– अन्य रेलवे स्टेशनों, सड़कों और शहरों के विदेशी नाम बदलें ! – हिन्दू जनजागृति समिति
मुंबई :- महाराष्ट्र की महागठबंधन सरकार ने मुंबई के आठ रेलवे स्टेशनों के पराए नाम परिवर्तित कर उन्हें स्वदेशी नाम देने का साहसिक निर्णय लिया है । हम हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से उनका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं ! इसी प्रकार, अनेक रेलवे स्टेशनों, सडकों, शहरों, तहसीलों, गांवों, उद्यानों को विदेशी आक्रमणकारियों के नाम दिए गए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति ने मांग की है कि राज्य सरकार को उपरोक्त विदेशी नामों को परिवर्तित करने की कार्रवाई करनी चाहिए ।
हिन्दू जनजागृति समिति कई वर्षों से लगातार ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ (वर्तमान में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’), ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा’, ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति आन्दोलन’ जैसे विभिन्न माध्यमों से विदेशियों और विदेशी आक्रमणकारियों के नाम बदलने की मांग करती रही है । पिछले एक हजार वर्षों में भारत पर मुगल, अंग्रेज, पुर्तगाली, फ्रांसीसी, डच आदि कई विदेशी आक्रमणकारियों ने साम्राज्य विस्तार के लिए आक्रमण किया । भारत में कई शहरों, भवनों के नाम बदल दिए गए । भारत 75 वर्ष पहले एक राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र हुआ; लेकिन परतंत्रता के ये घाव आज भी शहरों, इमारतों, संग्रहालयों, सडकों आदि के नामों के रूप में उपस्थित हैं । जिन विदेशी आक्रांताओं से हमने युद्ध करके उन्हें भारत से बाहर खदेड दिया, उनके नाम भारत में क्यों होने चाहिए? भारतीयों पर अनगिनत अत्याचार करनेवाले आक्रांताओं का महिमामंडन क्यों? गुलामी के इन निशानों को गर्व से प्रदर्शित करना ठीक नहीं है । भारतीय संस्कृति से मेल खाते नाम न होने से समाज के सांस्कृतिक जीवन की अवधारणा भी बदल जाती है । साथ ही भावी पीढी को हमारे गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और शौर्य से अवगत होने की आवश्यकता है । इसलिए ऐसे नाम देना आवश्यक है, जो स्वदेशी और भारतीय संस्कृति से मेल खाते हों ।
राज्य सरकार को इन आठ रेलवे स्टेशनों के साथ-साथ नगर जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए । साथ ही, ये विदेशी नाम न केवल रेलवे स्टेशनों को, अपितु स्थानीय सडकों, उद्यानों और अन्य स्थानों को भी दिए गए हैं । वहां भी नाम बदले जाने चाहिए । कई रेलवे स्टेशनों के नाम ‘चर्चगेट’, ‘सांताक्रूज़’, ‘रे रोड’, ‘सीवुड्स-दारावे’, आदि हैं । साथ ही दौलताबाद, औरंगपुरा, इस्लामपुर और टीपू सुल्तान जैसे नाम तहसीलों, गांवों, कस्बों, सडकों, उद्यानों, चौराहों आदिको दिए गए हैं । इन सभी नामों को बदलने की प्रक्रिया भी सरकार को करनी चाहिए !