– स्थाई समिति ने बहुमत से दी मंजूरी
नागपुर :- जिला परिषद की तिजोरी में विभिन्न माध्यम से प्राप्त राशि वह उसे खर्च करने के बाद बच्चे 100 करोड रुपए की राशि वित्त विभाग के पास होने के बाद उजागर हुई है। यह खंड राष्ट्रीय को बैंक में रखने पर भारी ब्याज आकर उसे आय का स्रोत के रूप में देखा जाए इस उद्देश्य से 100 करोड़ का फाइन दो बैंक में निवेश करने का निर्णय लिया गया हाल ही में हुई साइज समिति ने इस विषय को बहुमत से मंजूरी दी।
वित्त विभाग के अंतर्गत सभी के बैंक खाता के राशि की समीक्षा करने पर इसमें विगत 4 वर्षों से हर वर्ष अंतिम शिष्य रकम 100 करोड़ से अधिक होने की बात पाई गई यह निवेश शॉर्ट टर्म डिपॉजिट में निवेश करने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौम्या शर्मा की अध्यक्षता में 10 अक्टूबर को निवेश समिति स्थापित की गई यह त्रिस्तरीय समिति थी इसमें अतिरिक्त सीईओ, उप सीईओ पंचायत, मुख्य लेखा बबीता अधिकारियों का सदस्य सचिव के रूप में समावेश था। पहले जिला परिषद को मिलने वाला अनुदान उपाय अग्रिम द्वारा दिया जाता था परंतु 2001 से वेतन v15 अक्टूबर 2008 से वेतन अनुदान बजटिय वितरण पद्धत के अनुसार दिया जा रहा है। शेष राशि का विनियोग तुरंत करना संभव नहीं होगा तो कम समय के लिए ऐसी राशि जिला मध्यवर्ती बैंक अथवा जिला परिषद का लेनदेन जी बैंक से चलता है बाहर रखने के सरकार का आदेश है इसके लिए 27 अक्टूबर 2015 का वित्त विभाग का शासन निर्णय का जीआर इस समिति ने दिया है 100 करोड़ की राशि 180 दोनों के लिए निवेश करने के लिए राष्ट्रीय कुछ बैंकों द्वारा ब्याज के दर प्रस्ताव मांगे गए थे। इसमें जो बैंकों ने बंद लिफाफे में अपने दर प्रस्तुत किया यह सारे लिफाफे 18 अक्टूबर को समिति के सामने रखे गए इसमें उच्च ब्याज दर या बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र व केनरा बैंक का पाया गया दोनों बैंकों का ब्याज दर 7.30 प्रतिशत था इसलिए इन दोनों बैंकों में 50-50 करोड रुपए का निवेश करने के लिए मंजूरी दी गई है