जिले में चुनाव : देवेंद्र और नितिन समर्थकों के मध्य असल भिड़ंत

फिर कोई भी पक्ष हो,एक दूसरे के उम्मीदवारों को हराने/जीतने के लिए तय प्लान पर हो रहा कार्यक्रम 

नागपुर :- भले ही कितनी सफाई प्रस्तुत करें ,जिले में 3 ही नेता हैं,जो उलटफेर का मादा रखते है,इनमें से नितिन – सुनील एकतरफ तो दूसरी तरफ देवेंद्र अकेले लेकिन उनके पीछे खंब ठोक कर मोदी खड़े हैं.इन दोनों गुटों में पक्षों की राजनीति को दरकिनार पर जिले में अपना वजूद को लेकर राजनैतिक द्वंद्व वर्षों से छिड़ा हुआ है,समय आने पर सरकारी तंत्रों का इस्तेमाल कर एक दूसरे पर हमला बोलना आम बात हैं.इसी क्रम को विधानसभा चुनाव में भी कायम रखा हुआ हैं.सर्वत्र चर्चित है कि तीनों में से देवेंद्र व नितिन भाजपा से जुड़े है और केदार स्वयंभू होने के बावजूद कांग्रेस से जुड़े हैं,वे अपने आप में खुद एक दल हैं.शेष सभी इसी दलदल में हाथ-पैर मार रहे हैं.

ज्ञात हो कि जिले के कुछेक उम्मीदवारों के लिए तीनों सहमत है कि वह चुनकर आना चाहिए। जैसे रामटेक से राजेंद्र मूलक, काटोल से जिचकर पुत्र,हिंगणा से समीर मेघे,उत्तर से नितिन राउत,दक्षिण से मोहन मते आदि का समावेश हैं.

कांटे की टक्कर मध्य नागपुर में भाजपा उम्मीदवार प्रवीण दटके और कांग्रेस उम्मीदवार बंटी शेलके है.कहा जाता है कि दटके को गडकरी का समर्थन नहीं बल्कि देवेंद्र का आशीर्वाद हैं,इसलिए बंटी के साथ प्रत्यक्ष रूप से केदार और अप्रत्यक्ष रूप से गडकरी साथ दे रहे हैं.यहाँ हलबा उम्मीदवार जितना ज्यादा मत संग्रह करेगा उतना ही रोचक चुनाव होता जाएगा ,दूसरी ओर वंचित से खड़े मुस्लिम उम्मीदवार को मुस्लिम कितना साथ देती है,इससे कांग्रेस उम्मीदवार का भविष्य तय होगा।

दूसरा कांटे की टक्कर पश्चिम में है,यहाँ कांग्रेस का उम्मीदवार विकास ठाकरे तो भाजपा का उम्मीदवार गडकरी समर्थक सुधाकर कोहले है.ठाकरे को फडणवीस का समर्थन हासिल है.तो ठाकरे के खिलाफ कांग्रेस से बर्खास्त पदाधिकारी नरेंद्र जिचकर मैदान में रहकर ठाकरे के लिए सरदर्द बने हुए है, जिचकर ने 15000 के अस्स्पास वोट लिए और भाजपाई कुनबी सह उत्तर भारतीयों ने परंपरागत मतदान किया तो ठाकरे को घर बैठना पड़ सकता हैं.

नागपुर जिले के विधानसभा चुनाव में जो सबसे ज्यादा चर्चा में ही वह है सुनील केदार,जिससे शरद पवार,उद्धव ठाकरे सह कांग्रेस के तथाकथित दिग्गज नेता खफा है.तथाकथित नेता इसलिए कि महागठबंधन और कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ खुद और कांग्रेस के पदाधिकारियों संग खुलकर सक्रिय होने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा,यह उल्लेखनीय हैं.

उल्लेखनीय यह भी है कि जिले में केदार के अलावा एक भी कांग्रेसी नेता अपना क्षेत्र छोड़कर या अपने खासमखास उम्मीदवार का क्षेत्र छोड़कर प्रचार प्रसार के लिए नहीं निकलने का मादा रख रहा.सभी कोंग्रेसियो को खुद की चिंता जरुरत से ज्यादा है !

– आज की स्थिति में संभावित विधायको की चर्चा 

पूर्व – कृष्णा खोपड़े भाजपा

पश्चिम – सुधाकर कोहले भाजपा

उत्तर – नितिन राऊत कांग्रेस

मध्य – प्रवीण दटके भाजपा

दक्षिण – मोहन मते भाजपा

दक्षिण पश्चिम – देवेंद्र फडणवीस भाजपा

सावनेर- अनुजा केदार कांग्रेस

काटोल – जिचकर निर्दलीय

हिंगणा- समीर मेघे भाजपा

रामटेक -राजेंद्र मूलक निर्दलीय

उमरेड- सुधीर पारवे भाजपा

कामठी- चंद्रशेखर बावनकुले भाजपा

उक्त संभावना के पीछे का कारण भी खास है,भाजपा ने सर्व समाज ,जाति को ध्यान में रख कर उम्मीदवार तय किये,वही कांग्रेस ने सिर्फ सुर सिर्फ कुनबी उम्मीदवारों को तरजीह दी.

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