नागपुर :- किसी न किसी कारण मनपा हमेशा ही विवादों में बनी रहती है. शुक्रवार को भी इसी तरह का एक मामला उजागर हुआ जिसमें अब मनपा की सम्पत्ति ही कुछ लोगों ने बेच डाली. देर से ही सही लेकिन मामला उजागर होते ही जागी मनपा ने 10 लोगों के खिलाफ वाठोडा पुलिस थाना में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है.
पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार तरोडी में महानगरपालिका की 11.07 हेक्टेयर भूमि है. वर्तमान में इसका बाजार मूल्य 140 करोड़ रुपए है. मनपा के अधिकार क्षेत्र में होने के बाद भी बिल्डर्स और कुछ लोगों ने मिलकर इस भूमि पर प्लॉट डाल दिए और लोगों को बेच डाले.
इन लोगों पर दर्ज हुआ मामला
स्नेहल डेवलपर्स एंड बिल्डर्स के मालिक विलास सातपुते, नत्थू जोगा गिरीपुंजे, धनराज जागो गिरीपुंजे, सजाबाई गिरीपुंजे, मनोहर गिरीपुंजे, लक्ष्मीबाई गिरीपुंजे, प्रभा गिरीपुंजे, अनिता कापसे, वनिता गिरीपुंजे और सविता गिरीपुंजे.
1962 में प्रन्यास ने किया था अधिग्रहण
मनपा के स्थावर विभाग के कार्यकारी अभियंता पाराशर द्वारा की गई शिकायत के अनुसार जागो केशव तेली नामक व्यक्ति इस जमीन का मूल मालिक था. नागपुर सुधार प्रन्यास ने इस जमीन का अधिग्रहण 31 मार्च 1962 को किया था. इसी तरह से भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने इसी तरह से भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने जमीन के मुआवजे की राशि निर्धारित की थी. जमीन के मूल मालिक तेली और उनके परिजनों ने जमीन का मुआवजा भी प्राप्त कर लिया, साथ ही प्रन्यास को जमीन हस्तांतरित करने के दस्तावेज दिए.
मनपा को हुई थी हस्तांतरित
बताया जाता है कि प्रन्यास द्वारा वर्ष 1969 में मनपा को यह जमीन हस्तांतरित की गई. इसके बाद सरकारी दस्तावेज 7/12 पर महानगरपालिका का नाम दर्ज किया गया. जमीन के 7/12 पर मनपा के नाम के पंजीयन की प्रक्रिया चल रही थी कि इसी दौरान 2016 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को प्रकल्प के लिए जमीन देने का प्रस्ताव हुआ. संस्था को जमीन देने का निर्णय होने के बाद सरकारी दस्तावेजों पर उसका नाम दर्ज किया जाना था. इसी दौरान इन उक्त आरोपियों ने 7/12 पर अवैध तरीके से अपने नाम दर्ज करवा लिया. इसके बाद मनपा की ओर से इन लोगों के खिलाफ पहले नंदनवन पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया था.
साई को 87.25 एकड़ भूमि
बताया जाता है कि मामला उजागर होने के बाद मनपा ने 7/12 पर अपना नाम पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू की. 14 सितंबर 2017 को मनपा के नाम जमीन हो गई. राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के निर्देशों के अनुसार इस जमीन के साथ खसरा क्रमांक 55 की 11 हेक्टेयर भूमि मिलाकर कुल 87.25 एकड़ जमीन भारतीय क्रीड़ा प्राधिकरण के प्रादेशिक केंद्र और राष्ट्रीय क्रीड़ा प्रशिक्षण संस्था को आवंटित की गई. इस बीच आरोपी बिल्डर्स और अन्य लोगों ने खसरा क्रमांक 55 की 11 हेक्टेयर जमीन पर प्लॉट बनाकर लोगों को बेच दिए.