– वर्धमान नगर के राधा कृष्ण मंदिर में सती चरित्र का वर्णन
नागपुर :- श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। उक्त आशय के उद्गार वर्धमान नगर के राधा कृष्ण मंदिर में वृन्दावन निवासी भागवत कथाकार वेद व्यास महाराज ने कहे। कथावाचक ने कहा कि हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है।
वेद व्यास महाराज ने सती चरित्र का आज वर्णन किया। उन्होंने बताया कि माता सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया था और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया। लेकिन बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को यह पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी। लेकिन भगवान शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए कहीं जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है। लेकिन माता सती नहीं मानी और राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंच गई। वहां पहुंचने पर सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ अग्नि में स्वाहा कर दिया। जब भगवान शिव को ये पता चला तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की समस्त नगरी तहस-नहस कर दी और सती का शव लेकर घूमते रहे। भगवन विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए। जहां शरीर का टुकड़ा गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बनी।
आज व्यास पीठ का प्रथम पूजन मुख्य यजमान शंकरलाल हीरालाल केडिया परिवार, मैनेजिंग ट्रस्टी पवन पोद्दार सहित अन्य ने किया। सोमवार को जड़भरत चरित्र, प्रह्लाद चरित्र, वामन अवतार का वर्णन होगा। कथा का समय 2.30 बजे से रखा गया है। सभी से उपस्थिति की अपील की गई है।