– हाई कोर्ट में स्थानीय निवासियों की जनहित याचिका राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस
नागपूर :- 44 एकड़ के अंबाझरी उद्यान का पर्यटन विकास के नाम पर व्यावसायिक उपयोग करने का दावा करते हुए मामले की न्यायिक जांच करने की मांग करने वाली जनहित याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर की गई है। इस मामले में हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग, राजस्व और वन विभाग तथा सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) के प्रबंध निदेशक, जिलाधिकारी, मनपा आयुक्त, नासुप्र सभापति सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 6 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं.
यह मामला याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या, वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। अंबाझरी के स्थानीय निवासी व्यंकटराव चौधरी, अशोक डोंगरे और भरत जवादे ने नागपुर खंडपीठ ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, विकास योजना के तहत अंबाझरी क्षेत्र में 44 एकड़ भूमि उद्यान के लिए आरक्षित है. इस उद्यान को इसके स्थितिक महत्व को संरक्षित करने के लिए प्रथम श्रेणी विरासत में शामिल किया गया है। इसलिए मनपा को यहां किसी विकास कार्य की अनुमति देने से पहले हेरिटेज संरक्षण मिति की राय लेना आवश्यक है. हालांकि, 2०17 में पर्यटन कास के लिए इस उद्यान की जमीन महज एक रुपये प्रति वर्ष ने लीज पर महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) को साल के लिए दी गई.
एमटीडीसी ने 2०19 में एक वाणिज्यिक परियोजना के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया। इसमें पी. के. हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज कंपनी का चयन किया गया. हालांकि, एमटीडीसी और इस कंपनी ने अवैध रूप से गरुड़ एम्युजमेंट पार्क प्राइवेट लिमिटेड इस कंपनी को उप-ठेकेदार के रूप में नियुक्त किया. उसी वर्ष राज्य सरकार ने 30 वर्ष की लीज 99 वर्षों के लिए कर दी। याचिकाकर्ता ने इस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया है कि यह समझौता अवैध है। साथ ही हाई कोर्ट के तीन न्यायमूर्ति की समिति गठित कर इस मामले की जांच करने की मांग भी याचिका में की गई है. इस मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि, अंबाझरी उद्यान का व्यावसायिक उपयोग करते हुए यहा एम्युजमेंट पार्क बनाया जा रहा है. इसके लिए नासुप्र के स्थान पर एमटीडीसी को योजना प्राधिकरण नियुक्त किया गया. एमटीडीसी ने एम्युजमेंट पार्क के विकास के लिए यह जमीन निजी कंपनी को हस्तांतरित कर दी. इस अवैध हस्तांतरण से राज्य सरकार को 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. साथ यह भी आरोप लगाया गया है कि यह परियोजना पर्यावरण के लिए खतरा है और हरियाली को नष्ट कर रही है.