मुंबई :-आदि नृत्यालय मुंबई की संचालिका विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित, अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल मुंबई तथा देश के विभिन्न यूनिवर्सिटी द्वारा परीक्षक रही दर्शना अमित खामकर द्वारा कथक तथा तबला का, सायन महिला संघ तथा जुवेनीले स्पोर्ट्स क्लब,शिवाजी पार्क (दादर) मुंबई में तबला तथा कथक के विद्यार्थियों के लिए7,8,तथा 9 अप्रैल 2023 को वर्कशॉप का आयोजन किया गया ।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तबला वादक स्वर्गीय पंडित अभिजीत कुमार मजूमदार तथा स्वर्गीय पद्मा विभूषण पंडित किशन महाराज के शिष्य, राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित, सीसीआरटी फैलोशिप अवॉर्डी, पीएचडी तथा डिलीट से अलंकृत आचार्य डॉ प्रशांत गायकवाड (नागपुर) मार्गदर्शन में आयोजित इस सेमिनार में गिनती की तिहाईया,तीस्ञ तथा चतस्त्र जाति की परने, आड,कुआड,बिआड की लयकारी, ततकार, कवित्त जैसे लचत चलत श्री कृष्ण कन्हैया संग सखी बहू रास रचैया, डमडम डमडम डमकी डमकी डमरु बाजे (शिव स्तुति) ताकिट तान ता, रामकृष्ण धा, चक्रधार तिहाईया, फरमाइशी परण, ताल के 10 प्राण जाति तथा यतियोके प्रकारों के साथ जानकारी देकर बच्चों को पढ़ाया गया। 40 से 50 बच्चों को 1-1 भाग में पांच भागों में बांटा गया। आदि नृत्यालय की संचालिका (डॉ प्रशांत गायकवाड की गड्ढाबद्ध शिष्य ) “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना दर्शना अमित खामकर को भारत माता अभिनंदन सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत मे नृत्य के आदिदेव नटराज शिव जी की पूजा की गई । तत्पश्चात सेमिनार के अंत में सभी विद्यार्थियों ने डॉ गायकवाड द्वारा पढ़ाई गई चीजों को सबके सम्मुख प्रस्तुत किया तथा वाहवाही लूटी। खामकर उनकी माता, और सेमिनार के प्रशिक्षक रहे आचार्य डॉ प्रशांत गायकवाड द्वारा विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। संगीत के लिए समर्पित रहे आचार्य डॉ प्रशांत गायकवाड बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं । कथक तथा तबला के लिए यह उनका 124 वा सेमिनार था। भवंस भगवानदास पुरोहित विद्या मंदिर के शिक्षक डॉ प्रशांत गायकवाड जी के नाम सैकड़ों पुरस्कारों के साथ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड( 324 घंटे लगातार तबला बजाने का विश्व विक्रम तथा दुनिया के 47 देशों को भारतीय कला तथा संस्कृति सिखाने का विश्व विक्रम अंकित है। गायकवाड गुरु शिष्य परंपरा से देश विदेश के विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं और भारतीय कला तथा संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं।