खापरखेड़ा :-खापरखेड़ा महाजेनको के यूनिट 3 व 4 में बार बार आ रही दिक्कतों के चलते महाजेनको हेड ऑफिस मुंबई ने खापरखेड़ा क्षेत्र में फैल रहा प्रदूषण को देखते हुए नई निविदा निकली हैं। जिसको लेकर कुछ समाचार पत्रों ने निविदा को लेकर आरोप लगाए हैं। जबकि हकीकत कुछ और ही है।
बताया जा रहा महाजेनको के खापरखेड़ा 210 मेगावॉट के यूनिट 3 व 4 बाइस वर्ष पुराने हो चुके हैं।तथा यह ड्राई ऐश प्लांट पूरे भारतवर्ष का पहला प्लांट भी है। अब हकीकत से रूबरू कराते हैं।यूनिट 3 व 4 में कुल 4 पास आते हैं जिसको 6 रोव(Row)में बांटा गया है। 6 रोव को चौबीस घंटे में (evacation) खाली करना अनिवार्य होता हैं। पहले रोव के हॉपर में 70 प्रतिशत राख का कलेक्शन होता है।तथा 2 व 3 रोव में 5 प्रतिशत कलेक्शन होता है।बाकी बचे 4,5,6 के हॉपर में 20 प्रतिशत राख कलेक्शन होता है। फर्स्ट रोव को contineous चलना पड़ता है। सेकंड व थर्ड रोव को भी चौबीस घंटे में 3 बार ऑपरेट किया जाता है।4,5,6 को ऑपरेट नही किया जाता है। जब कोयले की खपत कम की जाती हैं। तब वहां का रनिंग कॉन्ट्रैक्टर रोव 2nd व 3rd में लगे वॉल निकालकर रोव 5 तथा 6 में लगा कर ऐश भरा हॉपर खाली किया जाता रहा है।(वजह बिजलीघर के पास कलपुर्जो की कमी के चलते) ऑपरेशन के नॉर्म के नुसार चौबीस घंटे में एक बार हॉपर खाली करना आवश्यक होता हैं।
ऊपर बताए गए कारणों के नुसार बार बार हॉपर खली नही होने से यूनिट 3 के D पास हॉपर नं 67,68 की ESP फील्ड डैमेज होने के कारण उसे 2020 में ही निकाल दिया गया था। जिसके चलते यूनिट 3 का प्रदूषण यूनिट 4 से अधिक था। जिसका खामियाजा खापरखेड़ा तथा उसके आसपास के गांव को भुगतना पड़ा था।जिसको लेकर ग्रामीणों ने महाजेनको के खिलाफ आंदोलन चलाया था।तथा महाजेनको मुंबई मुख्यालय व मंत्रालय में शिकायत दर्ज की थी। इसी बात से संज्ञान लेते हुए बिजलीघर खापरखेड़ा ने compressive operation & maintenance का प्रपोजल मुंबई महाजेनको हेड ऑफिस को बना कर भेजा गया था। जिसे हेड ऑफिस ने पिछले वर्ष 2022 जुलाई को मंजूरी दे दी थी।
इसके पूर्व भी उपरोक्त टेंडर के विरोध में अधिकारियों व कॉन्ट्रैक्टर पर मिलीभगत के आरोप किये जा चुके हैं। इन्ही आरोपों के मद्देनजर महाजेनको ने अगस्त,सितंबर, अक्टूबर, नवम्बर तक आरोपों की जांच पड़ताल कर मामले का निपटारा किया। तथा टेंडर को दोबारा दिसम्बर महीने में प्रकाशित किया गया। बावजूद महाजेनको के खिलाफ नागपुर के एक समाजसेवी द्वारा दूसरे कॉन्ट्रैक्टर के बहकावे में आकर महाजेनको मुंबई द्वारा जारी टेंडर पर आरोप लगाया है जो कि सारा सर गलत हैं।
जो भी टेंडर निकाला गया हैं वो ओपन बेसिस पर है जिसे देश की कोई भी कंपनी टेंडर में हिस्सा ले सकती हैं। उल्लेखनीय हैं कि आरोप लगाने वाले खापरखेड़ा क्षेत्र के न होकर बाहरी लोग है जिनको खापरखेड़ा बिजलीघर को लेकर कोई लेना देना नही है।जबकि खामियाजा खापरखेड़ा तथा आसपास के क्षेत्र के लोगो को भुगतना पड़ता है। गौरतलब है एक ही टेंडर पर बार बार आक्षेप के खापरखेड़ा वासी प्रदूषण से परेशान हो रहे हैं।बावजूद टेंडर प्रक्रिया में अड़ंगा डाला जा रहा हैं। टेंडर होने से खापरखेड़ा वासियों को प्रदूषण की मार से बचाया जा सकता है। इसके अलावा यही सिस्टम राज्य के पूरे महाजेनको के संयंत्रों में लगाया जाना समय की मांग हैं।