बीजेपी नेता डॉ. राजीव पोतदार की टिकट काटकर वर्चस्व बचाने की रची साजिश? पार्टी की चुप्पी बरकरार..!

दिनेश खेमसिंग दमाहे, मुख्य संपादक

सावनेर विधानसभा में डॉ. राजीव पोतदार की MLC टिकट कटने पर सियासी घमासान!

किस के दबाव में यह निर्णय लिया गया समथोको में चर्चा! 

सावनेर-कलमेश्वर विधानसभा में इन दिनों राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में डॉ. आशीष देशमुख के नवनिर्वाचित विधायक बनने के बाद से ही क्षेत्र में सत्ता संतुलन को लेकर अटकलों का दौर जारी था। इसी बीच, वरिष्ठ और कद्दावर नेता डॉ. पोतदार की MLC टिकट कटने की खबर ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है।

क्या टिकट कटना पहले से तय था या किसी ने खेल कर दिया?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि बीजेपी नेतृत्व ने डॉ. पोतदार को MLC टिकट का आश्वासन पहले ही दिया था। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी यही भरोसा था कि इस बार उनकी दावेदारी पक्की है। लेकिन ऐन वक्त पर टिकट कटने से हर कोई हैरान है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर यह फैसला क्यों और किसके इशारे पर लिया गया?

क्या विधायक का वर्चस्व बचाने की थी साजिश? चर्चा का विषय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टिकट कटने के पीछे अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी अहम कारण हो सकते हैं। एक तरफ यह तर्क दिया जा रहा है कि पार्टी में संतुलन बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया, तो दूसरी तरफ चर्चा इस बात की भी है कि नए विधायक के बढ़ते प्रभाव और वर्चस्व को कायम रखने के लिए यह कदम उठाया गया। स्थानीय स्तर पर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि डॉ. पोतदार अगर MLC बन जाते, तो सावनेर विधानसभा में दो शक्तिशाली नेताओं का वर्चस्व पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकता था इसलिए रणनीति के तहत उनकी टिकट काट दी गई?

समर्थकों में नाराजगी, अब क्या होगा अगला कदम?
डॉ. पोतदार के समर्थकों में इस फैसले से भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। कई लोग इसे राजनीतिक अन्याय मान रहे हैं और खुलकर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किस दबाव में यह निर्णय लिया गया? वहीं, दूसरी ओर पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे और भी तरह की अटकलों को बल मिल रहा है।

क्या सुलग रही है नई बगावत की चिंगारी?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि डॉ. पोतदार इस झटके को किस तरह लेते हैं। क्या वे इसे पार्टी नेतृत्व का फैसला मानकर स्वीकार कर लेंगे, या फिर राजनीतिक रूप से कोई बड़ा कदम उठाएंगे? क्या सावनेर की राजनीति में इस घटनाक्रम का दूरगामी असर देखने को मिलेगा? यह सब आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल, सावनेर विधानसभा में यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में है, और सभी की नजरें इस पर टिकी हुई हैं कि आगे क्या होगा।

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