोहरे को बलि का बकरा बना रहे,अध्यक्ष बनना इसलिए चाह रहे क्योंकि वे हो गए बेरोजगार,डमी विवादास्पद लोकसभा सदस्य को लेकर अगला 5 साल राजनीत में बना रहना टेढ़ी खीर है,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस इन्हें राज्य का अध्यक्ष बनाएगी क्या…..जब खुद का मामला न्यायालय और जांच एजेंसी के अधीन हो तब…यह भी कड़वा सत्य है कि राजनीति में कुछ भी मुमकिन है…

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