नॉर्वे के वाणिज्य राजदूत से की गई चर्चा : सत्येकार
कन्हान :- नागपुर के साथ-साथ पूर्वी विदर्भ में धान और कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। फसल कटने के बाद धान और कपास से बड़ी मात्रा में तनस और कचरा निकलता है। यह कचरा किसानों के किसी काम का नहीं होने के कारण किसान इसे खेतों में ही जला देते हैं। जिससे प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। यदि इस कचरे को उपयोग में लाया जाए तो इससे बायो सीएनजी, इथेनॉल, बायो मास्क तैयार किए जा सकते है। जिससे किसानों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार मिलेगा तथा प्रदूषण पर भी काफी हद तक नियंत्रण लाया जा सकता है। साथ ही विदेशों है से पेट्रोलियम उत्पाद लाने (आयात) करने का पैसा भी बचाया जा सकता है।
नॉर्वे देश आपरंपरिक ऊर्जा निर्माण क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से व एक है। नॉर्वे तकनीकी और वित्तीय सहयोग के माध्यम से भारत के साथ पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं को करने का इच्छुक है। नागपुर और पूर्वी विदर्भ में बायो सीएनजी, एथनॉल, बायो मास्क जैसे प्रोजेक्ट ने शुरू करने का बड़ा मौका है। नागपुर में विदर्भ उद्योग संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में किसान नेता संजय सत्येकर ने नॉर्वे के वाणिज्यिक व राजदूत आरने जन फ्लोलो और उपवाणिज्यिक राजदूत टोन हेलेना से चर्चा की और नागपुर क्षेत्र में संसाधन परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी देकर परियोजना शुरू करने का विषय प्रस्तुत किया।