नागपूर :- चैम्बर ऑफ एसोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड (CAMIT), जो महाराष्ट्र भर के व्यापार और उद्योग संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है, ने महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (MERC) को एक विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। इस प्रतिवेदन में CAMIT ने दिनांक 28.03.2025 के मल्टी ईयर टैरिफ (MYT) आदेश पर 2 अप्रैल 2025 को दिए गए एकतरफा स्थगन आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग की है (प्रकरण क्रमांक 217/2024)।
उक्त MYT आदेश, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है, को व्यापक जनसुनवाई एवं 4,485 उपभोक्ताओं व संगठनों की आपत्तियों एवं सुझावों की समीक्षा के बाद पारित किया गया था। इस आदेश में विद्युत अधिनियम 2003 व राष्ट्रीय विद्युत नीति के अनुरूप क्रॉस सब्सिडी को कम करते हुए सभी उपभोक्ता श्रेणियों के लिए बिजली दरों में उल्लेखनीय कमी की गई थी।
हालांकि, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) ने बिना औपचारिक पुनर्विलोकन याचिका दायर किए, अंतरिम आवेदन (IA नं. 42/2025) प्रस्तुत कर आयोग से आदेश की समीक्षा या संशोधन के लिए स्वप्रेरणा से कार्यवाही (suo-motu powers) की मांग की। MSEDCL की एकतरफा याचिका के आधार पर ही आयोग ने 2 अप्रैल 2025 को आदेश पर एकतरफा स्थगन दे दिया।
CAMIT अध्यक्ष डॉ. दीपेन अग्रवाल ने इस स्थगन आदेश पर कड़ा विरोध दर्ज किया है और इसे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन, प्रक्रियागत असंगतता और उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध बताया है:
• प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन: MYT की प्रक्रिया में भाग लेने वाले किसी भी उपभोक्ता या संगठन को सूचना दिए बिना और बिना सुनवाई के एकतरफा स्थगन दिया गया।
• रिकॉर्ड पर कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं: सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की आदेश 47 नियम 1 के तहत समीक्षा की शर्त के अनुसार MSEDCL कोई स्पष्ट त्रुटि साबित नहीं कर सका।
• लागू आदेश को स्थगित नहीं किया जा सकता: विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 64(6) के अनुसार, एक बार लागू हो जाने के बाद टैरिफ आदेश तब तक प्रभावी रहता है जब तक उसे विधिवत संशोधित या निरस्त न किया जाए।
• उपभोक्ताओं को कोई नुकसान नहीं: MSEDCL के दावे के विपरीत, MYT आदेश में सभी श्रेणियों के लिए दरें कम की गईं हैं। राज्य के अन्य वितरण लाइसेंसियों की तुलना में MSEDCL की दरें अब भी सबसे अधिक हैं।
CAMIT ने जोर देते हुए कहा कि MSEDCL द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पुनः सुनवाई का एक पिछला दरवाजा है और इससे न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार किया गया है। CAMIT ने MERC से निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. 02.04.2025 को दिया गया एकतरफा स्थगन तत्काल रद्द किया जाए।
2. MSEDCL को औपचारिक पुनर्विलोकन याचिका दाखिल करने और उसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया जाए।
3. पुनर्विलोकन याचिका पर सार्वजनिक सुनवाई आयोजित की जाए, जिसमें सभी प्रभावित हितधारकों को भाग लेने का अवसर मिले।
CAMIT ने महाराष्ट्र के व्यापारियों, उद्योगों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हेतु अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और सभी सार्वजनिक टैरिफ और उपयोगिता से जुड़े नियामक निर्णयों में पारदर्शिता और प्रक्रिया की पवित्रता की मांग की।