– ग्रामीणों में रोष, विधायक सहित आस्थापना उपायुक्त से की नागरिकोने शिकायत
– हिवारा बाजार स्थित आंगनवाड़ी में का प्रकार, पालको के सब्र का बांध टूटा
– रिपोर्ट तैयार कर संबंधित वरिष्ठों को भेजने के सीडीपीओ को उपायुक्त के निर्देश
रामटेक :- तालुका के आदिवासी भाग के गांव हिवरा बाजार की आंगनबाड़ी में 6 महीने से 3 साल तक के शिशुओं के लिए दर्जाहिन पोषण आहार देणे का प्रकार हाल ही में उजागर हुवा उससे आक्रोशित पालको ने इसकी तक्रार आज ता. १५ डिसेंबर को विधायक आशिष जयस्वाल के साथ साथ आस्थापना उपायुक्त मंजुषा ठवकर को की | इस दौरान दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गयी | मेमो रीडिंग के लिए आज 15 दिसंबर को आस्थापना उपायुक्त मंजुषा ठवकर आज स्थानिय पंचायत समीती मे आयी थी ।
इस समय इस घटना की हर तरफ चर्चा हो रही है और पालको में काफी रोष है। विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, आज 15 दिसंबर को दोपहर 12 बजे के बीच उपायुक्त आस्थापना मंजूषा ठवकर स्थानीय पंचायत समिति में मेमो वाचन के लिए आई हुई थीं. इस मौके पर बीडीओ जयसिंह जाधव सहित तमाम संबंधित अधिकारी-कर्मचारी बैठक में मौजूद रहे. वहीं इस वक्त विधायक जायसवाल के निजी सहायक पुरुषोत्तम मेश्राम हिवारा बाजार के कुछ ग्रामीणों के साथ वहा पहुंचे। वह यहा विधायक आशीष जायसवाल से घटिया पोषान आहार की शिकायत करने के बाद पंचायत समीती मे आये थे. उन्होंने हिवारा बाजार स्थित आंगनबाड़ी में दिये जा रहे पोषाहार का पैकेट उपायुक्त आस्थापना मंजूषा ठवकर के समक्ष रखा और पोषाहार की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. ठवकर को सारा माजरा समझकर बैठक में उपस्थित सीडीपीओ से पूछताछ की और पोषाण निष्कृष्ट दर्जे के पोषण आहार पर पूरी रिपोर्ट तैयार कर संबंधित वरिष्ठों को भेजने का आदेश दिया. इस समय शिकायत करने पहुंचे पालको मे सतीश चौधरी, शंकर लाडे, नंदकिशोर केलवड़े, ओमप्रकाश उइके, भरत लाड़े आए थे। उनके बच्चे हिवारा बाजार स्थित आंगनबाड़ी में पढ़ रहे हैं। उन्होंने उपायुक्त ठवकर के सामने काफी रोष जताया।
44 ग्रामीणों की लिखित शिकायत
आंगनबाड़ी में घटिया पोषण आहार मिलने से हिवरा बाजार के निवासी काफी नाराज हैं। विधायक आशीष जायसवाल को 44 नागरिकों ने अपने हस्ताक्षर से लिखित शिकायत दी है. उन्होंने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्योंकि यह खेल बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खेला जा रहा है. हस्ताक्षर किए गए अधिकांश नागरिक आंगनबाड़ियों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता हैं।