– बिना प्रचार व खर्च के चुनाव जीतने का सपना देखने वाले, अब खुले हाथ से मजबूत कार्यकर्ता व मीडिया को बाँट रहे…..अविनाश की अगुआई में
नागपुर :- देश का सबसे चर्चित लोकसभा चुनाव में भाजपा के विभीषणों की सक्रियता से नागपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी गहरे संकट में आ गए हैं,अब अगर शत-प्रतिशत अपने थोथी ब्यानबाजी से नहीं मुकरे तो उन्हें घर बैठने की नौबत आ सकती हैं,यह कड़वा सत्य हैं……. हजम हो या न हो.इसका सीधा लाभ ‘राज योग का किस्मत लेकर जन्म लेने वाले विकास ठाकरे’ को मिलने जा रहा हैं.
मोदी-शाह के 400 पार बाद खुद हाथ में पूर्ण सत्ता और ताकत की राह में रोड़ा और कोई नहीं बल्कि नितिन गडकरी ही है और थे भी.क्यूंकि पिछले 10 वर्ष में केंद्र सरकार के तहत जितने भी जनहितार्थ या स्वार्थ हितार्थ कार्य हुए,उनसे उस प्रमाण में प्रचार प्रसार नहीं मिला,जितनी उम्मीद थी.
देश भर में अगर कुछ चर्चा में रही तो सिर्फ गडकरी और गडकरी के विभाग की,हालाँकि BY HOOK OR CROOK काम हुए,जिससे उस प्रमाण में जनता को लाभ नहीं हुआ,जैसा होनी चाहिए थी,इनके द्वारा किये गए विकास कार्य के नाम चुनिंदा का विकास देखते ही बनता हैं.लोहे,सीमेंट,प्लांटेशन,रेती,लेबर सप्लायर सह मशीनरी व ट्रांसपोर्टर जैसों का.
मोदी-शाह के अन्य मंत्री का SHOW …… SO … SO …. ही रहा.
बावजूद इसके ‘मैं और मेरी तन्हाई’ का डंका मोदी-शाह बजाते रहे आजतक।सार्वजानिक मंच से भी भाजपा के लिए कम खुद के नाम पर ज्यादा वोट की मांग आ भी करते नज़र आते हैं.ऐसा लगता है भाजपा संगठन मोदी-शाह के सामने बौनी हो गई हैं और तो और भाजपा की मूल संगठन का पिछले 10 वर्षो में अस्तित्व ही नहीं रह गया हैं.जिस संगठन में तैयार होकर मोदी- शाह दिल्ली की सर्वोच्च पद तक पहुंचे,उसी संगठन RSS की भूमि पर आकर भी मत्था नहीं टेकना उनके अहंकार को प्रदर्शित कर रहा हैं.
उसी जोड़ी ने हर राज्य में अपने अपने सिपाह सलाहकार तय कर उन्हें खुद का अंध भक्त बनाकर उन उन राज्यों में अपने प्रतिद्वंद्वी को निपटाते पिछले 10 से आ रहे हैं.इस 11 वें वर्ष में नितिन गडकरी का नंबर लगा,उनके निपटाने की जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस को सौंपी गई ऐसी चर्चा चल रही है. फडणवीस ने अपने MISSION को अंजाम तक देने के लिए अपने अत्यंत करीबी कांग्रेस के शहराध्यक्ष व अपने आशीर्वाद से जिन्हें MLA बनाए,उसे अर्थात विकास ठाकरे को इस बार गडकरी के खिलाफ न सिर्फ खड़ा कर बल्कि उसका BACK HAND मजबूत करते जा रहे हैं?
योग योग देखिये शहर में कांग्रेस के दिग्गज तथाकथित नेता विलास मुत्तेमवार,सतीश चतुर्वेदी व नितिन राऊत ने लोस चुनाव लड़ने से पहले से ही मना कर अपनी पेअर पर कुल्हाड़ी मार ली.पूर्व की ‘राजीव सेना’ और उसकी सहयोगी गडकरी पक्ष में पहले से ही SILENT रहे हैं.
अब लोस चुनाव लड़ने के लिए मर मर करने वाले कांग्रेस के NO BALL टिकट मांग रहे थे,उन्हें शहर का नया नेता बनाने को कोई तैयार नहीं तो विकास ठाकरे को लोस चुनाव लड़ने में सहयोग करने का आश्वासन देकर उन्हें उम्मीदवार बनाकर चुनावी जंग में कूदा दिया।
विकास ठाकरे मूलतः मुत्तेमवार के कार्यकर्ता थे,उन्होंने ही उन्हें विदर्भ यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष पहली मर्तबा बनाया था,फिर नगरसेवक फिर जातिगत समीकरण के आधार पर महापौर बनाने का अवसर भी उन्हें मिला।
बाद में दक्षिण – पश्चिम क्षेत्र से देवेंद्र फडणवीस को अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने के एवज में उन्हें फडणवीस ने भी खुल कर अप्रत्यक्ष रूप से विधायक बनाने में अहम् भूमिका निभाई।
अब चूँकि मामला 400 पार का है और इस ऐतिहासिक अभियान में मोदी शाह को एक भी कांटा नहीं चाहिए,इसलिए सबसे बड़ा कांटा गडकरी और RSS को उसकी ही भूमि पर निपटाने के लिए मोदी-शाह ने देवेंद्र तो देंवेंद्र ने अपने सभी सिपाह सलाहकार को काम से लगा दिया हैं.इसलिए देवेंद्र के सभी सिपाह सलाहकार गडकरी के लिए सक्रीय होने के बजाय अजीब सी शांति बनाए हुए हैं.
गडकरी बनाम ठाकरे में चुनावी जंग शुरुआत में हल्की लग रही थी,जैसे जैसे मतदान का दिन निकट आता जा रहा है,वैसे वैसे गडकरी के पसीने छूट रहे है और गडकरी अपनी जुबान से मुकरते जा रहे है,चुनिंदा मीडिया समूह को ‘मोटी पॅकेज’ देकर मिडिया में बने हुए है?वही दूसरी ओर 10 से लेकर 100 वोट को इधर से उधर करने की क्षमता रखने वाले नेतृत्वकर्ता को उनके मनमाफिक खुश करते जा रहे हैं.
वही दूसरी ओर विकास ठाकरे को उम्मीद भी नहीं थी कि चुनाव इस कदर रंग बदलेगा,दिनों दिन उनके भाषण तेज होते जा रहे हैं,OBC समुदाय,बिहारी हिन्दीभाषी,मुश्लिम, हलबा, SC-ST का समर्थन बढ़ता जा रहा हैं.
चुनाव इस रंग में पहुँच चूका है कि अगर देवेंद्र ने सही मायने में विकास की मदद कर दी तो नितिन गडकरी की हैट्रिक का सपना धरा का धरा ही रह जाएगा। अर्थात गडकरी इस चुनाव में जितने के लिए जिस अंदाज में अविनाश के मार्फ़त जितनी खर्च कर रहे वह पानी में चला न जाए ……. अगर ऐसा हुआ तो यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि विकास ठाकरे का ‘राज योग’ ने उन्हें संसद तक पहुंचा दिया।