– यूनियन ने हॉकरों का सर्वे कराने की मांग की
नागपूर :- आए दिन पूरे शहर में फुटपाथ दुकानदारों के खिलाफ एक सुनियोजित मकसद के चलते नागपुर महानगरपालिका प्रशासन फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ने में लगी है और हर दिन अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों हजार फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ा जा रहा है उनके सामान जप्त किए जा रहे हैं! यह सारी कार्यवाही मनपा की ना सिर्फ फुटपाथ दुकानदार विरोधी है बल्कि कानून का भी खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है! इस प्रकार की गैर कानूनी कार्रवाई आखिर मनपा प्रशासन किनके हितों की पूर्ति करने के लिए कर रही है? यह सवाल शहर के हजारों हजार फुटपाथ दुकानदार जानना चाहते है!
नागपुर जिला पथ विक्रेता (हॉकर) संघ (सलग्न: नेशनल हॉकर फेडरेशन व महाराष्ट्र हॉकर फेडरेशन) का एक शिष्टमंडल कल शुक्रवार दिनांक 11 अगस्त को मनपा के उपायुक्त प्रकाश वराडे से मिला और एक ज्ञापन सौंपा तथा विस्तार से चर्चा की! निगम प्रशासन की कार्रवाई चाहे इतवारी में हो या फिर बर्डी में हो यह सारी कार्यवाही गैर कानूनी कार्यवाही है! शिष्टमंडल का नेतृत्व भाई जम्मू आनंद, उपाध्यक्ष, नेशनल हॉकर फेडरेशन ने किया! शिष्टमंडल ने प्रशासन से सवाल किया कि आखिर निगम प्रशासन जिसके ऊपर पथ विक्रेता (उपजीविका संरक्षण व विक्रय विनियमन) अधिनियम 2014 तथा पथ विक्रेता (उपजीविका संरक्षण व विक्रय विनियमन) महाराष्ट्र नियम 2016 लागू करने के लिए कानूनी तौर पर बंधनकारक होने के बावजूद किस हैसियत से लोकशाही में एक स्थानीय संस्था जो कि संवैधानिक संस्था है कानून का उल्लंघन कैसे कर सकती है?
इतनी हिम्मत मनपा प्रशासन को आती कहां से है? आखिर सरकारी यंत्रणा जिसेके ऊपर कानून को लागू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है फिर भी खुल्लम खुल्ला कानून का उल्लंघन कि के हितों की रक्षा करने के लिए फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ रही है? शिष्टमंडल ने मनपा उपायुक्त को याद दिलाया कि यही वह मनपा है जिसने फुटपाथ दुकानदारों से 3 करोड रुपए के ऊपर यह कह कर पैसा वसूला की उन्हें प्रमाण पत्र देंगे या परवाना देंगे! फुटपाथ दुकानदारों से दो अलग किस्तों में मनपा ने पैसे लिए हैं जिसकी रसीद भी दी गई है! पहली बार में ₹228 लिए गए और बाद में ₹772 लिए गए, मनपा प्रशासन ने फुटपाथ दुकानदारों से पैसे तो ले लिए लेकिन न परवाना दिया और ना ही प्रमाण पत्र दिया!
वर्ष 2014 में फुटपाथ दुकानदारों के लिए देश के स्तर पर संसद ने कानून बनाया लेकिन 9 वर्ष बीत जाने के बावजूद मनपा कानून को लागू नहीं करना चाहती है! ऐसी स्थिति में जहां एक तरफ फुटपाथ दुकानदार कानून के दायरे में आया है, फुटपाथ व्यवसाय को कानूनी व्यवसाय माना गया है लेकिन क़ानून को लागू नहीं किये जाने की वजह से वह मनपा प्रशासन की गैर कानूनी कार्रवाई का शिकार हो रहा है! फुटपाथ दुकानदार अतिक्रमणकारी नहीं है कानून ने स्पष्ट रूप से कह दिया है की फुटपाथ दुकानदार यह सार्वजनिक सेवा उपलब्ध कराने वाला एक महत्वपूर्ण घटक है और देश के अर्थव्यवस्था का बहुत ही अहम हिस्सा है!
फुटपाथ दुकानदार देश की अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से अपना योगदान देता है लेकिन मनपा अतिक्रमण मुक्त शहर बनाने के नाम पर निगम प्रशासन द्वारा न्यायालय की दिशाभूल लगातार करते आ रही है और न्यायालय में फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ कर अतिक्रमण हटाने के नाम पर मनपा द्वारा न्यायलय में हलफनामा पेश किया जाता है! अतः संगठन ने मांग की की कानून के मुताबिक हर 5 वर्ष में शहर के फुटपाथ दुकानदारों का सर्वेक्षण करना अनिवार्य है! लेकिन कानून बनने के बाद मनपा ने एक बार भी सर्वेक्षण नहीं किया है अतः मनपा पहले फुटपाथ दुकानदारों का सर्वेक्षण करें! वरहाडे ने आश्वासित किया की जल्द ही एक आधिकारिक बैठक बुलाई जायेगी! शिष्टमंडल में भाई आनंद के अलावा कविता धीर (सचिव), प्रमोद पोफली, मोहम्मद युसूफ, गगन चौरिया, ईश्वर तिडके, मोहम्मद एज़ाज़, प्रखर चौरिया, खड़ेबहादुर दुबे, मोहर्रम अली, सतीश भेंडे, ममता ढेंगे, अरविंद डोंगरे तथा संतोष कांबले उपस्तिथ थे!